इलाहाबाद का अल्‍हड़पन, बनारस सी सीधी बात, 3 मिनट में दिल जीतना जानते हैं ANEK में ‘एक’ अनुभव सिन्‍हा

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इलाहाबाद का अल्‍हड़पन, बनारस सी सीधी बात, 3 मिनट में दिल जीतना जानते हैं ANEK में ‘एक’ अनुभव सिन्‍हा

अनुभव सिन्‍हा (Anubhav Sinha) की फिल्‍म ‘अनेक’ का ट्रेलर (Anek Trailer) गुरुवार को रिलीज हुआ। आयुष्‍मान खुराना (Ayushmann Khurrana) जहां पहली बार इस फिल्‍म में ऐक्‍शन अवतार में नजर आने वाले हैं, वहीं फिल्‍म की चर्चा इसके प्‍लॉट को लेकर भी हो रही है। इंडियन कौन है? क्‍या भाषा से ही लोगों की पहचान है? यह फिल्‍म नॉर्थ ईस्‍ट इंडिया (North East India) यानी देश के उन ‘सेवन सिस्‍टर्स’ राज्‍यों की बात करती है, जो हिंदुस्‍तान का हिस्‍सा तो हैं, लेकिन वहां के लोगों के साथ गाहे-बगाहे भेदभाव होता आया है। कभी इसलिए कि वो दूसरे भारतीयों की तरह नहीं दिखते, तो कभी इसलिए कि उनकी भाषा और रहन-सहन बाकियों जैसा नहीं है। यह दुर्भाग्‍य ही है कि इस खबर को पढ़ रहे, हम में से बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्‍हें उन सात राज्‍यों और उनकी राजधानी का नाम भी गूगल करना पड़े। अनुभव सिन्‍हा ने करीब 3 मिनट के ट्रेलर में यह बात साबित कर दी है कि इंडस्‍ट्री में उन जैसे डायरेक्‍टर्स चुनिंदा हैं। फिर चाहे वह ‘थप्‍पड़’ (Thappad Movie) की गूंज हो या ‘मुल्‍क’ (Mulk Movie) की बात, अनुभव सिन्‍हा ने हर बार हर मोर्चे पर खुद को ‘अनेक’ में ‘एक’ साबित किया है।

हम जब भी किसी अच्छे फिल्म डायरेक्टर का नाम अपनी जेहन में लाते हैं और उन्हें शब्दों का रूप देते हैं, तो सबसे पहले उनके किए काम को याद करते हैं। काम ऐसा, जो वाकई याद रखने लायक हो और कुछ ऐसा ही काम अनुभव सिन्हा कर रहे हैं। अनुभव को शायद ही अब कोई ‘RA.One’ जैसी साइंस-फिक्शन फिल्म के लिए याद करता हो। अब अभुनव के काम की चर्चा ‘थप्पड़’, ‘मुल्क’ और ‘आर्टिकल 15’ जैसी फिल्मों से हो रही है। ये तीन ऐसी फिल्‍में हैं जो अनुभव सिन्‍हा की काबिलियत और उनकी शख्सि‍यत का पूरा खाका खींच देती हैं। ये वो फिल्‍में हैं, जिन्‍हें न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर सफलता मिली, बल्कि फिल्म आलोचकों और दर्शकों की वाहवाही भी उसके सिर-माथे सजी है। तो चलिए, आज इसी बहाने आपको ‘अनेक’ में नॉर्थ-ईस्ट इंडिया के लोगों की असलियत और बाकी देश की नॉर्थ-ईस्ट के प्रति सोच को कड़वी चाशनी में डुबोकर लाने वाले निर्देशक अनुभव सिन्हा की जिंदगी से रूबरू कराते हैं।

