विराट कोहली के फेवरेट होने का हुआ फायदा ।

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विराट कोहली के फेवरेट होने का हुआ फायदा ।

एक तरफ सौरव गांगुली की पसंद वीरेंद्र सहवाग थे तो दूसरी ओर सचिन तेंदुलकर ओर विराट के फेवरेट रवि शास्त्री । शास्त्री के लिए हुई तगड़ी गोलबंदी के कारण वो टीम इंडिया के कोच बनने में सफल रहे । हालांकि सोमवार को साक्षात्कार के बाद से ही वीरू इस रेस में आगे आ गए थे, लेकिन मंगलवार को पासा पलट गया । इसमें मुख्य भूमिका सीईओ राहुल जौहरी की रिपोर्ट ओर कुछ बीसीसीआई अधिकारियों की पसंद की रही। हालांकि बोर्ड के सभी अधिकारियों ने यह दावा किया कि कोच के चयन में उनका कोई योगदान नहीं है । यह फैसला पूरी तरह सचिन, सौरव व लक्ष्मण की क्रिकेट एडवाइज़री समिति का है ।

कोहली और शास्त्री में हमेशा अच्छे संबंध रहे है मगर पिछले वर्ष सीएसी ने कुंबले को मुख्य कोच बना दिया । उस समय विराट कप्तान के तौर पर नए थे जिसके कारण वो विरोध नहीं जता पाए । यही नहीं सीएसी ने उनसे एक बार भी नहीं पूछा, और छह महीने में कप्तान और कोच का विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों ने आपस में बात ही बंद कर दी । हालांकि सीएसी तब भी उन्हें कोच बनाये रखना चाहती थी, लेकिन कोहली ने खुलकर खिलाफ बोल दिया। कुंबले ने चैंपियंस ट्रॉफी के बाद अपने से इस्तीफा दे दिया । हालांकि इससे पहले ही नए कोच की खोज शुरू कर दी गई थी ।

यही नहीं जब भारत सेमीफाइनल में बंगलादेश को हराया तो मैदान में ही पुरस्कार समारोह के दौरान मौजूद शास्त्री से जिस तरह कोहली मिले उससे साफ़ था कि उनके दिमाग में कुछ और ही चल रहा है। हालांकि इसके बाद भी दादा को शास्त्री के लिए मनाना आसान नहीं था । कोच के आवेदन कि अंतिम तारीख से पहले ही बोर्ड के सीईओ राहुल जौहरी वेस्टइंडीज सीरीज खेल रही भारतीय टीम से मिलने पहुंचे । वहां उन्होंने कोच के मुद्दे पर टीम से बातचीत की । जिसके बाद मंगलवार को शास्त्री को कोच पद सौंपने की घोषणा की गई।