इंसान अपने पेट के लिए क्या-क्या नहीं करता है। दुनिया में जितने कर्म-कुकर्म किये जा रहें हैं सब पेट के लिए ही किये जा रहे हैं। जब भूख लगती है तो यह इंसान के गुरूर को तोड़ देती है। वहीं जब एक माँ अपने बच्चों को भूखा देखती है उसके ऊपर क्या गुज़रती है। जब बच्चे माँ का दूध पीने के लायक होते है तो वह उन्हें दूध पिलाती है और वहीं जब वह खाना खाने के काबिल होते है तो माँ उन्हें खाना बनाकर खिलाती है।
अगर गरीबी की वजह से कोई माँ अपने बच्चों को खाना न खिला पाए तो वह क्या करेगी? बहुत ज्यादा होगा कि वह किसी से मांगेगी। भीख मांगेगी लेकिन अपने बच्चों को भूखा नहीं रखेगी चाहे खुद भूखी रह जाए।
तमिलनाडु में माँ और भूख की एक ऐसी अजीब घटना हुई जिसने सबको हिलाकर रख दिया है। दरअसल यहाँ पर एक विधवा माँ ने अपने बच्चों का पेट भरने के लिए अपना सर मुंडवा लिया। और बाल को बेच दिया। इसके बाद जो पैसे मिले उनसे बच्चों को खाना खिलाया।
बाल तो एक बार ही बेचा जा सकता है। जब ऐसे उसे परेशानी आने लगी तो उसने रोज-रोज की परेशानियों से बचने के लिए आत्महत्या करने का फैसला भी किया लेकिन ऐसा हो न सका।
जानकारी के अनुसार, तमिलनाडु के सलेम की रहने वाली 31 साल की प्रेमा नाम की महिला ने अपने तीन भूखे बच्चों को खाना खिलाने के लिए सिर के बाल तक बेच दिए। उसके पति ने कर्ज के बोझ में दबकर सात महीने पहले आत्महत्या कर ली थी।
प्रेमा ने पांच, तीन और दो साल के मासूम बच्चों का पेट भरने के लिए पड़ोसियों से उधार पैसे भी मांगे लेकिन उन्होंने उधार देने से मना कर दिया। कुछ ने कहा कि आज शुक्रवार है और इस दिन उधार देना अपशकुन माना जाता है।
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प्रेमा ने अपने सिर के बाल बेचकर भूखे बच्चों का पेट तो भर दिया लेकिन कल की चिंता से उसने खुदकुशी करने का फैसला किया। उसने बचे हुए पैसों से जहरीला कीटनाशक खरीदने की कोशिश की लेकिन दुकानदार ने शक होने के बाद उसे कीटनाशक नहीं दिया।
इतना ही नहीं, इसके बाद उसने जहरीले पौधे खाने की कोशिश की लेकिन उसकी बहन ने रोक दिया। उसके इस व्यथा की जानकारी जब एक ग्राफिक डिजाइनर को हुई तो उसने क्राउड फंडिग के जरिए महिला की मदद की अपील की।
इस घटना की जानकारी होने के बाद क्राउड फंडिंग से उसे 1.45 लाख रुपये मिले। इसके अलावा सलेम जिला प्रशासन अब महिला को विधवा पेंशन भी दिया है।