महाराष्ट्र के पुणे में शनिवार वाड़ा स्थित है। इसका निर्माण बाजीराव पेशवा ने करवाया था और 1732 में यह पूरी तरह बनकर तैयार हो गया था। आपको यह भी बताना चाहेंगे शनिवार वाड़ा को बनाने में करीब 1 6 हजार रुपये का खर्च आया था। उस समय इस महल में करीब 1000 लोग निवास करते थे। इस प्रसिद्ध और सुन्दर्य महिल के नींव शनिवार के दिन रखी गई थी। इसी वजह से इसका नाम ‘शनिवार वाड़ा’ पड़ा था।
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अगर इस महल के इतिहास के बारे में बात करे तो करीब 85 साल तक यह महल पेशवाओं के राज में था। लेकिन 1818 ईस्वी में इस पर अंग्रजों ने धावा बोल लिया और अपना कब्ज़ा इस महल पर कर लिया। आजादी के समय तक यह महल अंग्रेजो के अधिकार अंतर्गत रहा।
इसी महल में 30 अगस्त 1773 की रात 18 वर्षीय नारायण राव की षडयंत्र करके मौत के घाट उतर दिया गया था। जो मराठा साम्राज्य के नौवें पेशवा के तोर पर गद्दी संभाली थी। यह कथा भी काफी प्रख्यात है कि उनके चाचा ने ही षडयंत्र रच उनकी हत्या करवाई थी। और आज भी अमावस्या की रात महल में चीखे सुनाई देती है। शनिवार वाड़ा से एक और बड़ा रहस्य जोड़ा है की जो आज तक अनसुलझा है। वर्ष 1828 में इस महल में भयंकर आग लग गई थी। जो सात दिनों तक धधकती रही थी। अब यह आग कैसे लगी थी, ये आज भी एक सवाल का जवाब नहीं मिला है।