Omicron in Delhi: कोविशील्ड की दोनों डोज में गैप हो कम, ओमीक्रोन के खतरे को देखते हुए एक्सपर्ट ने दी बूस्टर डोज की सलाह

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Omicron in Delhi: कोविशील्ड की दोनों डोज में गैप हो कम, ओमीक्रोन के खतरे को देखते हुए एक्सपर्ट ने दी बूस्टर डोज की सलाह

हाइलाइट्स

  • दिल्ली सरकार का मानना है कि पढ़ाई से पहले बच्चों की इमोशनल सेहत पर ध्यान देना जरूरी
  • 19 महीने क्लास से दूर रहे बच्चों का अभी का लर्निंग लेवल का पता लगाना बहुत जरूरी है
  • सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के हेड को कहा है बच्चों का अलग असेसमेंट करवाएं

नई दिल्ली: ओमिक्रॉन स्ट्रेन पर फिलहाल स्थिति साफ नहीं है। तेजी से फैल रहे संक्रमण ने दुनियाभर में चिंता बढ़ा दी है। वैक्सीन की क्षमता पर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि अभी तक इस म्यूटेड वायरस से जितना भी संक्रमण फैला है, उसमें बहुत ज्यादा सीवियरिटी नहीं देखी गई है। न ही डेथ रेट पाया गया। अगले कुछ दिनों में इस पर और स्थिति साफ हो जाएगी। फिलहाल सरकार का मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों के वैक्सीनेशन पर होना चाहिए। कोविशील्ड की डोज के अंतर को कम किया जाए और हेल्थकेयर वर्करों को बूस्टर डोज लगाया जाए।

मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की कम्युनिटी मेडिसिन की प्रफेसर डॉ. नंदिनी शर्मा ने कहा कि ओमिक्रॉन की अब तक की रिपोर्ट में माइल्ड वर्जन आ रहा है। डेथ कम हो रही है। यह अच्छी बात है। घबराने की जरूरत नहीं है। देखना है कि अगले 15 दिन कैसे रहते हैं। साउथ अफ्रीका और दूसरे देशों में यह वेरिएंट किस प्रकार लोगों को प्रभावित करता है उस पर नजर रखनी होगी। साथ में तैयारी चलती रहनी चाहिए। डॉक्टर ने कहा कि दिल्ली में विदेश से आए कुछ लोग पॉजिटिव हुए हैं। दो से तीन दिन में उनकी रिपोर्ट आएगी।
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कोविड एक्सपर्ट डॉ. अंशुमान कुमार ने कहा कि कोरोना के अब तक स्वरूप के साथ-साथ संक्रमण फैलाने और मौत पर गौर करें तो कई पहलू हैं जिस पर ध्यान देना होगा। शुरू में जब कोरोना आया तब ज्यादातर में अल्फा वेरिएंट था। इस साल अप्रैल-मई में जो वेरिएंट फैला वह डेल्टा था। दोनों में डेल्टा ज्यादा खतरनाक और मौत वाला बना। इसके बाद भी डेल्टा वेरिएंट वैक्सीन लेने वालों को ज्यादा बीमार नहीं कर पाया। इससे यह साफ होता है कि वैक्सीन कारगर है।

डॉक्टर ने कहा कि कोरोना में संक्रमण और बीमारी, दो चीजें हैं। कई बार संक्रमण होता है और लोग बीमार नहीं होते हैं। यानी मरीज में वायरस पहुंच गया, लेकिन उसे बीमार नहीं कर पाया। वैक्सीन का भी यही काम है। कम-से-कम मरीज बीमार न हो। यह जरूरी है कि लोग वैक्सीन लें।

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ज्यादा से ज्यादा लोगों को लगे टीका
डॉक्टर अंशुमान ने कहा कि कोवैक्सीन की डोज का अंतराल 28 दिन है, लेकिन कोविशील्ड का 84 दिन का। सरकार को अब इसे बदल देना चाहिए, क्योंकि अब देश में पर्याप्त वैक्सीन है और तीसरी लहर आए इससे पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन हो जाना चाहिए। डॉक्टर ने कहा कि बूस्टर डोज के लिए ट्रायल का इंतजार न करें। ब्रिटेन में ट्रायल हो चुका है और वहां पर हेल्थकेयर वर्करों को बूस्टर डोज दी जा चुकी है। वहां आम लोगों के लिए भी बूस्टर डोज शुरू हो गया है। देश में जिन लोगों को पहले फेज में वैक्सीन लगी थी उन्हें 6 महीने से ज्यादा समय हो गया है। ऐसे में अगर तीसरी लहर आती है, तो उन्हें वैक्सीनेशन की बूस्टर डोज लगने पर ज्यादा सुरक्षा मिलेगी।

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वैक्सीन में बदलाव है संभव
डॉक्टर अंशुमान ने कहा कि अलग-अलग तकनीक से वैक्सीन बनाई गई है, इसलिए जरूरत पड़ी तो इसमें बदलाव भी संभव है। वैक्सीन का बेस यानी स्ट्रक्चर वही रहेगा, बस कुछ बदलाव कर नए वेरिएंट के खिलाफ भी वैक्सीन तैयार की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मॉडर्ना, फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन एमआरएनए तकनीक पर बनी है। इसको ज्यादा दिक्कत हो सकती है, इसमें नए म्यूटेंड वायरस के लिए बदलाव करना पड़ सकता है। देश में इस्तेमाल हो रही वैक्सीन में बहुत ज्यादा बदलाव की जरूरत नहीं होगी।

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कोविड टेस्ट (फोटोः PTI/ANI)

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