भाजपा का संकल्प पत्र बनाम कांग्रेस का घोषणा पत्र

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वैसे तो भारत में चुनाव एक महापर्व है. उत्तर-प्रदेश और बिहार की जनता के लिए चाय के साथ राजनीतिक चर्चा का एक बेहद ही महत्वपूर्ण स्थान है. अब हर 5 साल पर लगभग सभी चुनावी पार्टियाँ अपना घोषणा पत्र/संकल्प पत्र जारी करती हैं. इन कागज के पुलिंदो में जनता के सरोकार के मुद्दे हों या ना हों, लोकलुभावन वादे और वोट बटोरने के भागीरथ प्रयास जरुर होते हैं.

लोकसभा चुनाव 2019 के जानिब से सभी राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र आने शुरू हो गये हैं. जहां कुछ दिनों पहले कांग्रेस ने अपना मेनोफेस्टो/घोषणा पत्र जारी किया था, वहीं आज भाजपा ने 75 नए वादों के साथ अपना संकल्प पात्र जारी किया. यहाँ पर ये समझना जरुरी है कि संकल्प पत्र और घोषणा पत्र में धागे बराबर का फर्क होता है. घोषणा पत्र पर आप सवाल उठा सकते है क्योंकि उसमे एक पार्टी विशेष ने सार्वजनिक तौर पर घोषणा की है लेकिन संकल्प पत्र थोडा व्यक्तिगत है. संकल्प से मतलब ऐसे समझा जा सकता है कि ये मेरा अपना संकल्प है.

अब अगर पार्टियों के इन पत्रों का अवलोकन करें तो भारतीय राजनीति के मूल में कितना बदलाव हुआ यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है. जहाँ राजीव गाँधी के ज़माने में उनका बयान था कि केंद्र सरकार से भेजा हुआ 100 रुपया गरीब तक पहुचते-पहुचते 15 रूपये में तब्दील हो जाता है, अब सरकार के पास लाभार्थियों को सीधे पैसे ट्रान्सफर करने के साधन उपलब्ध हैं. बदलाव इतना हो चुका है कि यदि एक पार्टी विशेष किसानो को सालाना 6000 रूपये दे रही है तो गरीबों के लिए 75000 रूपये देने का दावा दूसरी पार्टी कर रही है.

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आखिर वो क्या कारण है कि अब भी पार्टियों को पैसे देने पड़ रहे हैं. आखिर परेशानी कहाँ पर है? हमारा विकास  कहाँ पर हो रहा है?

अभी आज आये घोषणा पत्र में भाजपा ने फिर से राम मंदिर को बनाने का संकल्प दुहराया है. आखिर भाजपा की शुरूआती राजनीति से लेकर अब तक ये मुद्दा हमेशा ही चुनाव में क्यों मुंह बाए खड़ा हो जाता है? क्या पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा बढ़ी हुई बेरोजगारी कोई मुद्दा नही हैं? निसंदेह कांग्रेस ने इस मुद्दे को समझा है और अपने घोषणा पत्र में सम्मिलित किया है लेकिन सत्तारूढ़ दल के पुराने वादों को कौन पूरा करेगा ये एक बेहद जटिल सवाल है.

नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों ने छोटे उद्योगों की कमर तोड़ दी है. इन नुकसानों की प्रतिपूर्ति आने वाली सरकार कैसे करेगी ये एक महत्वपूर्ण सवाल है और इसके जवाब हमें इन घोषणा पत्र उर्फ़ संकल्प पत्रों में ढूंढने होंगे.