मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान में मंदिर के बाहर ताला टांगने का रहस्य ?

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महंदीपुर बालाजी
महंदीपुर बालाजी

 मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान में मंदिर के बाहर ताला टांगने का रहस्य ? ( Secret of hanging the lock outside the temple in Mehandipur Balaji Temple Rajasthan )

कलयुग के समय में भी बालाजी या पवन पुत्र हनुमान के प्रति लोगों में बहुत आस्था है. राजस्थान में विश्वविख्यात मेहंदीपुर में बालाजी मंदिर है. जहां पर लोग दूर दूर से बालाजी महाराज के दर्शन करने के लिए आते हैं. अगर आप भी कभी मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में गएं हैं, तो आपने देखा होगा कि मंदिर में रेलिंग ताले टंगे हुए होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये तालें टांगने के पीछे का रहस्य क्या है. अगर आपके मन में भी ऐसा सवाल कभी आया है, तो इस पोस्ट में आपको आपके सवाल का जवाब मिल जाएगा.

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बालाजी महाराज

मंदिर के बाहर ताला टांगने का रहस्य-

मंदिर के बाहर ताला टांगने के पीछे ऐसी मान्यता है कि बालाजी के भक्त यहां ताला बांधने के साथ साथ अपने संकट भी यहीं बांध देते हैं. जिससे उनके जीवन के संकट टल जाते हैं. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के महंत जी या पुजारी जी जिन पर बालाजी महाराज की शक्ति आती है पीड़ित व्यक्ति जाकर सम्पर्क करते हैं और तालों के माध्यम से अपने संकटों का बंधन करवाते हैं. ऐसा भी माना जाता है कि यह प्रक्रिया गुरू या महंत की उपस्थिति में ही की जाती है. उनके सानिध्य में विधि विधान से ताला लगाया जाता है. उसी से हमें सही लाभ मिलता है. जो भक्त पहली बार जाते हैं, उनको किसी मंदिर विशेष की प्रथा के बारे में पता नहीं होता है. वो सिर्फ लोगों की देखा देखी में ही उसका अनुसरण करने लगते हैं. जोकि गलत होता है. मंदिर में ताला टांगने का रहस्य यही है कि हम वहां अपने संकट को तालों के साथ ही बांध देते हैं.

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हनुमान जी

राम ने क्यों सुनाई थी हनुमान जी को मौत की सजा ?

अगर हनुमान जी को मौत की सजा सुनाने के पीछे के कारण की बात करें, तो इसके पीछे एक रहस्य था. ऐसा माना जाता है कि एक बार नारद जी के कहने पर हनुमान जी ने विश्वामित्र को छोडकर बाकि सभी संतो का स्वागत किया. इसके पीछे कारण था कि विश्वामित्र भी एक समय पर राजा हुआ करते थे.

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बालाजी महाराज

हनुमान द्वारा संतो के साथ स्वागत ना करने पर विश्वामित्र को लगा कि उनका अपमान किया गया है. इस कारण वो नाराज हो गए. नाराज होने के बाद विश्वामित्र ने राम से हनुमान जी को मृत्युदंड देने के लिए कहा. आप जानते हैं कि विश्वामित्र जी भगवान राम के गुरू थे. जिसके कारण भगवान राम उनके आदेश को टालना नहीं चाहते थे.

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इसी कारण भगवान राम जी ने हनुमान पर तीर से प्रहार किया, लेकिन हनुमान जी राम नाम का जाप करने लगे. जिससे सभी तीर वापस लौट गए. इसके बाद रामजी ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग भी किया. जिसके बाद भी हनुमान जी रामजी का स्मरण करते रहे. ब्रह्मास्त्र भी हनुमान जी की परिक्रमा करने के बाद वापस चला गया. इस तरह अपनी भक्ति से प्रसन्न होकर श्री राम ने हनुमान जी को मौत की सजा सुनाने का फैसला बदल लिया.

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