CAA के खिलाफ विरोध देखते हुए इसे ऑनलाइन करने का लिया गया फैसला

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एक बार फिर नागरिकता संशोधन एक्ट के विरोध सभी विपक्षी पार्टियां एक होगई है। केरल सरकार ने नागरिकता कानून ना लागू करने की घोषणा कर दी है नौबत यहाँ तक आ गई की केरल सरकार ने विधानसभा में इस कानून के विरोध में प्रस्ताव पेश किया है। लेकिन केंद्र सरकार ने इस मामले को मदे नज़र रखते हुए त CAA की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन करने का फैसला लिया है। नागरिकता का कानून पूरी तरह से केंद्र के हाथ में होता है, लेकिन एनपीआर को लेकर राज्यों का सहयोग जरूरी है, इसी के तहत यह फैसला लिया गया।

खबरों के अनुसार CAA को लागू करने में किसी तरह की बाधा न आये इसको लेकर अब CAA को पूरी तरह से ऑनलाइन करने की तैयारी जोरों पर है। गृह मंत्रालय मौजूदा प्रावधानों में संशोधित की भी सोच रहा है। इस प्रक्रिया को ऑनलाइन करने का मकसद यह है की बहुत से राज्ये की सरकार CAA के विरोध में है अगर ये ऑनलाइन रहेगी, तो राज्य सरकारों का इसमें कोई रोल ही नहीं रहेगा और ऐसे में जिसे नागरिकता चाहिए होगी वह आसानी से हासिल कर लेगा।

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संविधान के सातवें शेड्यूल की यूनियन लिस्ट के मुताबिक इस कानून पर राज्य सरकार का अधिकार नहीं है. यूनियन लिस्ट में ऐसी कुल 97 बातें हैं जो सिर्फ केंद्र के अधिकार में आती हैं, जिनमें नागरिकता, रेलवे, विदेश नीति और रक्षा नीति जैसे अधिकार आते हैं।

केरल , बंगाल जैसे राज्यों में CAA का विरोध बड़े स्तर पर हो रहा, इसके संदर्भ पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का बयान सामने आया है उनके मुताबिक संसद से पास हुए कानून को पूरे देश में लागू किया जाता है और नागरिकता देने का अधिकार राज्य नहीं सिर्फ केंद्र के पास है. उन्होंने कहा कि CAA किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं छीनता है।

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यह कहना कही से भी गलत नहीं होगा की CAA का चाहे कितना भी विरोध हो लेकिन इसके आने से देश में काफी बदलाव देखने को मिलेंगे।