अंडा या सौंफ खाने के शौकीन हों तो ये खबर जरूर पढ़ें….. | If you are fond of eating egg or fennel, then definitely read this new | Patrika News

114

अंडा या सौंफ खाने के शौकीन हों तो ये खबर जरूर पढ़ें….. | If you are fond of eating egg or fennel, then definitely read this new | Patrika News

इस वर्ष ही 525 सैंपल लेकर जांच के लिए स्टेट लैब में भेजे गए। इसमें से 240 की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है, जिसमें से 47 सैंपल फेल हुए हैं। हाल ही के दिनों में रिपोर्ट मिलने की रफ्तार और तेज हो गई है। उससे और ज्यादा रफ्तार पर मिलावटखोर भी लगे हुए हैं।

इस बार की प्राप्त रिपोर्ट में जो 47 सैंपल फेल हुए हैं उनमें सबसे ज्यादा 8 मसालों के हैं। सौंफ में हरे रंग की मिलावट तक सामने आई है। वहीं चाइना के अंडों के शक में लिए सैंपलों में पैक्ड अंडे का सैंपल फेल हुआ है। लूज अंडों के सैंपल पास हो गए हैं। नमकीन के दो सैंपल सहित दूध, दही तक के सैंपल फेल हुए हैं।

मिलावट में मावा, पनीर, दूध और तेल भी पीछे नहीं वहीं मिलावट के मामले में प्रदेश में मावा, दूध, पनीर और तेल के मामले भी कम नहीं हैं। मावा के 366 सैंपल लिये गये थे जिसमें 137 फेल पाये गये। दूध की बात करें तो प्रदेश भर में 869 नमूने लिये गये थे, जिसमें 239 सैंपल फेल पाये गये। कुछ यही आंकड़े पनीर के हैं। पनीर के 292 सैंपल लिये गये इसमें 96 अवमानक श्रेणी के मिले। खाने वाले तेल के नमूनों की बात करें तो प्रदेश भर से 1119 नमूने लिये गये, इसमें 218 फेल पाये गये। इसके अलावा मसाले के 995 सैंपल लिये गये, जिसमें 202 फेल निकले। चॉकलेट-टॉफी की बात करें तो खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने शंका के आधार पर 190 नमूने लिये जिसमें से 58 फेल पाये गये। बेकरी प्रॉडेक्ट के 432 सैंपल लिये गये जिसमें 50 फेल निकले।

खाद्य एवं औषधि के अमले को सूचना मिली थी कि जेके रोड स्थित ओजस इंटरप्राइसेस पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर प्लांट में बड़ी मात्रा में पानी के पाउच तैयार हो रहे हैं। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने गुरूवार को प्लांट का निरीक्षण किया तो यहां 700 बोरी में पानी के पाउच भर कर रखे गये थे, जिनकी संख्या करीब 42 हजार थी। इनमें से किसी एक पाउच पर नियम का पालन नहीं हो रहा था।

हाल ही में तीसरी फैक्ट्री की गई सील
पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर के पाउच बनाने के नाम पर जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाली तीसरी फैक्ट्री सील की गई है। इससे पहले रापडिय़ा गांव में स्थित मेसर्स आनेस्ट पीपल ब्रेवरेज कंपनी पर कार्रवाई की गई। वहीं एक और अन्य फैक्ट्री को सील किया है।

वहीं वर्फ का एक भी सैंपल नहीं लिया
इन दिनों बड़ी मात्रा में शहर में बर्फ खपाई जा रही है। यह बर्फ कहां से आ रही है। इसकी जानकारी खुद विभागीय अमले को नहीं है। शहर में खाने योग्य बर्फ का निर्माण इतने बड़े पैमाने पर नहीं किया जाता है। यहां सिर्फ अखाद्य बर्फ ही बनाई जाती है। इससे साफ होता है कि कहीं न कहीं बड़ी लापरवाही शहर में हो रही है।



उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News