आर्टिकल 370 के खात्मे की दूसरी सालगिरह पर लद्दाख में सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने से जुड़ा बिल लोकसभा में पेश, टाइमिंग ही नहीं नाम भी है काफी अहम

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आर्टिकल 370 के खात्मे की दूसरी सालगिरह पर लद्दाख में सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने से जुड़ा बिल लोकसभा में पेश, टाइमिंग ही नहीं नाम भी है काफी अहम

नई दिल्ली
आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने की दूसरी सालगिरह पर मोदी सरकार ने लद्दाख में एक सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी बनाने से जुड़े बिल को लोकसभा में पेश किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सदन में सेंट्रल यूनिवर्सिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 पेश किया। इस बिल को पेश किए जाने की टाइमिंग ही नहीं बल्कि प्रस्तावित यूनिवर्सिटी का नाम भी काफी अहम है।

बिल की टाइमिंग ही नहीं, यूनिवर्सिटी का नाम भी काफी अहम
लद्दाख में प्रस्तावित यूनिवर्सिटी का नाम सिंधु सेंट्रल यूनिवर्सिटी है जो सिंधु नदी के नाम पर रखा गया है। यह नदी भारत और पाकिस्तान दोनों में बहती है। केंद्र ने यूनिवर्सिटी के लिए जानबूझकर ऐसे नाम का चयन किया है जो न सिर्फ लद्दाख बल्कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर और गिलगिट-बाल्टिस्तान समेत पूरे जम्मू-कश्मीर का भी प्रतिनिधित्व करे। इससे पहले, मौसम विभाग पहले से ही अपने नियमित वेदर बुलेटिन में गिलगिट-बाल्टिस्तान के मौसम का हाल बता रहा है। दो साल पहले 5 अगस्त को ही मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के आर्टिकल 370 के प्रावधानों को खत्म किया था। इसके अलावा पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटा गया।

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शोरशराबे के बीच शिक्षा मंत्री ने पेश किया बिल
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सदन में विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021’ पेश किया। इस दौरान, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सदस्य एन. के. प्रेमचंद्रन और कांग्रेस के मनीष तिवारी ने हंगामे के बीच विधेयक पेश किए जाने का विरोध किया।
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प्रेमचंद्रन ने कहा कि सदन में व्यवस्था बनने पर ही विधेयक पेश होना चाहिए। तिवारी ने कहा कि सदन में अव्यवस्था के बीच विधेयक पेश किया जाना ‘असंवैधानिक’ है।

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कैबिनेट ने 22 जुलाई को दी थी सिंधु यूनिवर्सिटी बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 जुलाई को केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसे बनाने में 750 करोड़ रूपये लागत आने की बात कही गई थी। इस विश्वविद्यालय का पहला चरण 4 वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009’ विभिन्न राज्यों में शिक्षा और अनुसंधान के लिए विश्वविद्यालयों की स्थापना करने और उन्हें निगमित करने तथा उससे संबंधित विषयों को अधिनियमित करने का उपबंध करने के लिए बनाया गया था।

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लद्दाख को मिलेगा पहली सेंट्रल यूनिवर्सिटी का सौगात
इसमें कहा गया है कि लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र में कोई केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं है, इसलिए सरकार ने लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र में एक नया केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का निश्चय किया है।

विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि इससे क्षेत्र में उच्च शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकेगा। इसमें कहा गया है, ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021 अन्य बातों के साथ केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन करने के लिए है जिससे संघ राज्य क्षेत्र लद्दाख में ‘सिंधु केंद्रीय विश्वविद्यालय’ स्थापित करने के लिए उपबंध किया जा सके।’

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पिछले साल जुलाई में पीएम मोदी जब लद्दाख दौरे पर गए थे तो ‘सिंधु पूजा’ की थी, प्रस्तावित यूनिवर्सिटी का नाम भी इसी नदी पर



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