नीलकंठ वो, महादेव वो, नीलांबर में सदा-सदा रहे वो,
शिव की शक्ति, शक्ति के शिव,
नमो: नमों नीलकंठ महादेव
महाशिवरात्रि का पावन पर्व इस साल 21 फरवरी को देश भर में धूमधाम से मनाए जाएगा। इस पर्व को शिव-पार्वती के विवाह के उत्सव के तौर पर भारतवर्ष में बड़े उल्लास के साथ मानते है। इस महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, यह विशेष पूजा साल में एक बार शिव-पार्वती के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाई जाती है।
शिवभक्त इस दिन शिव की आरधना करते है और व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं,इस दौरान वे लोग मांस और भारी भोजन खाने से परहेज करते हैं. इसकी जगह वे फल, दूध, दही और पानी का सेवन करते है।.बहुत से ऐसे भी शिव भक्त है जो महाशिवरात्रि पर निर्जला उपवास रख शिव की उपासना करते है। मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम दिन भर चलता रहता है। महाशिवरात्रि के दिन भक्त शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी चंदन और बेलपत्र चढ़कर अभिषेक करते है। शिवरात्रि पर दूध और बेलपत्र का बहुत महत्व होता है और इन्हे शिव का प्रिय भी माना जाता है।
अगर महाशिवरात्रि की उत्तम तिथि और समय की बात की जाए तो यही चतुर्दशी तिथि फाल्गुन में है और 21 फरवरी की शाम को 5:20 पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी और चतुर्दशी तिथि शुरू होगी. महाशिवरात्रि का महत्व बताते हुए आपको बताना चाहेंगे की महाशिवरात्रि का मतलब है, ‘शिव की महान रात’. शिवरात्रि के इस पर्व के साथ कई कथा जुड़ी हुई है।
कुछ लोगों का कहना है कि इस दिन भगवान शिव ने देवता और राक्षस के बीच हुए समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पी लिया था, जबकि यह कथा भी बहुत मशहूर है कि इस दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। वहीं कुछ प्राचीन धर्म ग्रंथ के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने ताडंव का प्रदर्शन किया था।
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वहीं कुछ प्राचीन धर्म ग्रंथ के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने ताडंव का प्रदर्शन किया था।
इसलिए भक्त उन्हें याद करते हैं, कि भगवान शिव बुराई का नाश करेंगे हैं और सच्चे भक्तों की पुकार सुनकर उनकी सारी मनोकामना पूर्ण करेंगे।