किराया बढ़ाने के नियमो का पालन नहीं करने के आरोप में कैब सेवा उपलब्ध कराने वाली कंपनी ओला-उबर और टैक्सी फॉर श्योर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलेगा। अदालत ने सोमवार को इस मामले में तीनो कैब कंपनियों को बतौर आरोपी समन जारी किया है ।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने गैरसरकारी संगठन न्याय भूमि के सचिव राकेश अग्रवाल की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। उन्होंने याचिकाकर्ता द्वारा अपनी शिकायतों के समर्थन में दिए गए साक्ष्यों ओर दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि शिकायतकर्ता संगठन द्वारा पेश साक्ष्य से ऐसा प्रतीत होता है कि पहली नजर में प्रतिवादियों ने मोटर वाहन नियमो की अनदेखी की है। साथ ही कोर्ट ने उबर इंडिया सिस्टम प्रा. लि. और टैक्सी फॉर श्योर सेवा उपलब्ध कराने वाली सेरेनडिप्टी इंफोलेब्स को बतौर आरोपी समन जारी किया।
पहले कोर्ट ने केस दर्ज करने से किया था मना
अदालत ने इस मामले में तीनो कैब कंपनियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने से इंकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि कैब कंपनियों पर मोटर वाहन अधिनियम के उल्लंघन का आरोप है। ये गैर कानूनी है, हालांकि अदालत ने शिकायतकर्ता को तीनो एप आधारित कैब कंपनियों के खिलाफ अपनी शिकायत के समर्थन में साक्ष्य पेश करने की इजाजत दे दी थी।
91000 करोड़ जुर्माना वसूलने की मांग
न्याय भूमि के सचिव राकेश अग्रवाल ने बताया कि जून, 2016 तक तीनो कैब कंपनियों ने परमिट नियमो की अनदेखी कर टेक्सी के13 करोड़ ट्रिप लगाए है। प्रति ट्रिप 5 हजार जुर्माने के हिसाब से 13 करोड़ ट्रिप का जुर्माना 65 हजार करोड़ होता है। वहीँ, किराया वृद्धि से जुड़े नियमो कि अनदेखी पर प्रति ट्रिप 2000 रूपये जुर्माना लगता है। ऐसे में कुल मिलकर 91 हजार करोड़ रूपये जुर्माना बनता है।