NSG सदस्यता पर रूस का भारत को समर्थन, भारत के साथ दोस्ती को बताया खास

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एनएसजी पर रूस का भारत को समर्थन, भारत के साथ दोस्ती को बताया खास

कहा जाता है कि भारत-रूस की दोस्ती पूरी दुनियां में मिसाल है। रूस ने अपनी दोस्ती को एक बार फिर साबित करते हुए कहा है कि किसी भी देश के साथ रूस की दोस्ती भारत से दोस्ती की कीमत पर नहीं होगी। मास्को ने इस बारे में कहा है कि एनएसजी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है। मास्को इस बारे में हर तरह से चीन के साथ बात कर रहा है। बताना जरूरी है कि चीन लगातार न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहा है।

भारत के साथ रूस की दोस्ती अटूट 1 -

चीन के मुताबिक 48 सदस्यों वाले एनएसजी ग्रुप के विस्तार के लिए एक कसौटी तय की जाए ना कि मेरिट के आधार पर किसी देश को सदस्यता मिले। बता दें कि एनएसजी ग्रुप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परमाणु व्यापार को नियंत्रित करती है। भारत अपनी दावेदारी के पर चीन के विरोध को पाकिस्तान के पक्ष में मानता है।

बुधवार को एक बार फिर ये मामला गरम हो गया, जब रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने विदेश सचिव एस. जयशंकर से मुलाकात की. विदेश सचिव एस. जयशंकर से मुलाकात के बाद रयाबकोव ने कहा, ‘एनएसजी सदस्यता की के लिए पाकिस्तान के आवेदन पर कोई सर्वसम्मति नहीं है और इसे भारत की दावेदारी के साथ नहीं जोड़ा जा सकता।’

उन्होंने कहा, ‘हम इस मसले की जटिलताओं से परिचित हैं, लेकिन हम उन देशों की तरह नहीं जो केवल बात करते हैं। हम वास्तविक रूप से कोशिश कर रहे हैं। हम इस मुद्दे पर चीन के साथ विभिन्न स्तर पर बात कर रहे हैं।’

इस साल की शुरुआत में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि भारत ने चीन को समझाने के लिए रूस से संपर्क किया है। बता दें कि चीन भारत को मेरिट के आधार पर एनएसजी की सदस्यता देने का विरोध कर रहा है।

हालांकि मास्को का मानना है कि जब तक सभी देश इस बारे में प्रयास नहीं करते हैं, तब तक चीन मानने को तैयार नहीं होगा। रयाबकोव ने अपने बयान में मुद्दे के राजनीतिकरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों को भारत की सदस्यता के लिए और ज्यादा सकारात्मक प्रयास करने की जरूरत है। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया। लेकिन साफ समझा जा सकता है कि मास्को का इशारा अमेरिका की ओर होगा, आजकल जिससे भारत के संबंध अच्छे होने की बात की जा रही है।

रयाबकोव ने मुख्य निर्यात नियंत्रण व्यवस्था के साथ भारतीय की सदस्यता का समर्थन करते हुए उम्मीद जताई कि गुरुवार को जल्द से जल्द भारत वासेनार समझौते का हिस्सा बनेगा। 41 देशों के वासेनार समूह का चीन सदस्य नहीं है। यह समूह मुख्य निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में से एक है।

हालांकि रूसी डिप्लोमेट ने यह माना कि रूस पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने में जुटा हुआ है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इस्लामाबाद के साथ संबंधों में रूस का कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं है। रयाबकोव ने कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाना चाहूंगा कि दुनिया में किसी भी देश के साथ रूस के संबंध भारत के साथ रिश्तों की कीमत पर नहीं।