असदुद्दीन ओवैसी और शिवपाल को न्योता, बिहार पर दावा… ये कैसी पॉलिटिक्स कर रहे ओपी राजभर?

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असदुद्दीन ओवैसी और शिवपाल को न्योता, बिहार पर दावा… ये कैसी पॉलिटिक्स कर रहे ओपी राजभर?

असदुद्दीन ओवैसी और शिवपाल को न्योता, बिहार पर दावा… ये कैसी पॉलिटिक्स कर रहे ओपी राजभर?

लखनऊ: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों पर काम करना शुरू कर दिया है। पार्टी की ओर से लखनऊ से सावधान यात्रा की शुरुआत की गई। इस यात्रा के जरिए सुभासपा अध्यक्ष राजभर अपने वोटरों के बीच खुद को स्थापित करने का कार्य करेंगे। ओम प्रकाश राजभर की नजर यूपी की राजनीतिक दखल का इस्तेमाल करते हुए बिहार की राजनीति में दस्तक देने की है। यूपी में ओबीसी की राजनीति करने वाले राजभर ने अब अपनी राजनीतिक ताकत को बढ़ाने के लिए उन चेहरों को भी टारगेट करना शुरू किया है, जो उनके लिए वोट का समीकरण तैयार करने में मददगार साबित हो सकते हैं। ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी से अलग रुख अपनाने वाले शिवपाल यादव और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को भी साधने की रणनीति तैयार की है। दोनों नेताओं को साथ आने का आह्वान सावधान यात्रा के रथ से ही ओम प्रकाश राजभर ने कर दिया।

सुभासपा अध्यक्ष ने लखनऊ से सावधान यात्रा की शुरुआत करते हुए कहा कि हम एक राजनीतिक विकल्प बनने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा कि राजभर जाति को तमाम राजनीतिक दलों ने वोट बैंक बनाया हुआ है। चुनाव के समय में हमारी जाति को अपनी तरफ मिलाने के लिए लगातार प्रयास किया जाता है। चुनाव के बाद अलग थलग कर दिया जाता है। इस बयान के जरिए उन्होंने एक साथ भाजपा और समाजवादी पार्टी को साध लिया। वर्ष 2017 के यूपी चुनाव में सुभासपा ने भाजपा गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था। योगी सरकार में मंत्री भी बने, लेकिन जल्द ही उनका इस गठबंधन से मोह भंग हो गया। यूपी चुनाव 2022 में राजभर अखिलेश यादव के साथ गठबंधन में गए। चुनाव परिणाम आए छह माह भी नहीं हुए और वे इस गठबंधन से बाहर हो गए हैं। अब नए राजनीतिक विकल्प बनने की कोशिश में हैं।

ओवैसी और शिवपाल पर क्यों हैं निगाहें?
ओम प्रकाश राजभर जानते हैं कि पूर्वी यूपी की करीब 100 विधानसभा सीटों में राजभर जाति का ठीक-ठाक वोट बैंक है। इसके सहारे वे जीत-हार का अंतर पैदा कर सकते हैं। ऐसे में उनके निशाने पर शिवपाल यादव हैं। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अध्यक्ष शिवपाल यादव अभी तो सपा विधायक हैं। लेकिन, पार्टी से बाहर दिख रहे हैं। दोबारा सपा से गठबंधन न करने की बात कर रहे हैं। ऐसे में अगर शिवपाल और राजभर एक पाले में आते हैं तो यादवों का सपा से नाराज वोट बैंक इस गठबंधन की तरफ शिफ्ट हो सकता है।

वहीं, असदुद्दीन ओवैसी भले ही यूपी चुनाव 2022 में सफल नहीं हो पाए, लेकिन बिहार के सीमांचल में वे अपना राजनीतिक प्रभाव छोड़ने में सफल रहे हैं। बिहार चुनाव 2020 में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, बाद में ओवैसी के 4 विधायक उनका साथ छोड़कर राजद के साथ जा मिले। ऐसे में ओवैसी को साधकर राजभर ओबीसी+मुस्लिम+यादव का एक विनिंग कॉम्बीनेशन तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं।

नीतीश के लिए पेश करेंगे चुनौती
ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि हमारी पार्टी यूपी में 6 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है तो बिहार में क्यों नहीं जीत दर्ज कर सकती है? हम बिहार में भी सफल होंगे। बिहार में उनके सफल होने के दावों के बीच यह बात साफ होती दिख रही है कि वे नीतीश कुमार की ही चुनौती बढ़ाने वाले हैं। राजभर की नजर नीतीश कुमार के कोर वोट बैंक ओबीसी+महादलित वोट बैंक पर है। इस समर्पित वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश राजभर की रहने वाली है। राजभर ने अपने रुख से साफ कर दिया है कि वे बिहार क सियासत में अपनी दखल बढ़ाने की पुरजोर कोशिश करने वाले हैं। सफलता का रिजल्ट लोकसभा चुनाव में आएगा।

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