विश्व स्तर पर इस्लामोफोबिया चर्चा का विषय बन चुका है लेकिन क्या आप इसके बारे में जानते है? तो आज हम आपको विस्तार से इसके संदर्भ में बताते है। इस्लामोफोबिया से तत्पर्य है मुस्लिमों और इस्लाम का गैरमुस्लिमों ( जो लोग मुस्लिम नहीं हैं) के दिलोदिमाग में इस्लाम और मुस्लिमों के लिए डर और नफरत पैदा होना। एक ऐसा डर जिसके कारण सामने वाला व्यक्ति इस्लाम और मुस्लिमों से नफ़रत करने लगता है, सोशल मीडिया के इस दौर में इस्लामोफोबिक कंटेन्ट की सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया पर बड़े स्तर पर दिखाया जा रहा है।
जो काफी हद तक इस्लामोफोबिया को बढ़वा दे रहे है। फ़िलहाल कोरोना के नाम पर फ़र्ज़ी वीडियो ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। ये जो डर लोगों के दिमाग में भर दिया गया है, इसके कारण ही कई जगह में अगर इस्लाम धर्म के लोग सब्ज़ी बेचने और होम डिलीवरी करने आ रहा है तो उनके साथ डिस्क्रिमशन के मामले भी सामने आरहे है जो काफी ही गलत है।
जहां देशभर में कोरोना से निपटने की मुहीम जोरों पर है, वही दूसरी तरफ इस तरह की खबरे आना काफी दुखद है। यह देश में सिर्फ नफरत , घृणा और भेदभाव पैदा कर रही है , जो हमारे देश के विकास में बाधा बन सकती है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि जिस तरह कोरोना संकट के बीच इस्लामी पुनरुत्थानवादी संगठन तबलीगी जमात सुर्खियों का पात्र बने है, कोरोना वायरस की मार के चलते दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के मरकज में हुआ जलसा एक बड़ी परेशानी का सबब बन गया है. जमात के इस धार्मिक आयोजन को लेकर अब कई सवाल उठ रहे हैं. निजामुद्दीन के मरकज में आयोजित जलसे में भाग लेने के लिए 3400 लोग पहुंचे। कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉक डाउन था सरकार के आदेश की ऐसे धज्जियां उड़ाना काफी गलत है और जितनी निन्दा की जाए वो कम है।
इस कारण की वजह से भी इस्लामोफोबिया काफी चर्चा में है लेकिन उसके कारण हर इस्लामिक को शक के नज़रिये से देखना काफी गलत है, चंद लोगो की भूल के कारण पूरी कोम को दर किनार कर देना हमारे देश की शान के खिलाफ है। हमारा देश भारत आपने धर्मनिरपेक्षता के लिए काफी विख्यात है, जहां सभी धर्मो को सामान इज़्ज़त दी जाती है। यह हमारी देश की शान है। इस तरह की गतिविधियां बेशक तोर पर हमारे देश के विकास के लिए ठीक नहीं है।
यह भी पढ़ें : कौन सा ऐसा देश है ,जिसने कोरोना वायरस कि समस्या को अच्छी तरह से संभाला ?