देश में झुग्गी-झोपड़ियों की समस्या और समाधान

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झुग्गी-झोपड़ी
झुग्गी-झोपड़ी

देश को आजाद हुए 7 दशक से ज्यादा का समय हो गया है. देश में गरीबी दूर करने और जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए काफी योजनाएं बनाई गई लेकिन जमीनीं स्तर पर उनसे उस स्तर का फायदा नहीं मिला जितनी उम्मीद की गई थी. अगर इसका सबसे बड़ा कारण खोजने की कोशिश करें, तो पता चलता है कि अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए पार्टियां अपना पूरा ध्यान मुद्दों को सुलझाने की बजाय उसे उलझानें में और अपनी स्वार्थ की रोटियां सेकने में लगाती हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रेलवे लाईन के पास रेलवे की जमीन में बनी लगभग 48 हजार झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही कोर्ट को ये टिप्पणी करने को भी मजबूर होना पड़ा कि इस मुद्दे पर राजनीति ना करें. सभी राजनैतिक पार्टियों की अपनी मजबूरी है. अगर कोई राजनैतिक पार्टी इनको हटाने की के बारे में सोचती है, तो विपक्ष इसका विरोध शुरू कर देता है. इसका नुकसान ना सिर्फ रेलवे को वहां होने वाली गंदगी के साथ-साथ अतिरिक्त रेलवे लाइन बिछाने के अपनी जमीन का प्रयोग ना कर पाने के रूप में होता भी होता है, बल्कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के जीवन के साथ भी खिलवाड़ होता है, जिसे आप कोई भी हादसा होने की संभावना या गंदगी से सेहत खराब होने के खतरे के रूप में देख सकते है. एक समस्या ये है कि यदि एक स्थान से झुग्गी-झोपड़ियां हटा दी जाती हैं, तो वो दूसरे स्थान पर बना लेते हैं.

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झुग्गी-झोपड़ी


अगर हम झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के नजरिएं से देखे तो उनकी भी अपनी कुछ मजबुरियां हैं. जैसे -शहर में जमीन बहुत महंगी होती है, वो ना तो वहां जमीन खरीद सकते और ना ही इतना ज्यादा किराया दे सकते हैं. वो शहर से कहीं बाहर भी नहीं रह सकते हैं क्योंकि वहां उनको काम नहीं मिल पाता.
अगर इस समस्या के समाधान पर बात करें तो सबसे पहले तो राजनैतिक पार्टियों को अपने वोट बैंक के बारे में ना सोचते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार काम करना चाहिए तथा इन झुग्गी-झोपड़ियों को वहां से हटाना चाहिए.

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अब सवाल उठता है कि यदि ऐसा किया गया तो झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग कहां रहेंगें. तो इसके लिए भी सरकार को उनके रहने के लिए पक्के मकान बनवाने चाहिए. अगर इतनी जमीन नहीं है, तो उसके लिए सरकार जमीन जो प्रयोग में नहीं लाई जा रही वहां पक्के मकान बनाकर उनको झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को कम किराए पर दे सकते हैं. इससे सरकार की कमाई भी होगी तथा साथ ही झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों का जीवन स्तर भी बेहतर होगा. इसके साथ ही सरकार और रेलवे को ये भी ध्यान रखना होगा कि भविष्य में दूसरे स्थान पर झुग्गी-झोपड़ियां रेल पटरियों के किनारे बनने से रोका जाए.