उत्तराखंड: 1200 की आबादी वाले गांव में किए गए सिर्फ 50 टेस्ट, 23 लोग निकले कोरोना पॉजिटिव | पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

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उत्तराखंड: 1200 की आबादी वाले गांव में किए गए सिर्फ 50 टेस्ट, 23 लोग निकले कोरोना पॉजिटिव | पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

उत्तराखंड: 1200 की आबादी वाले गांव में किए गए सिर्फ 50 टेस्ट, 23 लोग निकले कोरोना पॉजिटिव | पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट


Zटिहरी: कोरोना अब गांव में भी अपने पैर पसार रहा है. उत्तराखंड के कई गांव ऐसे हैं, जिनको कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया है. लगातार कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं और गांव में लोगों को बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उत्तराखंड के टिहरी जिले का ऐसा ही एक गांव है कुट्टा. एबीपी न्यूज़ की टीम गांव के हालात जानने के लिए ग्राउंड जीरो पर पहुंची. करीब 1200 की आबादी वाले इस गांव में 23 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. गांव वालों की मानें तो सिर्फ 50 लोगों का टेस्ट किया गया, जिसमें 23 पॉजिटिव आ गए. गांव वालों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम के पास सिर्फ 50 टेस्टिंग किट ही थी. गांव के रहने वाले महिपाल रावत ने बताया कि वो दिल्ली में रहते हैं और अपनी मां की मौत के बाद से यहां गांव में हैं. उनका कहना है कि और भी लोगों को टेस्ट की जरूरत है. इतना ही नहीं कोरोना के इस काल में गांव में ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है, जिससे काफी परेशानी आ रही है.

कुट्टा गांव के ही रहने वाले एक और शख्स ने बताया कि प्रशासन की तरफ से कोई खास सुविधा नहीं है. गांव में कोई ऑक्सी मीटर नहीं है ना ही ऑक्सीजन की व्यवस्था है. ऐसे में अगर कोई बीमार हो और उसका ऑक्सीजन चेक करना हो तो कोई सुविधा नहीं है. इनका कहना है कि किट ना होने के कारण गांव में टेस्ट नहीं हुए.

यही गांव की प्रधान का भी कहना है. उनका कहना है कि गांव में कोई भी सुविधा नहीं है और सबसे ज्यादा समस्या एम्बुलेंस की है. अगर कोई ज्यादा बीमार हो जाए तो उसे एम्बुलेंस नहीं मिलती है. दरअसल ये ऐसे गांव हैं, जो सड़क से सीधे कनेक्ट नहीं हैं. इसी वजह से यहां के लोगों को कोरोना के इस काल में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.

गांव के रहने वाले मंगल सिंह रावत और बाकी गांव के लोगों का कहना है कि गांव की इस समस्या को दूर करने के लिए प्रशासन को गांव में कोविड केयर सेंटर की व्यवस्था करनी चाहिए. ताकि लोगों को इस मुश्किल घड़ी में दूर ना जाना पड़े. मंगल सिंह रावत ने बताया, “अभी हमने एक चीज नोटिस की है वो ये जो किट हमें मिली है, उसमें ऑक्सी मीटर नहीं है, अगर कल कोई पेशेंट सीरियस होता है तो ट्रांसपोर्ट नहीं है. कल का ही केस है, एक इमरजेंसी केस था. रात को 9.30 बजे एम्बुलेंस को कॉल किया, लेकिन एम्बुलेंस 11 बजे तक भी नहीं आई. कोई ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं है.”

सिर्फ यह गांव ही नहीं बल्कि अमूमन हर गांव की यही समस्या है. इसके बाद एबीपी न्यूज़ की टीम पहुंची नवागर गांव में यहां भी करीब 23 से 24 लोग कोरोना पॉजिटिव हैं. गांव के लोग प्रशासन से खासे नाराज़ नज़र आए. नवागर की रहने वाली मीनू देवी और सरिता देवी ने बताया कि प्रशासन की तरफ से कोई मदद नही मिल रही है. गांव में और भी लोग बीमार हैं, लेकिन टेस्ट नहीं किया जा रहा है.

नवागर गांव के पूर्व प्रधान विक्रम तो खासे गुस्से में नज़र आए. उनका कहना था कि लगातार प्रशासन को बताया जा रहा है गांव की स्थिति के बारे में, लेकिन कोई सुनने को तैयार नही है. गांव में लोग पॉजिटिव आने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की टीम अब तक गांव में दस्तक देने नहीं आई है. जिन लोगों के टेस्ट हुए वो भी तब हुए जब प्रशासन को लिखित में दिया. उनमें भी 500-600 की आबादी वाले इस गांव में सिर्फ 60 लोगों के ही टेस्ट करवाए गए.

यहीं गांव में हमें एक तस्वीर और देखने को मिली. गांव की एक महिला पॉजिटिव थीं, वो अपने घर की छत पर टहल रही थीं, उनकी गोद में उनका छोटा बच्चा था और साथ में परिवार के और भी लोग थे. इस तस्वीर को देख कर ऐसा लग रहा था कि गांव में अभी भी जागरूकता की कमी है. गांव के हालातों को लेकर जब हमने टिहरी जिले की DM इवा आशीष श्रीवास्तव से बात की तो उन्होंने बताया कि इस समय टिहरी में 4000 से ज्यादा केस हैं और रोज़ करीब 400 से 500 केस सामने आ रहे हैं, उनका कहना था कि यहां जो भी मामले सामने आ रहे हैं वो गांव से सामने आ रहे हैं, क्योंकि लोगों में जागरूकता की कमी है. लोग जो भी आरोप लगा रहे हैं, वो सब गलत हैं.

इवा आशीष श्रीवास्तव बताती हैं, “इस वक्त टिहरी जिले में चार हजार से ऊपर कोरोना के केस हैं. हर रोज करीब 400 से 500 तो कुछ दिन 300 भी हो जाते हैं,करीब 45 कन्टेनमेंट जोन हमारे बने हुए हैं. खास बात यह है कि यह जो केस निकल रहे हैं, खास बात ये है कि 45 परसेंट जहां तक हमारा आकलन है कि यह गांव के क्षेत्रों में निकल रहे हैं. एक बहुत बड़ा चैलेंज है, क्योंकि गांव यहां बहुत इंटीरियर में हैं और अगर 1 दिन भी टेस्ट टीम जाती है, एक गांव तो एक ही गांव कवर हो पाता है. लोगों में यह देखा जा रहा है कि वह टेस्ट कराने से और अपनी बात बताने से ही थोड़ा घबरा रहे हैं.”

उन्होंने बताया कि हर ग्राम पंचायत स्तर पर 50 दवाओं की किट रखवाई है, निगरानी समिति जो बनी हुई है यह भी देने से क्या होगा कि लोग फॉर्थकमिंग हुए या नहीं हुए रजिस्टर मेंटेन होगा उसे पता चलेगा कि दवा किसे दी गई है.

इवा आशीष श्रीवास्तव ने कहा, “हम लोगों का जो वर्जन है थोड़ा अलग है, क्योंकि हम लोग रोज़ वीडियो कॉन्फ्रेंस करते हैं. हमारी टेस्ट टीम लिमिटेड है. 9 मोबाइल टीम है, फिर कुछ चेक पोस्ट टीम है.” उन्होंने कहा कि पहले लोग टेस्ट के लिए तैयार नहीं होते थे, हालांकि पिछले कुछ दिनों में स्थिति थोड़ी बदली है और लोग टेस्ट कराने के लिए आगे आ रहे हैं.

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