अधिकारियों और मंत्रियों को था जनता से मिलने का आदेश, आज तक नहीं हुआ पालन और अब सीएम एकनाथ शिंदे का नया फरमान

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अधिकारियों और मंत्रियों को था जनता से मिलने का आदेश, आज तक नहीं हुआ पालन और अब सीएम एकनाथ शिंदे का नया फरमान

अधिकारियों और मंत्रियों को था जनता से मिलने का आदेश, आज तक नहीं हुआ पालन और अब सीएम एकनाथ शिंदे का नया फरमान


मुंबई: खुद को जनता का मुख्यमंत्री कहने वाले एकनाथ शिंदे के राज में आए दिन मंत्रालय के सामने मुंबई और दूर-दराज से आए आम लोगों द्वारा आत्महत्या की कोशिश किए जाने की घटनाएं हो रही हैं। इन घटनाओं की वजह से मुख्यमंत्री शिंदे ने महाराष्ट्र के अधिकारियों और मंत्रियों को आदेश दिया है कि वे आम आदमी से मिलने के लिए समय और दिन मुर्कर करें, ताकि कोई मंत्रालय आकर आत्महत्या का प्रयास न करे। हालांकि ऐसा आदेश पहले से ही है, पर उसका पालन न तो मंत्री करते हैं और न ही अधिकारी करते हैं। आम आदमी के मिलने के लिए उनके पास समय ही नहीं है। ऐसे में अब सरकार ने एक बार फिर नए सिरे से नया फरमान जारी किया है।

शिंदे सरकार खुद को आम जनता की सरकार कहती है, लेकिन पिछले ही सोमवार को मंत्रालय में दो महिलाओं ने सबके सामने जहर पी लिया। इनमें से एक की मौत हो गई, जबकि दूसरी की हालत चिंताजनक है। इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं मंत्रालय और विधानभवन के सामने होती रही हैं। ऐसा क्यों होता है, इस पर चिंतन-मनन करने के लिए मंत्री या अधिकारी के पास समय ही नहीं है।

आम लोगों के लिए फुरसत ही नहीं

लोकल लेवल पर न्याय न मिलने पर लोग न्याय की उम्मीद लेकर मंत्रियों और उच्चाधिकारियों से मिलने, उन्हें अपनी व्यथा सुनाने मंत्रालय आते हैं। लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं है। मंत्रालय के एसी कमरे में बैठे मंत्रियों और अधिकारियों के पास आम आदमी से मिलने के लिए समय ही नहीं है। वे बड़े नसीब वाले होते हैं, जिनकी मंत्रालय में कोई सुन लेता है। बार-बार चक्कर लगाने के बाद अक्सर लोगों को निराशा ही हाथ लगती है। फिर वे आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं। जमीन विवाद को लेकर धुलिया जिले से आए एक व्यक्ति ने कहा कि गांव में सरकार की खूब वाहवाही होती है, लेकिन मंत्रालय आने के बाद पता चलता है कि तथ्य क्या है? यहां पर किसी की सुनवाई नहीं होती। हम जैसे लोगों से मिलने के लिए अधिकारी के पास समय नहीं है और मंत्री है कि उसका अता-पता नहीं है। मंत्रालय के चक्कर काट कर तंग हो गए हैं।

पुराने आदेश का नया फरमान

अब मुख्यमंत्री शिंदे ने फिर से पुराने आदेश पर नया फरमान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अधिकारी 3 बजे से 4 बजे के बीच कोई मीटिंग वगैरह नहीं करें। यह समय सिर्फ आम आदमी से मिलने के लिए निश्चित रखें। इससे संबंधित नोटिस बोर्ड अपने कार्यालय के सामने लगाएं कि वे कितने बजे मिलने वाले हैं। इसी तरह मंत्री भी निश्चित करें कि वे सप्ताह में कितने दिन और कितने बजे आम आदमी से मिलने वाले हैं।

आम आदमी के लिए तय किए गए समय के दौरान कोई अन्य मीटिंग या अन्य कार्यक्रम नियोजित न किए जाएं। जनता से मिलने के समय मंत्री और अफसर कार्यालय में मौजूद रहें। नए फरमान में कहा गया है कि जोनल स्तर पर प्रत्येक सरकारी कार्यालय के अधिकारी सप्ताह में कम से कम दो दिन निर्धारित करें और जनता से मिलने के लिए एक निश्चित समय आरक्षित करें। ऐसा ही आदेश स्थानीय नगर निगमों, नगर परिषदों, नगर पंचायतों और नागरिक स्थानीय निकायों को जारी किया गया है।

दो महिलाओं ने पिया जहर

गाडेकर धुले एमआईडीसी औद्योगिक क्षेत्र में जमीन के एक भूखंड के विवाद के सिलसिले में मंत्रालय आई थी। नवी मुंबई की रहने वाली संगीता दावरे भी एक अलग मामले में न्याय मांगने के लिए मंत्रालय गई थी। दोनों सोमवार को एक ही कैब से मंत्रालय पहुंचे। दोनों एक ही ऐक्टिविस्ट के संपर्क में थीं। जब दोनों को जहर पीते देखा गया, तो मंत्रालय के गेट पर तैनात पुलिस वालों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। दोनों को तुरंत जेजे अस्पताल ले जाया गया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि गाडेकर की इलाज के दौरान मंगलवार को मौत हो गई, जबकि दावरे की हालत गंभीर है।

गाडेकर का आरोप था कि उनके पति के स्वामित्व वाले एक भूखंड को 2010 में फर्जी और जाली दस्तावेजों की मदद से महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम के अधिकारियों द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर स्थानांतरित कर दिया गया था। तब से वह विभिन्न स्तरों पर इसकी शिकायत कर रही थी। हाल ही में उसने न्याय नहीं मिलने पर आत्महत्या करने की चेतावनी भी दी थी। दावरे के मामले में, उसके पति, एक पुलिस कांस्टेबल, ने एक सर्जरी के दौरान अपना पैर खो दिया था, और वह डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही थी। दोनों महिलाएं जिस ऐक्टिविस्ट के संपर्क में थीं, पुलिस अब उसकी भूमिका की जांच कर रही है।

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