क्या भारत में सट्टा वैध करना चाहिएं ?

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सट्टा
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सट्टा जिसको एक तरह का जुआ भी कहा जाता है. वर्तमान में भारत में पूरी तरह से प्रबंधित है. सट्टा लगाना भारत में कानूनी जुर्म है. दुनिया के कई देशों में सट्टा खेलना वैध भी माना जाता है. लेकिन अब सवाल ये उठता है कि क्या भारत में भी सट्टा लगाने को वैधता प्रदान करनी चाहिएं ?

इस सवाल के जवाब में लोगों के अलग अलग मत हो सकते हैं. यह बहस का मुद्दा रहा है. कुछ लोगों का मानना है कि सट्टा भारतीय समाज और संस्कृति के लिए सही नहीं होगा. कुछ लोग इसका समर्थन भी करते हैं कि सट्टा को वैध बनाना चाहिएं.

29 10 2020 satta 20975608 -
सट्टा

सट्टा को वैध करने का समर्थन करने वालों का कहना है कि भारत में सट्टा वैध नहीं है, लेकिन खेला तो फिर भी जा रहा है. जा तो इसको पूरी तरह से बंद करना चाहिए या फिर कानूनी जामा पहनाकर वैध ही बना देना चाहिए. ये कड़वी सच्चाई भी है कि कानूनी तौर पर अवैध होने के बाद भी भारत में बड़े स्तर पर सट्टा खेला जाता है. फेडरेशन ऑफ इंडियन चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सट्‌टेबाजी का कारोबार 3 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा पर पहुंच चुका है. जो अपने आप में ये साबित करने के लिए काफी है कि कितने बड़े स्तर पर सट्टा खेला जाता है.

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2013 में आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग की जांच के लिए गठित लोढ़ा पैनल ने सिफारिश की थी कि क्रिकेट में बेटिंग (सट्‌टेबाजी) को कानूनी दर्जा दे दिया जाए. इस में कहा गया कि सट्टे को पूरी तरह से नहीं रोका जा पा रहा है, इससे बेहतर तो ये है कि क्रिकेट में सट्टेबाजी को वैध कर दिया जाए. इसका एक दूसरा बड़ा फायदा ये होगा कि इससे टैक्स के रूप में सरकार को बड़े स्तर पर रकम मिलेगी. इसका विरोध करने वालों का मानना है कि टैक्स के लिए सट्टे को वैध करने का कोई औचित्य नही बनता है.

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सट्टा भारत में वैध होगा या नहीं ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन सट्टे को वैध करने के समर्थन और विरोध में लोगों के अलग अलग तर्क है. भारत में सट्टा अवैध होने के बाद भी कड़वी सच्चाई है कि यह बड़े स्तर पर लगाया जाता है.