आत्महत्या के रोजाना दो से तीन मामले नाबालिग से लेकर बुजुर्ग तक शामिल | Daily two to three cases of suicide involved from minor to elderly | Patrika News

87
आत्महत्या के रोजाना दो से तीन मामले नाबालिग से लेकर बुजुर्ग तक शामिल | Daily two to three cases of suicide involved from minor to elderly | Patrika News

आत्महत्या के रोजाना दो से तीन मामले नाबालिग से लेकर बुजुर्ग तक शामिल | Daily two to three cases of suicide involved from minor to elderly | Patrika News

आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने बढ़ाई पुलिस और समाज की चिंता

जबलपुर

Published: August 01, 2022 11:11:33 am

जबलपुर. जिले में आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने समाज और पुलिस की चिंता बढ़ा दी है। आत्महत्या के रोजाना दो से तीन मामले सामने आ रहे हैं। इसमें कम उम्र के नाबालिग से लेकर बुजुर्ग भी शामिल हैं। कई ऐसे मामले भी सामने आए, जिनमें परिवार के किसी एक व्यक्ति की आत्महत्या के बाद पूरा परिवार बिखर गया। कई ऐसी घटनाएं भी हुईं, जिसमें पूरे परिवार पर संकट आ गया। समाज और पुलिस यह संदेश लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है कि आत्महत्या किसी भी परेशानी का आखिरी विकल्प नहीं है।
इन बातों का रखें ध्यान
पर्याप्त नींद लें नियमित रूप से व्यायाम करें
संतुलित पौष्टिक आहार लें नशे के सेवन से बचें
परिजन के साथ समय बिताएं
मेडिटेशन, योगा को भी दिनचर्या में शामिल करें
कोई हॉबी विकसित करें
संगीत सुनें या खेलकूद से सम्बंधित गतिविधियों में भाग लें।
10-12 प्रतिशत का इजाफा
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की मानें तो देश में आत्महत्या का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2020 में जारी किए गए एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 की तुलना में आत्महत्या से जुड़े मामलों में वर्ष 2020 में लगभग 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वर्ष 2020 में देश में एक लाख 53 हजार 52 लोगों ने आत्महत्या की। यह आंकड़ा वर्ष 2022 में बढ़कर 12 प्रतिशत तक हो गया है। वर्ष 2020 में आत्महत्या करने वालों में मध्यप्रदेश के 9.5 प्रतिशत लोग शामिल थे।
ऐसे जन्म लेती है आत्महत्या की मनोदशा
निराशाजनक या बिना किसी उद्देश्य के जीने की बात करना
दूसरों पर बोझ होने की बात करना
नशे का उपयोग बढ़ाना
चिंतित, उत्तेजित या लापरवाह होना
बहुत कम या बहुत अधिक सोना
अलग-थलग महसूस करना
अत्यधिक गुस्सा करना या बदला लेने की बात करना बार बार
मनोदशा का बदलना
छोटे परिवार बड़ी वजह, अकेलापन भी जानलेवा
काउंसलर डॉ. शोभना खरे ने बताया कि पहले बड़े परिवार हुआ करते थे। सभी एक-दूसरे का ध्यान रखते थे। लेकिन, आधुनिकता के दौर और जीवन की आपाधापी में परिवारों ने छोटा रूप ले लिया। सभी अपने-अपने में व्यस्त हो गए। ऐसे में यदि परिवार का कोई सदस्य किसी परेशानी में है तो उस पर ध्यान नहीं जा पाता। यदि ध्यान जाता भी है तो औपचारिक चर्चा तक सीमित रहता है। इसलिए अकेलापन जानलेवा साबित हो जाता है। लोगों को यह समझना होगा कि यदि परिवार का कोई सदस्य किसी चीज से हार रहा है या अफसल हो रहा है, तो वह आखिरी नहीं है। किसी भी परेशानी का विकल्प न तो आत्महत्या है और न ही परेशानी से दूर भागना।
जिले में आत्महत्या के मामले
वर्ष पुरुष महिलाएं बालक बालिकाएं
2019-358-122-11-37
2020-404-144-10-27
2021-365-116-05-17
एक जनवरी से 31 जुलाई तक : 237 लगभग
यह है कारण : प्रेम में असफलता, पढ़ाई में असफलता, बीमारी के कारण, दहेज प्रताडऩा, किसी के द्वारा प्रताडि़त किए जाने से, आर्थिक तंगी, शादी के बाद तनाव, पारिवारिक कलह, नशे की लत, मानसिक अवसाद।
वर्जन
ऐसे स्थानों को चिह्नित किया गया है, जहां अक्सर लोग आत्महत्या करने जाते हैं। ऐसे स्थानों पर सुरक्षा के संसाधनों के साथ पुलिस जवानों की तैनाती की गई है। पुलिस की ओर से हेल्पलाइन भी संचालित की जा रही है। यदि किसी के मन में आत्महत्या करने का विचार आता है तो वह काउंसिलिंग सेंटर में काउंसलर्स की सलाह ले सकता है। आत्महत्या किसी भी परेशानी को खत्म करने का विकल्प नहीं है।
गोपाल खाण्डेल, एएसपी

demo

newsletter

अगली खबर

right-arrow



उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News