गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई थी. ऐसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गौरक्षा के नाम पर हिंसा रुकनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि हर राज्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए हर जिले में नोडल अफसर तैनात हों, जो ये सुनिश्चित करें कि कोई भी विजिलेंटिज्म ग्रुप कानून को अपने हाथों में न ले. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कुछ लोग गौरक्षा के नाम पर ‘अपनी दुकानें’ चला रहे हैं. ऐसे में गौरक्षा के नाम पर दुकान चलाने वालों के लाइसेंस भी रद्द कर दिए गए थे.
ब्रिटिश काल से शुरू हुआ गो-हत्या का प्रकोप
ताजा मामलों में फिर राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने राज्य सभा में गाय संरक्षण बिल 2017 पेश किया और गोहत्या के दोषियों के लिए फांसी की सजा देने की मांग की. स्वामी ने कहा की देश में ब्रिटिश काल आने के बाद ही गो हत्या का प्रकोप आया था. मुग़ल काल में बहादुर शाह जफ़र ने गौ-हत्या पर प्रतिबंध लगया था.
स्वामी ने सदन को बताया कि आधुनिक विज्ञान में यह बात साबित हो चुकी है कि गाय से मिलने वाले उत्पादों के कई वैज्ञानिक पहलू हैं. उन्होंने कहा कि गौमूत्र का इस्तेमाल दवा बनाने में भी होता है.
स्वामी द्वारा दिए गए नए प्रावधानों के मुताबिक हरेक गांव में गोशाला की स्थापना होनी चाहिये. गौमांस निर्यात की अत्याधिक मांग है , इसलिए इस धंधे में जो लोग शामिल हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिये.
सांसद आनंद भास्कर ने दी टिपण्णी
स्वामी के प्रस्ताव के बाद तेलंगाना से कांग्रेस के सांसद आनंद भास्कर ने उनपर तंज कसते हुये कहा कि हमें गाय की सेहत पर ध्यान देना चाहिये लेकिन गाय को राजनीतिक पशु नहीं बनाना चाहिये.
सीपीआई के सांसद डी राजा ने सदन से पूछा कि क्या स्वामी के बिल से सरकार सहमत है या असहमत, इस पर जवाब देना चाहिए. राजा के मुताबिक़ हाल के दिनों में गोहत्या के आरोप में दलितों, मुस्लिमों को हिंसक भीड़ का निशाना बनना पड़ा है