सचिन तेंदुल्कर ने फेसबुक के ज़रिये कही “मन की खरी बात”

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पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर गुरुवार को विपक्ष के हंगामे के कारण राज्‍यसभा में अपना पहला भाषण देने से वंचित रह गए थे. सांसद और भारत रत्‍न सचिन ने आज फेसबुक पर यह भाषण जारी करते हुए देश में खेल और उसके भविष्‍य को लेकर अपने विचार साझा किए. सचिन ने युवाओं को खेल को करियर बनाने की नसीहत देते हुए कहा, इन दिनों हमारे फिटनेस के सेशन लाइट और खाने-पीने के सेशन हैवी होते जा रहे है, इस स्थिति को बदलना होगा. सचिन ने कहा कि हमें भारत को स्‍पोर्ट्स लविंग नेशन के बजाय स्‍पोर्ट्स प्‍लेइंग नेशन में बदलना होगा. इसके लिए जरूरी है कि युवा बढ़-चढ़कर खेल में भागीदारी करें.

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अपने संबोधन में सचिन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर लाने वाले प्रत्येक खिलाड़ी को केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (CGHS) का लाभ देने का आग्रह केंद्र सरकार से किया. उन्‍होंने इस बारे में हॉकी के दिग्‍गज खिलाड़ी मोहम्‍मद शाहिद का जिक्र किया जिन्‍हें अपने अंतिम दिनों में बीमारी के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. सचिन ने कहा कि हमें इस बारे में सोचना होगा कि देश के स्‍वर्ण, रजत और कांस्‍य पदक जीतकर उपलब्धियां हासिल करने वाले खिलाड़ि‍यों को क्‍या हमने पर्याप्‍त सम्‍मान दिया. अपने भाषण की शुरुआत करते हुए सचिन ने कहा कि कुछ ऐसी बातें हैं जो मैं कल आप तक पहुंचाना चाहता था. आज वहीं कर रहा हूं. उन्‍होंन कहा कि क्रिकेट ने मुझे कई सुनहरी यादें दी हैं. अपने स्‍वर्गीय पिता रमेश तेंदुलकर का जिक्र करते हुए सचिन ने बताया कि उन्‍होंने मुझे अपनी मनमर्जी के हिसाब से करियर चुनने की आजादी दी.

सचिन ने कहा कि  देश के कई समस्‍याएं है जिन पर ध्‍यान देना जरूरी है जैसे आर्थिक विकास, गरीबी, खाद्य सुरक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य सुधार. लेकिन मैं फिटनेस और खेल पर बोलूंगा मेरा विजन है- फिट और हेल्‍दी इंडिया. देश में 75 मिलियन लोग डायबिटीज के शिकार हैं. मोटापे की समस्‍या भी देश में काफी बढ़ी है. ऐसी बीमारियों के कारण देश का काफी पैसा स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं में खर्च होता है. हम इसे नीचे ला सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि हमारी सेहत ठीक रहे. हम फिट रहें और खेल खेलें. देश ही नहीं, दुनिया के महान क्रिकेटरों में से एक सचिन ने कहा कि इन दिनों हमारे फिटनेस के सेशन लाइट और खाने के सेशन हैवी होते जा रहे हैं. इसे बदलना होगा.

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 नार्थ-ईस्‍ट राज्‍यों का उदाहरण देते हुए उन्‍होंने कहा कि इन राज्‍यों की आबादी, दूसरे राज्‍यों की तुलना में कम है लेकिन देश के खेलों में भागीदारी उनकी अच्‍छी खासी है. मीराबाई चानू, एमसी मैरीकॉम, दीपा कर्मकार जैसी खिलाड़ी इसका उदाहरण है. हमें देश में स्‍पोर्टस कल्‍चर बनाना होगा. युवाओं को किसी एक खेल को चुनना होगा और इसे एक्टिवली खेलना होगा. खेल में उम्र कोई सीमा नहीं है. देश में मैराथन दोड़ने वाले सबसे बुजुर्ग परमरेश्‍वरन 100+ के हैं. स्‍मार्ट सिटी के साथ स्‍मार्ट स्‍पोर्ट सिटी बनानी चाहिए. इसके लिए मैं वित्‍त मंत्री, खेल मंत्री से माहौल बनाने की मांग करूगा.

 

सचिन ने कहा कि घर में बेटी पैदा होती है तो कहते हैं लक्ष्‍मी आई है. लेकिन इन्‍हें लक्ष्‍मी की तरह ही रखना होगा तभी ये पीवी सिंधु, मिताली राज, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल जैसी बन सकती हैं. मैं पेरेंट्स अपील करूंगा कि वे लड़के-लड़कियों को समान रूप से प्रोत्‍साहन दें. हमें प्रतिभा की कम उम्र में पहचान करनी होगी इसके बाद उनहें तराशना होगा. तभी हम पदक जीतने की उम्‍मीद कर सकते हैं.देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. व्‍यवस्थित कार्ययोजना के जरिये ही हम खेल में सफलता हासिल कर सकते हैं.

 

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