Political kisse : एक ऐसा सीएम जिसने राजनीति के लिए जज की नौकरी छोड़ बना प्रधान | Political kisse A CM Sripati Mishra who left job of judge for politics | Patrika News
लखनऊ. Political kisse पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र का जैसे ही नाम लिया वैसे ही श्रीपति मिश्र यूपी के राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बन गए। जनता में भी यह उत्सुकता बढ़ गई कि आखिरकार श्रीपति मिश्र का जिक्र पीएम मोदी सुलतानपुर में क्यों कर रहे हैं। पालिटिकल किस्से की इस नई कड़ी में बताएंगे कि श्रीपति मिश्र के बारे में कि कैसे एक जज की प्रतिष्ठित नौकरी को छोड़कर वो यूपी की राजनीति आए। और में सबसे निचले स्तर के पद से अपनी राजनीति शुरू कर सूबे के सीएम बनें। साथ ही केंद्रीय स्तर पर अपने औरे का प्रभाव छोड़ा।
Political kisse : एक ऐसा सीएम जिसे चुनाव में बालीवुड के एक अभिनेता ने हरा दिया था
दो जिलों के निवासी थे श्रीपति :- वैसे तो श्रीपति मिश्रा का घर जौनपुर में है पर उनका दरवाजा सुल्तानपुर जिले में खुलता था। उनका पैतृक गांव शेषपुर जौनपुर-सुल्तानपुर जिले की सीमा पर स्थित है। पर गांव जौनपुर जिले में ही आता है। इसलिए वो निवासी तो जौनपुर जिले के थे। पर राजनीतिक कर्मभूमि उन्होंने सुल्तानपुर और जौनपुर दोनों जिलों को बनाया।
Political kisse : कहानी उस सीएम की जो कहता था मैं चोर हूं
जज के पद से दे दिया इस्तीफा :- यूपी के 13वें सीएम श्रीपति मिश्रा की कहानी में कई रोचक किस्से हैं। सुनकर आप भी मुरीद हो जाएंगे। वैद्य पंडित राम प्रसाद मिश्रा के घर 20 जनवरी 1924 को श्रीपति मिश्रा का जन्म हुआ। बीएचयू से अपनी पढ़ाई पूरी की। छात्र आंदोलन में भी हिस्सा लिया। वर्ष 1952 में सुल्तानपुर में चुनाव भी लड़े पर लेकिन हार गए। इसी बीच उनका चयन ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के पद पर होगा। और फर्रूखाबाद में उनकी पोस्टिंग हुई। पर नौकरी रास नहीं आई। और इस्तीफा देकर घर वापस आ गए।
पहले प्रधान फिर सीएम चुने गए :- अब मन तो राजनीति की गलियों में लग रहा था तो किस्मत से उस वक्त ग्राम प्रधानी के चुनाव घोषित हुए। श्रीपति मिश्रा ने मौके का फायदा उठाया। पर्चा भरा और वह ग्राम प्रधान चुन लिए गए। इसी के साथ उनके राजनीतिक कैरियर की शुरुआत हो गई। फिर उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और 1962 के यूपी चुनाव में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर जीत भी हासिल की। और यह सिलसिला चल निकला। वो 1967, 1980 में विधायक चुने गए। वर्ष 1970 से 1976 तक एमएलसी बने। और दो बार 1969, 1984 में सांसद रहे। एक बार सुल्तानपुर से और एक बार मछलीशहर से।
इंदिरा गांधी ने बनाया सीएम :- यूपी को सीएम बनने का किस्सा बेहद ही रोचक है। वर्ष 1980 में यूपी में डकैतों का आतंक था। वीपी सिंह सीएम थे। एक घटना की वजह से वीपी सिंह को 18 जुलाई 1982 को इस्तीफा देना पड़ा। बस फिर क्या था एक ईमानदार सीएम की तलाश में श्रीपति मिश्रा का नाम आगे आया और इंदिरा गांधी ने उन्हे सीएम बना दिया। वह 19 जुलाई 1982 से लेकर 3 अगस्त 1984 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। पर राजीव गांधी से खराब संबंधों की वजह से उन्हे अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। पार्टी में उपेक्षित होने के बाद सात दिसंबर 2002 को उनका निधऩ हो गया।
कांग्रेस की राजनीति एक परिवार पर ही केंद्रित :- हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव
Uttar Pradesh Assembly elections 2022 भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि कांग्रेस की राजनीति एक परिवार पर ही केंद्रित रही और वह किसी भी लोकप्रिय और जनता के लिए समर्पित नेता को बर्दाश्त नहीं करते थे। ‘श्रीपति मिश्र को जबरन कुर्सी से बेदखल किया गया, क्योंकि कांग्रेस का दिल्ली परिवार कभी भी लोकप्रिय नेताओं को कुर्सी पर टिकने नहीं देता था। श्रीपति मिश्रा हों या हेमवती नंदन बहुगुणा, सबके साथ यही हुआ।’