आयुर्वेदिक दवाएं खाते हैं तो सावधान, 72 प्रतिशत दवाएं हैं सब स्टैंडर्ड, कुछ तो हैं नकली | Be Careful 72 percent Ayurvedic Medicines Sub Standard some are fake | Patrika News

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आयुर्वेदिक दवाएं खाते हैं तो सावधान, 72 प्रतिशत दवाएं हैं सब स्टैंडर्ड, कुछ तो हैं नकली | Be Careful 72 percent Ayurvedic Medicines Sub Standard some are fake | Patrika News

Ayurvedic Medicines अगर अपने मानक पर खरी रहें तो आयुर्वेदिक दवाएं बहुत ताकतवर होती हैं। आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बढ़ रही है। पर आयुर्वेदिक दवाएं लगातार सब स्टैंडर्ड की आ रही है। एक जांच में पता चला है कि, 72 प्रतिशत दवाएं सब स्टैंडर्ड है कुछ तो नकली भी हैं। जानें वजह क्या है

लखनऊ

Updated: April 10, 2022 10:38:12 am

आयुर्वेद दवाएं बहुत ताकतवर होती है। जबकि वह अपने मानक पर खरी रहें। पर यह जानकर आप ताज्जुब रह जाएंगे कि, उत्तर प्रदेश में बिकने वाली आयुर्वेद की 72 फीसदी दवाएं अधोमानक हैं। वैसे तो सभी आयुर्वेदिक दवाओं की टेस्टिंग होनी चाहिए पर होती नहीं है। बावजूद इसके आयुर्वेद विभाग के क्षेत्रीय आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारियों ने इस साल विभागीय लैब में सिर्फ 47 सैंपल भेजे थे। जिनमें 34 सैंपल अधोमानक मिले हैं। जिसके बाद सम्बंधित अफसर अलर्ट हो गए हैं और संबंधित कंपनियों को नोटिस जारी कर इन दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने की तैयारी कर रहे हैं।

आयुर्वेदिक दवाएं खाते हैं तो सावधान, 72 प्रतिशत दवाएं हैं सब स्टैंडर्ड, कुछ तो हैं नकली

गुणवत्ता बेहद खराब आयुर्वेदिक दवाओं के थोक दवा कारोबारियों के अनुसार, पहले हर माह करीब 25 से 30 लाख रुपए का कारोबार होता था, जो कोरोनावायरस संक्रमण काल में बढ़कर करीब 60 लाख रुपए हो गया था। अब कोविड कुछ शांत है फिर भी प्रदेशभर में 30 से 40 लाख रुपए की आयुर्वेदिक दवाओं का कारोबार हो रहा है। इम्युनिटी बूस्टर दवाओं के ग्राहक बढ़ रहे हैं। मुनाफा देखकर नई कंपनियां बाजार में आ रहीं हैं। जिनकी गुणवत्ता बेहद खराब है।

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निजी लैब में भी होती है सैंपल की जांच वैसे नियम तो है कि, हर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारी को हर माह कम से कम दो सैंपल भेजने चाहिए। पर आश्चर्यजनक बात यह है कि, प्रदेश के 75 जिले से सिर्फ 47 सैंपल जांच के लिए भेजे गए। आयुर्वेद विभाग बताता है कि, सैंपल का हर जिले की निजी लैब में जांच करा सकते हैं। लखनऊ की लैब में वही सैंपल आते हैं जो निजी लैब में अधोमानक प्रतीत होते हैं।

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जांच से बचते हैं अधिकारी इसके बावजूद सरकारी लैब में पहुंचने वाले सैंपल की संख्या नाममात्र की है। सूत्रों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों और आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियों के सांठगांठ से यह खेल चल रहा है। अधिकारी जांच से बचते हैं।

यूपी में 1800 दवा कंपनियां उत्तर प्रदेश में करीब 1800 दवा कंपनियां हैं। दूसरे प्रदेशों की 500 से अधिक कंपनियों की दवाएं भी यहां बिक रही हैं। अब इनका ऑनलाइन डाटा तैयार किया जा रहा है।

जांच होगी नोटिस जारी होगा – आयुर्वेद निदेशक आयुर्वेद निदेशक डॉ. एसएन सिंह ने कहाकि, जिन कंपनियों के सैंपल अधोमानक पाए गए हैं, उनकी स्थिति की जांच कराई जा रही है। संबंधित कंपनी को नोटिस जारी किया जाएगा। जो उत्पाद अधोमानक है, उसके नए बैच की भी जांच कराई जाएगी।

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