आतंकवादी बनाने व सुसाइड बॉम्बिंग की‌ स्तब्ध दास्तां, ‘द केरल स्टोरी’ के आगे की कहानी है ’72 हूरें’

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आतंकवादी बनाने व सुसाइड बॉम्बिंग की‌ स्तब्ध दास्तां, ‘द केरल स्टोरी’ के आगे की कहानी है ’72 हूरें’

आतंकवादी बनाने व सुसाइड बॉम्बिंग की‌ स्तब्ध दास्तां, ‘द केरल स्टोरी’ के आगे की कहानी है ’72 हूरें’

दुनिया भर में आतंकवाद का नासूर फ़ैलता ही जा रहा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये आतंकवादी कौन होते हैं, कहां से आते हैं? आतंवादी कोई एलियन नहीं होते हैं, बल्कि हमारे-आपके जैसे दिखने वाले साधारण लोग होते हैं, जो हमारे बीच से निकलते हैं और ख़ूंखार रास्ता अख़्तियार करते हैं। उनके सोचने का तरीका उन्हें औरों से अलग ठहराता है। धर्म और जिहाद के नाम पर इन‌ आतंकवादियों के दिमाग में इस क़दर ज़हर भरा जाता है कि वे मासूम लोगों की जान लेने और क़त्ल-ए-आम करने से पहले‌ एक बार भी नहीं सोचते हैं।

एक ऐसी ही फिल्म आ रही है, जिसमें आतंकवादियों को ट्रेनिंग के दौरान इस बात का यकीन दिलाया जाता है कि मरने के बाद 72 कुंवारी लड़कियों जन्नत में उनकी सेवा में हाज़िर रहेंगी। ऐसे में यह आतंकवादी‌ मरने के बाद 72 हूरें के साथ अय्याशी के सपने‌ देखने‌ लगते हैं और इनकी लालच में आतंकवाद की क्रूर घटनाओं को अंजाम देने से नहीं चूकते हैं।

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’72 हूरें’ की कहानी

मगर इन्हें इस बात का कतई अंदाज़ा नहीं होता है कि 72 हूरों का दिखाया गया सपना दरअसल एक‌ सपना ही है, जिसे कभी भी पूरा नहीं किया जा सकता है। वे नहीं जानते हैं कि जिहाद के नाम पर उनका अंजाम भी बहुत बुरा होगा और उन्हें एक‌ ऐसी मौत मिलेगी जिसके बारे में उन्होंने‌ कभी सोचा भी नहीं होगा। वे नहीं जानते हैं कि मरने‌ के बाद जन्नत में अय्यासी का उन्हें दिखाया गया ख़्वाब दरअसल उनकी बर्बादी का ऐसा रास्ता है जहां मौत के अलावा उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा।

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‘आतंकवाद की खोज करती है 72 हूरें’

फ़िल्म 72 Hoorain का टीज़र एक रिएलिटी चेक की तरह सामने‌ आया है, जिसमें दिखाया गया है कि सुसाइड बॉम्बिंग आम‌ लोगों की ब्रेन‌वॉशिंग का नतीजा होता है। साधारण लोगों को धर्म और आस्था के नाम पर आतंकवाद की राह पर चलने के लिए मजबूर किया जाता है। फ़िल्म ’72 हूरें’ के निर्देशक और दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके संजय पूरण सिंह कहते हैं, ‘आम लोगों को धीरे-धीरे दिया जा रहा दिमाग़ी ज़हर उन्हें आतंकवादी बना रहा है। ये आत्मघाती हमलावर भी हमारी तरह ही साधारण परिवारों से ताल्लुक रखते हैं, जो आतंकी आकाओं द्वारा दिखाए गये ग़लत रास्तों व ब्रेनवॉशिंग की बलि चढ़ जाते हैं और फिर ख़ूंखार आतंकवादी में तब्दील हो जाते हैं। 72 हूरों की ख़ुशफ़हमी के चलते वो बर्बादी के रास्ते पर चल पड़ते हैं और फिर उनका अंजाम बहुत ही दर्दनाक होता है। हमें ये समझने की ज़रूरत है कि बड़े पैमाने पर लोगों को बरगला कर उन्हें आतंकवाद के रास्ते पर ले जाया जा रहा है। ऐसे में अब आतंकवाद की जड़ों को खोजने और उसे समूल रूप से नष्ट करना बेहद आवश्यक हो गया है।’

कब रिलीज होगी ’72 हूरें’

पवन मल्होत्रा और आमिर बशीर स्टारर ’72 हूरें’ को गुलाब सिंह तंवर ने‌ बनाया है और अशोक पंडित इसके को-डायरेक्टर हैं। यह फ़िल्म 7 जुलाई, 2023 को देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज़ की‌ जाएगी।