पश्चिमी देशों में भी बड़े स्तर पर पूजे जाते है श्रीकृष्ण

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हिन्दू धर्म में भगवान श्री कृष्ण पूजे जाते है। भारत में बड़े -उल्लस के साथ श्रीकृष्ण की आरधना होती है लेकिन क्या आप जानते है पश्चिम में भी श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है? किसी भी आम इंसान की तरह कृष्ण का बचपन शरारत और खेलकूद से भरा रहा तो युवावस्था मनमौजीपन से। वह युद्ध कला में निपुण तो थे ही उसी के साथ बुद्धिमान और चालक भी थे. श्याम वर्ण होने के बावजूद महिलाओं में लोकप्रिय भी थे।

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यह इंसानी फितरत है कि हम ऐसे चरित्रों के साथ ज्यादा सामंजस्य बना पाते हैं और उनसे ज्यादा करीबी महसूस करते हैं जो हमारी तरह के होते हैं। पूरब से लेकर आज पश्चिम तक कृष्णा की धूम है। दुनिया को प्रेम का मंत्र देने वाले श्रीकृष्ण की पूजा आज बड़े तादाद में पूरी दुनिया में की जाती है।

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भगवान श्रीकृष्ण को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने में सबसे बड़ा योगदान इस्कॉन संस्था का है। इस्कॉन (ISKCON) यानी International Society for Krishna Consciousness, जिसे अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ भी कहते हैं, एक अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्था है। इसकी स्थापना कृष्ण कृपामूर्ति श्रीमद् अभय चरणारविंद स्वामी प्रभुपाद ने सन 1966 में की थी।

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इस संस्था ने भारत के अलावा, अमेरिका, इंगलैंड, कनाडा, इटली, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्राजील, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, चेक रिपब्लिक, फ्रांस, कीनिया, बांग्लादेश, लातविया, बेल्जियम, मेक्सिको, जापान, पोलैंड और स्विट्जरलैंड में दर्जनों कृष्ण मंदिर बनवाये हैं। कृष्ण भक्तों के लिए ये इस्कॉन टेंपल देखने योग्य हैं। श्रीकृष्ण की महिमा अप्रम पार है इसलिए उनकी पूजा देश ही नहीं विदेश में भी काफी विख्यात है।