सिंगल यूज प्लास्टिक पर सरकार को बेलने पड़ सकते हैं पापड़, होगी ये परेशानियां

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Single use plastic
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सिंगल यूज प्लास्टिक पर सरकार ने पूरी तरह रोक न लगाकर फिलहाल इसके खिलाफ अभियान को जनजागरूकता तक ही सीमित रखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है. सरकार ने 2022 तक देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए कहा है. इस बीच देश के अलग-अलग जगहों की तस्वीर देखी जाए, तो प्लास्टिक बैन की राह आसान नहीं होने वाली है. इस राह में कई चुनौतियां आ रही हैं.

सबसे बड़ी चुनौती तो ये है कि एक तरफ जहां सरकार देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने को लेकर बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार उद्योग जगत की नाराजगी भी मोल नहीं लेना चाहती है. यही कारण है कि सरकार सीधे-सीधे प्रतिबंध लगाने जैसा कड़ा कदम उठाने की जगह इसका इस्तेमाल न करने के लिए जनभागीदारी पर विशेष ध्यान दे रही है.

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अब सरकार कोशिश कर रही है कि प्रतिबंध जैसा कदम उठाने की बजाय जनता को जागरूक करने का काम कर रही है कि ऐसी चिजों का उपयोग न करें. सरकार का ये कहना है कि अगर इसका इस्तेमाल नहीं करेगें तो इससे सिंगल यूज प्लास्टिक बंद हो जाएगा. यही कारण है कि पीएम मोदी खुद लगभग हर मंच से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद करने की बात कर रहे हैं. वहीं छोटे स्तर पर सरकारी दफ्तरों, अदालत परिसर, सरकारी बैठकों में सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने का कदम उठाया जा रहा है.

बता दें कि केंद्र सरकार की मुहिम से लगभग दो दशक पहले पूर्वोत्तर के पर्वतीय राज्य सिक्किम ने सन 1998 में ही प्लास्टिक बैन किया था. वहीं हरियाणा सरकार ने भी सन 2013 में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन कर दिया था. जिसके बाद पंजाब सरकार ने सन 2016 में प्लास्टिक बैग्स के वितरण और रिसाइक्लिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था. जम्मू कश्मीर में इसी वर्ष मार्च में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन कर दिया था. कई ऐसे राज्य है जहां पर तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी सिंगल यूज प्लास्टिक बैन है.

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अलग-अलग राज्यों की सरकारों ने समय-समय पर प्लास्टिक के उपयोग को रोकने के लिए कदम उठाए है. लेकिन इस बाधा की वजह से उन कदमों का लाभ भी हुआ है. अगर सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत का निर्माण करना है तो सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे.