कुरान बांटने के फैसले पर आया नया मोड़, हुआ यह खुलासा

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रांची की एक अदालत ने एक लड़की की आपत्तिजनक पोस्ट पर उसे जमानत देते हुए ये शर्त रखी थी कि 15 दिनों के भीतर उसे कुरान की 5 कॉपियां बांटनी होगी। 19 साल की ऋचा भारती नाम की ये लड़की कोर्ट के आदेश से संतुष्ट नहीं थी।

जज ने ऋचा भारती को 15 दिनों के अंदर 5 कुरान बाटने का आदेश दिया था। जज का यह आदेश हालांकि लिखित में नहीं था। जज ने यह आदेश मौखिक रूप से दिया था। जब मामला तूल पकड़ने लगा तो जज ने यह आदेश वापस ले लिया।

इससे पहले जज के इस फैसले को झारखंड बीजेपी ने हैरान करने वाला बताया।

जज के इस फैसले से सवाल उठता है कि क्या आपत्तिजनक फेसबुक की पोस्ट पर जमानत की ये शर्त संभव है?

क्या संविधान में मिली धार्मिक आजादी इससे प्रभावित तो नहीं हो रही?

क्या इससे धार्मिक भावनाएं भड़काने वालों को सन्मति मिलेगी?

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आजतक से बात करते हुए ऋचा भारती ने बताया कि उन्होंने यह पोस्ट नहीं लिखी थी बल्कि उन्होंने इसे शेयर किया था। आपको बता दें कि ऋचा भारती को इसके कारण दो दिन जेल में बिताने पड़े।

ऋचा भारती ने कहा है कि कोर्ट को चाहिए कि वह इसे लिखने वाले को पकड़कर सजा दे। उन्होंने कहा है कि उनके वकील इस बारें में बात करेंगे। ऋचा ने कहा कि अदालत के आदेश के खिलाफ वह ऊपरी अदालत में अपील करेंगी।

वकीलों ने जज की ओर से दिए गए इस तरह के आदेश का जमकर विरोध किया।

भारतीय संविधान में यह वर्णित है कि किसी पर भी आप धार्मिक काम नहीं थोप सकते है। सभी को अपना धर्म मानने का अधिकार है। अगर किसी को जबरदस्ती किसी दूसरे के धर्म का काम करने को कहा जाता है तो यह यह संविधान में लिखे हुए मौलिक अधिकारों का हनन है।

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हालांकि जज ने अपने आदेश को पलटते हुए कुरान को बांटने का आदेश निरस्त कर दिया। मामला यहीं ख़त्म नहीं हुआ। लखनऊ में वकीलों के संगठन ने इस फैसले का बायकॉट किया।

अगर जज अपना फैसला न बदलते तो ऋचा भारती ऊपरी अदालत में जा सकती थी। अगर फैसला गलत पाया जाता तो जज को जवाब देना पड़ता। ऊपरी अदालत जज के फैसले को बदल सकती थी।