और इस तरह लाखों चाहने वालों को सदमा देकर चाँद से भी दूर चली गयी चांदनी

523

श्रीदेवी के अंतिम सफर में उनके साथ बॉलीवुड ही नहीं बल्कि अपार जनसमूह भी शामिल था. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान से हुआ. अंतिम यात्रा से पहले श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को सुहागन की तरह सजाया गया था. सुर्ख लाल रंग की साड़ी में श्रीदेवी का शव देखकर कोई कह ही नहीं सका कि वो अब इस दुनिया से विदा ले चुकी हैं.

श्रीदेवी के शव को तिंरगे से लपेटा गया था, साथ ही महाराष्ट्र पुलिस की ओर से पद्मश्री से सम्मानित श्रीदेवी की राजकीय सम्मान से विदाई दी गई. मुंबई में विले पार्ले सेवा समाज श्मशान गृह में उनका अंतिम संस्कार किया गया. पति बोनी कपूर ने श्रीदेवी के शव को मुखाग्नि दी. इससे पहले श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को लोखंडवाला स्थित सेलिब्रेशन क्लब में अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया था.

श्रीदेवी के अंतिम दर्शनों के लिए न सिर्फ सिनेमा जगत और राजनीतिक हस्तियां पहुंचीं बल्कि मुंबई की सड़कों पर अपनी चहेती अदाकारा को विदाई देने के लिए हजारों फैंस का हुजूम उमड़ पड़ा. भीड़ इतनी ज़्यादा हो गई थी कि कई बार पुलिस को लाठी चार्ज भी करना पड़ा.

श्रीदेवी का निधन 24 फरवरी को दुबई में हुआ था और मौत की वजह दुर्घटनावश डूबने को बताया गया था. उनकी इस अंतिम यात्रा में जिस वाहन में उनके पार्थिव शरीर को ले जाया गया था उसमें अर्जुन कपूर, बोनी कपूर और मोहित मारवाह सवार थे. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने बैरिकेट्स लगाए थे.

Sridevi last meet -

बता दें, शमशान भूमि में जाने की इजाज़त सबको नहीं दी गई थी. शमशानघाट के बाहर सिर्फ बारह गाड़ियों को ही एंट्री दी गयी थी. श्रीदेवी के अंतिम संस्कार के वक्त शाहरुख खान, रणधीर कपूर और प्रसून जोशी शमशान भूमि में मौजूद थे. वहीं जावेद अख्तर, शबाना आजमी, लारा दत्ता, अमिताभ बच्चन, सुनील शेट्टी, महेश भूपति, अनिल अंबानी सहित कई हस्तियां शमशान भूमि में ही थे. मुखाग्नि देने से पहले शमशान घाट के अंदर श्रीदेवी को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया.

इस बीच श्रीदेवी के सौतेले बेटे अर्जुन कपूर का अलग ही रुख देखने को मिला. ये बात जगज़ाहिर है कि श्रीदेवी और उनकी दोनों बेटियों जाहन्वी और खुशी के साथ अर्जुन के सम्बन्ध अच्छे नहीं थे. वो उन लोगो से कभी मिलते भी नही थे. लेकिन मुश्किल की इस घड़ी में अर्जुन अपनी सौतेली बहनों के साथ खड़े दिखे. वो उन्हें काफी देर तक गले लगाकर समझाते रहे. इतना ही नही अर्जुन पिता बोने कपूर के भी साथ-साथ रहे और हर काम में उनका हाथ बंटाते दिखे. शायद अर्जुन समझते हैं कि श्रीदेवी उनके पिता बोने कपूर के लिए कितनी अज़ीज़ थी इसलिए इस बुरे वक़्त उन्हें अर्जुन के सहारे की सबसे ज़्यादा ज़रुरत है.