कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने लिंगायत समाज को अलग धर्म का दर्जा दिया

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कर्नाटक में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता देकर बड़ा दांव खेल दिया है. कांग्रेस के इस दांव से बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के लोगों की संख्या राज्य की कुल आबादी की 17 से 18 फीसदी है. बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से आते हैं. बीजेपी ने विवादित येदियुरप्पा को सीएम पद का दावेदार बनाकर इस समुदाय को लुभाने की कोशिश की थी. हालांकि, अब कांग्रेस ने नया दांव खेला है. राजनीतिक कारणों की वजह से बीजेपी कांग्रेस के इस कदम का विरोध कर रही है. इससे लिंगायतों के बीजेपी से रूठकर कांग्रेस के खेमे में जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं.

केंद्र लेगा आखरी फैसला

गौरतलब है कि लिंगायत समुदाय लंबे समय से मांग कर रहा था कि उन्हें अलग धर्म का दर्जा दिया जाए. अब कर्नाटक सरकार ने नागमोहन कमेटी की सिफारिशों को स्टेट माइनॉरिटी कमीशन एक्ट की धारा 2डी के तहत मंजूर कर लिया. इसकी अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा. वहीं, दूसरी ओर बीजेपी का पक्ष रहा है कि वह लिंगायतों को हिंदू धर्म का ही हिस्सा मानती रही है. ऐसे में बीजेपी फिलहाल कांग्रेस के इस दांव की काट तलाश रही है.

भाजपा ने किया हमला

कर्नाटक बीजेपी ने कर्नाटक कांग्रेस के इस कदम को रीट्वीट करते हुए लिखा, ‘कांग्रेस कैसे राजनीतिक फायदे के लिए लोगों को बांट रही है, यह देखकर ब्रिटिशर्स भी शर्म में डूब जाएंगे. सेक्युलर राष्ट्र कैसे एक नए धर्म को पैदा कर सकता है? संविधान के किन प्रवधानों के तहत एक अलग धर्म बनाया जा सकता है? कांग्रेस को इन सवालों को कोई परवाह नहीं है.’

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राजनीति में सक्रिय है ये समाज

1980 के दशक में लिंगायतों ने राज्य के नेता रामकृष्ण हेगड़े पर भरोसा किया था. बाद में लिंगायत कांग्रेस के वीरेंद्र पाटिल के भी साथ गए. 1989 में कांग्रेस की सरकार में पाटिल सीएम चुने गए, लेकिन राजीव गांधी ने पाटिल को एयरपोर्ट पर ही सीएम पद से हटा दिया था. इसके बाद लिंगायत समुदाय ने कांग्रेस से दूरी बना ली. इसके बाद लिंगायत फिर से हेगड़े का समर्थन करने लगे. इसके बाद लिंगायतों ने बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा को अपना नेता चुना. जब बीजेपी ने येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाया तो इस समुदाय ने बीजेपी से मुंह मोड़ लिया था.

अल्पसंख्यक का दर्जा

कर्नाटक स्टेट माइनॉरिटी कमिशन ने सात सदस्यों की एक कमेटी गठित की थी. इसके प्रमुख हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज एचएन नागमोहन दास थे. उन्होंने 2 मार्च को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी और कहा था कि लिंगायतों को कर्नाटक में अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा दिया जाना चाहिए. लिंगायत कर्नाटक में सवर्ण समुदाय है.