ट्विटर पर क्यों हो रही है भारत के प्रधानमंत्री की आलोचना

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संयुक्त राष्ट्र महासभा से लौटे ही प्रधान मंत्री मोदी चेन्नई के IIT मद्रास में एक कनवोकेशन में शामिल होने गए थे। समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं आपसे एक अपील करता हूं कि आप कहां काम करते हैं, कहां रहते हैं. इसका कोई मतलब नहीं. लेकिन जहां भी रहें अपनी मातृभूमि की जरूरतों का ख्याल जरूर रखें.

लेकिन सुबहे से ही ट्विटर पर #GOBACKMODI टर्न्ड कर रहा है, मोदी ने हाल ही में देश की भाषाई बहुलता के बारे में कई संदर्भ दिए हैं। जिसपर अमित शाह ने टिप्पणी की थी की भारत अलग अलग भाषा का देश है. हर भाषा का आपने महत्व है। आज देश को एकता की डोर में बाँधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है।

सरकार ने इसी साल एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाने का प्रयास किया। जिसमें यह सुझाव दिया गया था कि जिन,जिन राज्यों में हिंदी नहीं बोली जाती वह हिंदी विषय पढ़ना चाहिए।

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फिलाल इस ड्राफ्ट पर अभी भी काफी चर्चा चल रही है,और इसमें काफी संशोधन की जरूरत है। जब से देश में लैंग्वेज ड्राफ्ट पॉलिसी का प्रस्ताव रखा गया है तबसे इसका काफी विरोध हो रहा है,दक्षिण भारतीय के निवासी इस नीति का पुरजोर विरोध कर रहे है।

यही कारण है की आज सुबहे से ट्वीटर का साहरा लेके लोगो उन्हें चेन्नई से वापिस जाने को कह रहे है उन्हें ऐसा लगता है की प्रधानमंत्री मोदी हिंदी भाषा को लोगो पर थोपना चाहते है खासकर दक्षिण भारतीय लोगो पर जिन्हे हिंदी भाषा बोलने और चलन में लानी में खासी दिक्कत का सामना करना होता।

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उनके अनुसार किसी भी भाषा को बोलना या सीखना एक व्यक्तिगत निर्णय होना चाहिए, किसी भाषा को ऐसे थोपना कही से भी सही नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में ट्विटर पार यह विरोध प्रद्शन हो रहा है।