इलाहाबाद और बनारस का अल्‍हड़पन लादे मुंबई आए थे अनुभव सिन्‍हा
साल 2001 की बात है… उस साल ‘तुम बिन’ नाम की फिल्म आई थी, जो आज भी प्रियांशु चटर्जी की सादगी, संदाली सिन्हा की मासूमियत, हिमांशु मलिक की हॉटनेस और राकेश बापट की मोहब्बत के साथ ही शानदार म्यूजिक के लिए जानी जाती है। इस फिल्म ने इलाहाबाद और बनारस का अल्हड़पन लादे मुंबई आए अनुभव सिन्हा को निर्देशकों की गलियों में लाकर खड़ा कर दिया और फिर अनुभव की गाड़ी चल पड़ी। इसके बाद अगले 17 वर्षों, यानी 2018 तक अनुभव सिन्हा ने कई फिल्में बनाईं, जो शाहरुख खान और अजय देवगन के साथ ही बॉलि‍वुड के कई नामचीन कलाकारों से सजी रहीं, लेकिन अब शायद ही दर्शकों को अनुभव इन फिल्मों के लिए याद हों।

इंडियन कौन है? क्‍या कोई है जो नहीं चाहता कि देश में शांति हो? हमसे 5 सवाल पूछ रही है ANEK, है जवाब?
फिल्‍में जो दिल ही नहीं, दिमाग हो भी झकझोर गईं
समय और परिस्थति बदली, साथ और लोग भी बदलते गए। अनुभव की टोली भी इसी तरह बदलती गई और फिर राजनीतिक रूप से मुखर अनुभव ने अपने काम करने का तरीका भी बदला और फिर इसकी बानगी साल 2018 में आई फिल्म ‘मुल्क’ में दिख गई। इस फिल्‍म ने 4 साल पहले न सिर्फ लोगों के दिलों में जगह बनाई, बल्कि अनुभव को वैसे लोगों के बीच ला खड़ा किया, जिसे सच दिखाना पसंद है और वो भी बेहद संवेदनशील मुद्दों को काल्पनिकता की काली परछाई से दूर रखते हुए। उस साल लोगों ने अनुभव का एक अलग चेहरा देखा और उसके बाद साल 2019 में आई फिल्म ‘आर्टिकल 15’ और फिर साल 2020 में आई फिल्म ‘थप्पड़’ में दर्शकों को कुछ ऐसा दिख गया कि लोग अनुभव की फिल्मों का बेसब्री से इंतजार करने लगे।


अपने प्रोफेशन के मास्‍टर हैं अनुभव सिन्‍हा
दरअसल, हाल के वर्षों में अनुभव ने जिस तरह अलग-अलग और ज्वलंत मुद्दों पर फिल्में बनाई है और इनका असर दिखा है, वह न सिर्फ विविध है, बल्कि काबिल-ए-तारीफ भी है। चाहे अभिनय के स्तर पर हो, कहानी के स्तर पर हो या निर्देशन के स्तर पर, हर विधा में ये फिल्में सटीक साबित हुई हैं। अब नई फिल्म अनेक के प्लॉट, एक्टिंग और सिनेमेटोग्राफी के साथ ही निर्देशन में जिस तरह की सच्चाई और मेहनत दिख रही है, ये सभी बातें साबित करती हैं कि अनुभव अपने प्रोफेशन में मास्टर हैं।


कल्‍पनाओं के आगे ही तो हकीकत की दुनिया है
हाल के दिनों में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में जिस तरह काल्पनिक कहानियों पर बनी फिल्मों की बेहतरीन आंधी चली है, इससे खासकर उत्तरी भारतीय दर्शकों को काफी निराशा हाथ लगी है और वे अब फ्रेश कंटेंट देखना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें अनुभव सिन्हा जैसे निर्देशकों में उम्मीद की किरण दिखाई देती है। आज 5 मई को आयुष्मान खुराना स्टारर अनेक फिल्म का ट्रेलर देख लोगों की उम्मीदों को सहारा मिला है कि चलो आने वाले दिनों में कुछ अच्छा और सच्चा दिखने वाला है। कहते हैं न कि जब काल्पनिकता का साया अपना वजूद बढ़ाने लगता है और लोगों को आभाषी दुनिया की ज्यादा ही लत लगने लगती है तो एक बार सच्चाई से भरी आंधी का विकराल रूप धारण करना लाजिम है, तभी तो लोग हकीकत से रूबरू होंगे। कुछ ऐसी ही कहानी लेकर अनुभव लोगों की सोच और समझ बदलने आ रहे हैं। बाकी कुछ दिनों में यह फिल्म सिनेमाघरों में होगी और फिर आप भी अपनी सोच और समझ जाहिर करते दिखेंगे।





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