रेलवे के ऐक्सिडेंट रोकने के लिए इस्तेमाल होगी नई टेक्नोलॉजी

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भारतीय रेलवे का नेटवर्क विश्व के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक माना जाता है | विश्व का तीसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क जो की 119,630 किमी में फैला हुआ है | इस रेल नेटवर्क को मेन्टेन रखने के लिए बहोत दिक्कत आती है और अगर यह ठीक तरह मेन्टेन नहीं हो पाया तो ऐक्सिडेंट हो सकते है | जो हामरे यहा आये दिन होते रहते है | इन सब मे रेल पटरी पर से उतरने के हादसे ज्यादा होते है | इस वजह से बहोत लोगो की जाने जाती है |

इस वजह से रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेल ऐक्सिडेंट रोकने के लिए नई टेक्नोलॉजी यूज करने का फैसला लिया है | पीयूष गोयल ने कहा कि अल्ट्रासॉनिक डिवाइस, एक्स-रे स्कैनर और सेंसर की मदद से रेलवे ट्रैक की ऑटोमैटेड स्कैनिंग की जाएगी जिससे सुरक्षा सुनिश्चित होगी | उन्होंने ये भी कहा कि पुराने ICF कोचेस को बदलके नए LHB कोचेस लगाएंगे |

भारतीय रेल की सबसे बड़ी दिक्कत है रेल का समय | आज तक के इतिहास में ऐसा बहोत कम बार हुआ होगा की रेलवे अपने बताए समय पर प्लैटफॉर्म पर आ गयी है | इसलिए पियूष गोयल ने कहा कि 1 नवंबर से रेलवे का नया टाइम टेबल लागु होगा जिससे यात्रा का समय बचेगा | रेलवे स्टेशन को मल्टी यूटिलिटी सेंटर बनाने की बात भी गोयल ने कही | साथ ही उन्होंने कहा कि इस्त्रो के प्रमुख के साथ बैठक हुई है | मोबाईल और स्पेस टेक्नोलॉजी को साथ जोड़कर पैसेंजर को ज्यादा सुविधा प्रदान कर पाएंगे |

कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के साथ मिलकर मुंबई से अहमदाबाद के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करके बनाये जाने वाले बुलेट ट्रेन का शिलान्यास किया था | हमारे देश में लोगो को जो बाकि देशो के पास है वो चाहिए होता है लेकिन हम एक चीज भूल जाते है की हमारे पास जो परंपरागत रेलवे है उसे मोर्डनाइज करने की बात कोई नहीं करता | उसमे कितनी कमिया है वो कोई नहीं देखता | क्या सचमे हमें बुलेट ट्रेन की जरुरत है?