किसान आंदोलन : ‘आप’ सरकार ने केंद्र को दिया झटका, दिल्ली पुलिस के वकीलों का पैनल खारिज
केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच गतिरोध एक बार फिर बढ़ता दिख रहा है। किसान आंदोलन के दौरान लाल किला हिंसा मामले से संबंधित केसों की सुनवाई के लिए दिल्ली सरकार की ओर से गठित वकीलों के पैनल को गुरुवार को उपराज्यपाल द्वारा खारिज किए जाने के एक दिन बाद आज ‘आप’ सरकार की कैबिनेट ने भी दिल्ली पुलिस के वकीलों का पैनल खारिज कर दिया है।
दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने शुक्रवार को हुई बैठक में फैसला लिया है कि दिल्ली सरकार के वकील ही किसान आंदोलन से जुड़े मामलों में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर होंगे। बताया जा रहा है कि उपराज्यपाल चाहते थे केजरीवाल सरकार दिल्ली पुलिस के सुझाए वकीलों के पैनल को मंजूरी दे, जबकि दिल्ली सरकार सरकारी वकीलों के पैनल को ही किसानों जुड़े मामलों में लगाना चाहती थी। अब कैबिनेट का फैसला उपराज्यपाल के पास भेजा जाएगा।
Delhi LG Anil Baijal has rejected Delhi Govt’s proposal to appoint a panel of lawyers for the cases linked to farmers’ protest. The LG has asked the Govt to approve in Cabinet the panel of lawyers suggested by Delhi Police. A Cabinet meeting will take place tomorrow: CMO
— ANI (@ANI) July 15, 2021
वकीलों को बदलने का दबाव बना रहा केंद्र : दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर कृषि कानूनों से जुड़े आंदोलन के मामलों में पेश होने वाले अपने वकीलों को बदलने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इस मुद्दे पर शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से एक बयान में कहा गया था कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ मामलों में पेश होने वाले दिल्ली सरकार के वकीलों के पैनल को खारिज कर दिया है।
यह मामला दिल्ली पुलिस द्वारा गणतंत्र दिवस पर राजधानी में प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर रैली में हिंसा, राष्ट्रीय ध्वज का अनादर और कानून के उल्लंघन से संबंधित मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति को लेकर किए गए अनुरोध से संबंधित है।
सीएमओ के बयान में कहा था कि केंद्र सरकार केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार पर दबाव डाल रही है कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आरोपी किसानों के खिलाफ मुकदमा लड़ने के लिए राज्य के वकीलों को बदल दिया जाए।
केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच गतिरोध एक बार फिर बढ़ता दिख रहा है। किसान आंदोलन के दौरान लाल किला हिंसा मामले से संबंधित केसों की सुनवाई के लिए दिल्ली सरकार की ओर से गठित वकीलों के पैनल को गुरुवार को उपराज्यपाल द्वारा खारिज किए जाने के एक दिन बाद आज ‘आप’ सरकार की कैबिनेट ने भी दिल्ली पुलिस के वकीलों का पैनल खारिज कर दिया है।
दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने शुक्रवार को हुई बैठक में फैसला लिया है कि दिल्ली सरकार के वकील ही किसान आंदोलन से जुड़े मामलों में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर होंगे। बताया जा रहा है कि उपराज्यपाल चाहते थे केजरीवाल सरकार दिल्ली पुलिस के सुझाए वकीलों के पैनल को मंजूरी दे, जबकि दिल्ली सरकार सरकारी वकीलों के पैनल को ही किसानों जुड़े मामलों में लगाना चाहती थी। अब कैबिनेट का फैसला उपराज्यपाल के पास भेजा जाएगा।
Delhi LG Anil Baijal has rejected Delhi Govt’s proposal to appoint a panel of lawyers for the cases linked to farmers’ protest. The LG has asked the Govt to approve in Cabinet the panel of lawyers suggested by Delhi Police. A Cabinet meeting will take place tomorrow: CMO
— ANI (@ANI) July 15, 2021
वकीलों को बदलने का दबाव बना रहा केंद्र : दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर कृषि कानूनों से जुड़े आंदोलन के मामलों में पेश होने वाले अपने वकीलों को बदलने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इस मुद्दे पर शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से एक बयान में कहा गया था कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ मामलों में पेश होने वाले दिल्ली सरकार के वकीलों के पैनल को खारिज कर दिया है।
यह मामला दिल्ली पुलिस द्वारा गणतंत्र दिवस पर राजधानी में प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर रैली में हिंसा, राष्ट्रीय ध्वज का अनादर और कानून के उल्लंघन से संबंधित मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति को लेकर किए गए अनुरोध से संबंधित है।
सीएमओ के बयान में कहा था कि केंद्र सरकार केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार पर दबाव डाल रही है कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आरोपी किसानों के खिलाफ मुकदमा लड़ने के लिए राज्य के वकीलों को बदल दिया जाए।