उमर अब्दुल्ला का सीट शेयरिंग फॉर्मूला तो लालू और नीतीश में झगड़ा करा देगा, जेडीयू फायदे में, आरजेडी को भारी घाटा

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उमर अब्दुल्ला का सीट शेयरिंग फॉर्मूला तो लालू और नीतीश में झगड़ा करा देगा, जेडीयू फायदे में, आरजेडी को भारी घाटा

उमर अब्दुल्ला का सीट शेयरिंग फॉर्मूला तो लालू और नीतीश में झगड़ा करा देगा, जेडीयू फायदे में, आरजेडी को भारी घाटा

विपक्षी गठबंधन INDIA में सीट शेयरिंग को लेकर अभी तक चर्चा शुरू नहीं हुई है। मगर अभी से इस मुद्दे पर गठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच खींचतान बढ़ने के संकेत मिल गए हैं। नई दिल्ली में बुधवार को इंडिया गठबंधन कोऑर्डिनेशन कमिटी की हुई बैठक में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सीट शेयरिंग फॉर्मूले को लेकर जो प्रस्ताव रखा, उससे बिहार में लालू यादव की आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू के बीच झगड़ा हो सकता है। अगर अब्दुल्ला के प्रस्ताव के आधार पर सीटों का बंटवारा होगा तो जेडीयू फायदे में रहेगी, जबकि आरजेडी को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

दरअसल, नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अपने प्रस्ताव में कहा कि जो सीटें पहले से इंडिया गठबंधन के पास हैं, उनको लेकर चर्चा नहीं होनी चाहिए। यानी कि जिन सीटों पर पिछले चुनाव में इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियों ने जीत दर्ज की थी, उन्हें छोड़कर जिन लोकसभाओं पर बीजेपी या इंडिया गठबंधन से बाहर के किसी दल का कब्जा है उनपर चर्चा की जाए। यानी कि पिछले चुनाव में गठबंधन में शामिल जो पार्टियां जिन सीटों पर चुनाव जीती थीं, आगामी इलेक्शन में उन सीटों पर उन्हीं पार्टियों को टिकट दिया जाए। 

जेडीयू को फायदा और आरजेडी को नुकसान कैसे?

बिहार की बात करें तो 2019 में जेडीयू ने बीजेपी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था। एनडीए में रहते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने 16 सीटों पर कब्जा जमाया था। बीजेपी ने 17 तो लोजपा ने 6 सीटें जीती थीं। वहीं, विपक्ष में रहते हुए महागठबंधन में सिर्फ कांग्रेस ने एक सीट किशनगंज पर जीत दर्ज की थी। आरजेडी ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक पर भी विजय हासिल नहीं हुई।

अगर उमर अब्दुल्ला के प्रस्ताव के आधार पर इंडिया गठबंधन में 2024 चुनाव को लेकर सीट बंटवारा होता है तो जेडीयू को पिछले इलेक्शन में जीती गईं 16 सीटें आसानी से मिल जाएंगी। बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं। सूत्रों के मुताबिक इंडिया गठबंधन में शामिल जेडीयू और आरजेडी के 16-16 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान है। जबकि अन्य 8-10 सीटों पर कांग्रेस और भाकपा माले समेत अन्य वाम दलों को एडजस्ट किया जाएगा। 

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उमर अब्दुल्ला के फॉर्मूले के अनुसार सीट बंटवारा होने पर आरजेडी को भारी नुकसान हो सकता है। जेडीयू ने 2019 के आम चुनाव में जिन 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी, उनमें से 9 सीटें ऐसी हैं, जहां उसने आरजेडी के उम्मीदवार को हराया था। यानी कि ये सीटें आरजेडी के प्रभाव क्षेत्र वाली हैं। इनमें सीतामढ़ी, झंझारपुर, मधेपुरा, गोपालगंज, सीवान, भागलपुर, बांका, जहानाबाद और नवादा शामिल हैं। इन सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए जेडीयू और आरजेडी के बीच भारी घमासान मच सकता है।

कांग्रेस से भी हो सकता ही गुत्थमगुत्थी

इसी तरह, कांग्रेस के साथ भी जेडीयू की यही समस्या खड़ी हो सकती है। कांग्रेस ने पहले ही उन लोकसभा सीटों पर दावा ठोक दिया है, जिन पर उसने 2019 में चुनाव लड़ा था। इनमें से 5 सीटें ऐसी हैं जहां पर अभी जेडीयू का कब्जा है। वाल्मीकि नगर, सुपौल, कटिहार, पूर्णिया और मुंगेर में जेडीयू के सांसद हैं, उन्होंने पिछले चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराया था। अगर इंडिया गठबंधन के सीट शेयरिंग फॉर्मूले में ये सीटें जेडीयू के खाते में जाती हैं, तो कांग्रेस इसका विरोध जरूर करेगी।

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फिलहाल, सीट शेयरिंग को लेकर इंडिया गठबंधन में अभी कुछ तय नहीं हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस पर अगले महीने बात होगी। इंडिया की कोऑर्डिनेशन कमेटी ही इस पर चर्चा करके निर्णय लेगी। इस कमेटी में आरजेडी से तेजस्वी यादव, तो जेडीयू से ललन सिंह सदस्य हैं। 

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