सुप्रीम कोर्ट ने ADJ की नियुक्ति पर लिया अहम फैसला

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सुप्रीम कोर्ट का निचली अदालतों में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज और इससे उच्चतर पदों पर भर्ती के सन्दर्भ में एक अहम फैसला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अधीनस्थ न्यायालय से जिला जज के तौर पर नियुक्ति के लिए 7 साल की वकालत की प्रैक्टिस होना अनिवार्य इसका सीधा तत्पर्य यह है की अधीनस्थ न्यायालय से जिला जज के तौर पर सीधी नियुक्ति नहीं होगी , उसके लिए योग्य नहीं माना जाएगा।

आपको बता दे की आखिर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला किस मामले के सन्दर्भ में आया है। दिल्ली हाईकोर्ट में पांच एडीजे की भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे. इसमें शर्त रखी गई थी कि इस पद के लिए वकील को सात साल की प्रैक्टिस होना अनिवार्य है और इसके अलावा उम्र और शैक्षणिक योग्यता भी शामिल थी. स्पेशल रेलवे मजिस्ट्रेट हरियाणा (अंबाला) नीतिन राज सहित कई जजों ने भी इसी पद के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहा।

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हालांकि, जजों का आवेदन स्वीकार नहीं किया गया. बाद में पता चला कि निचली अदालतों के जज एडीजे की परीक्षा के लिए योग्य नहीं हैं. इस मामले को एसआरएम नीतिन राज ने 23 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक मजिस्ट्रेट के तौर पर कार्यरत है , उन्हें जिला जज के पद के लिए सीधे तौर पर उनकी नियुक्तिका अवसर प्राप्त नहीं हो सकता है। उन्हें भी बाकी उम्मीदवारों की तरह 7 साल की प्रैक्टिस के बाद इम्तिहान पास होने की शर्त पूरी करनी होगी।

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साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह भी साफ़ किया गया है की जिला जज की परीक्षा के लिए वकालत में कम से कम 7 साल की प्रैक्टिस होना अनिवार्य है यानि की सिविल जज जूनियर डिविजन के सदस्य, डिस्ट्रिक्ट जज पद के लिए होने वाले परीक्षा में सीधे आवेदन नहीं कर सकते। हायर ज्युडिशियल सर्विस में वकीलों की सीधी भर्ती परीक्षा के लिए 7 साल की वकालत का अनुभव जरूरी है।