Omicron Phobia: कोरोना की दूसरी लहर से ही डिप्रेशन में चल रहे थे डॉक्‍टर सुशील कुमार, अब तक नहीं लगा सुराग

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Omicron Phobia: कोरोना की दूसरी लहर से ही डिप्रेशन में चल रहे थे डॉक्‍टर सुशील कुमार, अब तक नहीं लगा सुराग

हाइलाइट्स

  • डॉक्टर ने खुद को बताया कोविड फोबिया से पीड़ित
  • चाय में बेहोशी की दवा डालकर सबको किया बेहोश
  • बेहोशी की हालत में पत्नी और बच्चों की हत्या का अंदेशा
  • हत्या की घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो गया डॉक्टर

सुमित शर्मा, कानपुर
कोविड-19 का नया वैरिएंट ओमीक्रॉन कितना खतरनाक होगा, यह तो भविष्य बताएगा। लेकिन, इसका आतंक लोगों के मन-मस्तिष्क पर असर डालने लगा है। आम लोगों को छोड़ दें, मरीजों का जीवन बचाने वाले डॉक्टर भी इस खतरे की आशंका से घबराने लगे हैं। शहर के एक डॉक्टर के दिमाग में ओमीक्रॉन ने ऐसी दहशत भरी कि वह डिप्रेशन में चला गया। उसने अपनी पत्नी और बेटे-बेटी की हत्या कर दी। बेटे के तो छाती पर बैठकर गला घोंटने की भी बात कही जा रही है।यह डॉक्टर की दिमागी स्थिति को बताता है। डॉक्टर ने इस हत्या का कारण ओमीक्रॉन वैरिएंट को ठहराया है। हत्या से पहले डॉक्टर अपने मन की बात डायरी में लिखी। इसमें डॉक्टर ने अपने मन के भीतर चल रही बातों को लिखा है।

डॉक्टर ने खुद को कोविड फोबिया का शिकार बताया है। उसने नोट में लिखा, अब कोविड नहीं, ये कोविड सब को मार डालेगा। अब लाशे नहीं गिननी हैं ओमिक्रॉन। आरोपी डॉक्टर सुशील कुमार मंधना मेडिकल कॉलेज में फोरेंसिक विभाग के हेड ऑफ डिर्पाटमेंट थे। कोरोना की दूसरी लहर में रामा मेडिकल कॉलेज को कोविड हॉस्पिटल बनाया गया था। डॉक्टर सुनील ने कोविड मरीजों को बहुत नजदीक से तड़पते और मरते हुए देखा था। कोविड मरीजों की पीड़ा और दर्द ने उनके दिल और दिमाग में घर में बना लिया था। कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद से ही वो डिप्रेशन में चल रहे थे।

नए वैरिएंट ओमीक्रॉन ने किया डिप्रेशन
कोविड-19 का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन का मामला सामने आने के बाद से ही कई लोग परेशान हैं। इसके बारे में कहा जा रहा है कि यह डेल्टा वैरिएंट से कई गुना तेजी से फैलता है। डॉ. सुनील को यही बात सबसे ज्यादा परेशान कर रही थी। उन्हे पता था कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कितना खतरनाक है। जिसकी वजह से सुशील कुमार लगातार डिप्रेशन में रहते थे।

पत्नी और बच्चों की हत्या से पहले लिखी ये बातें
डॉक्टर सुशील ने परिवार की हत्या से पहले डायरी में लिखा है कि कोविड संबंधित डिप्रेशन ‘फोबिया’ में हूं। अब और कोविड नहीं, यह कोविड अब सबको मार डालेगा। अब लाशे नहीं गिननी है ‘ओमीक्रॉन’। फिर डॉक्टर ने लिखा है कि अपनी लापरवाही के चलते कैरियर के उस मुकाम में फंस गया हूं, जहां से निकलना असंभव है। मेरा कोई भविष्य नहीं रहा, अतः मैं होशोहवास में अपने परिवार को खत्म करके खुद को खत्म कर रहा हूं। इसका जिम्मेदार और कोई नहीं है।

मैं लाइलाज बीमारी से ग्रस्त हो गया हूं। आगे का भविष्य कुछ नजर नहीं आता है। इसलिए, इसके अलावा मेरे पास और चारा नहीं रहा। मैं अपने परिवार को कष्ट में नहीं छोड़ सकता हूं। सभी को मुक्ति के मार्ग में छोड़ कर जा रहा हूं। सारे कष्ट एक ही पल में दूर कर रहा हूं। अपने पीछे मैं किसी को कष्ट में नहीं देख सकता था। मेरी आत्मा मुझे कभी माफ नहीं करती। अलविदा।

पहले पत्नी और फिर बेटे-बेटी की हत्या
डॉक्टर ने आखिरी के पन्नों में लिखा कि आंखो की लाइलाज बिमारी की वजह से यह कदम उठाना पड़ रहा है। पढ़ाना मेरा पेशा है, जब आंखे ही नहीं रहेंगी तो मैं क्या करूंगा। डॉ. सुशील ने डायरी लिखने के बाद पूरे परिवार के लिए चाय बनाई। चाय में बेहोशी का पाउडर मिलाया। पुलिस ने किचन से चाय के नमूने लिए हैं। चाय पीने के बाद डॉक्टर की पत्नी चंद्रप्रभा, बेटा शिखर और बेटी खुशी बेहोश हो गई। इसके बाद डॉक्टर ने तीनों को अलग कमरों अलग-अलग कमरों में ले गया।

डॉक्टर सुशील ने बड़े ही आराम से पहले पत्नी को मौत के घाट उतारा। बेटे शिखर के सीने पर बैठकर उसका गला घोट दिया। शिखर ने बेहोशी की हालत में खुद को बचाने का प्रयास का प्रयास करता रहा। दरअसल शिखर के शरीर पर कुछ खरोच के निशान इसकी गवाही दे रहे हैं। फिर, बेटी खुशी की हत्या कर फरार हो गया। जानकारों का मानना है कि एक अकेला शख्स तीन लोगों की हत्या नहीं कर सकता है। हत्या से पहले तीनों को बेहोश किया गया होगा। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पूरे मामले का खुलासा हो सकता है।

डॉक्टर ने कोविड के नए वैरिएंट के प्रभाव को बताया पत्नी और बच्चों की हत्या का कारण

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