कुवैत, यमन, यूक्रेन… जब जरूरत पड़ी साथ खड़ी रही सरकार, जानिए अपनों की हिफाजत के लिए कब-कब झोंकी पूरी ताकत

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कुवैत, यमन, यूक्रेन… जब जरूरत पड़ी साथ खड़ी रही सरकार, जानिए अपनों की हिफाजत के लिए कब-कब झोंकी पूरी ताकत

Rescue Operations by India: यूक्रेन में फंसे भारतीयों (Indians stranded in Ukraine) को निकालने के लिए सरकार ने एड़ी-चोटी एक कर रखी है। भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी सुनिश्चित करने के लिए कई मंत्रियों को भी मिशन पर लगाया गया है। ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga) के तहत युद्धग्रस्‍त यूक्रेन (Ukraine Crisis) से भारतीयों को निकाला जा रहा है। यह पहला मौका नहीं है जब भारत सरकार ने अपनों की हिफाजत के लिए पूरी ताकत झोंकी है। इसके पहले भी वह इसी तरह का दमखम दिखा चुकी है। इस तरह के मिशन कभी आसान नहीं होते हैं। इसमें कूटनीति और ऊंचे स्‍तर की राजनीतिक इच्‍छाशक्ति की जरूरत होती है। इस तरह के मिशन यह भी दिखाते हैं कि भारत सरकार (Indian Government) अपने नागरिकों के लिए कितनी फिक्रमंद है। आइए, यहां जानते हैं कि इसके पहले कब-कब भारत सरकर ने अपने नागरिकों को मुश्किल स्थितियों में उनके हाल में नहीं छोड़ा। इसके बजाय उन्‍हें बचाकर सुरक्षित वतन लाई।

कोरोना के दौर में चलाया वंदे भारत मिशन
कोरोना की महामारी के अचानक दस्‍तक देते ही लोगों की आवाजाही रुक गई थी। जो जहां था वहीं फंस गया था। भारत सरकार ने लोगों की परेशानी समझी। 7 मई 2020 को एयर इंडिया की पहली दो फ्लाइटें संयुक्‍त अरब अमीरात से 363 भारतीय नागरिकों को लेकर आईं। इसके बाद मिशन के तहत 2 अगस्‍त 2021 तक करीब 30 हजार फ्लाइटों का संचालन किया गया। इसके तहत विदेश में फंसे हजारों भारतीयों को वतन लाया गया। देश के भीतर भी लोगों को एक से दूसरी जगह पहुंचाया गया। सिर्फ फ्लाइटों से ही नहीं, नौसेना के जहाजों से भी मिशन के अंतर्गत नागरिकों को देश वापस लाया गया।

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ऑपरेशन राहत के जरिये यमन से निकाले नागरिक
बात अप्रैल 2015 की है। यमन में सरकार और हूती विद्रोहियों के बीच संघर्ष चरम पर पहुंच गया था। भारत सरकार अपने नागरिकों को निकालने के लिए तुरंत हरकत में आ गई थी। बमबारी के बीच सरकार ने यमन से 6,688 लोगों को निकाला था। इनमें 4,741 भारतीय और 1,947 विदेशी नागरिक शामिल थे। इन सभी को हवाई और समुद्री मार्ग से निकाला गया था। इस ऑपरेशन की अगुआई वीके सिंह ने की थी। तब वह विदेश राज्‍यमंत्री थे।

ऑपरेशन मैत्री के जरिये नेपाल से नागरिकों की वापसी
25 अप्रैल 2015 को नेपाल में बड़ा भूकंप आया था। इसकी तीव्रता 7.8 थी। इसके चलते 9 हजार लोगों की जान गई थी। 21 हजार लोग जख्‍मी हुए थे। पड़ोसी देश की मदद के लिए तब भारत ने रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन चलाया था। इसका नाम था ‘ऑपरेशन मैत्री’। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय वायुसेना के साथ नागरिक विमानों ने भूकंप प्रभावित देश से 5 हजार भारतीयों को बचाकर निकाला था। इनके साथ अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और जर्मनी के भी नागरिक थे।

लीबिया में चलाया ऑपरेशन सेफ होमकमिंग
2011 में लीबिया में गृहयुद्ध छिड़ गया था। विद्रोहियों ने तानाशाह मुअम्‍मर गद्दाफी को उखाड़ फेंकने का फैसला कर लिया था। बेनगाजी में पुलिस और प्रदर्शकारियों के बीच झड़प के बाद विरोध के सुर तीखे हो गए थे। फरवरी आते-आते पूरा लीबिया सुलगने लगा था। इस देश में हजारों भारतीय काम कर रहे थे। तनाव बढ़ते ही 26 फरवरी को सरकार ने ऑपरेशन सेफ होमकमिंग चलाया। इस ऑपरेशन के तहत 15 हजार 400 भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वतन वापसी हुई।

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ऑपरेशन सुकून से लेबनान से हुई भारतीयों की वपन वापसी
2006 में इजरायल और लेबनानी आतंकी गुट हेजबुल्‍ला के बीच जंग छिड़ गई थी। इसे लेबनान वॉर कहा जाता है। तब लेबनान में करीब 10 हजार भारतीय रहते थे। इनमें से 2 हजार संघर्ष क्षेत्र में फंसे थे। तब सरकार ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन सुकून चलाया था। ऑपरेशन के तहत भारतीयों के साथ श्रीलंका और नेपाल के नागरिकों को भी निकाला गया था। इसके तहत 2,280 लोगों को सुरक्षित निकाला गया था। इनमें 1,764 भारतीय, 112 श्रीलंकाई और 64 नेपाली नागरिक शामिल थे।

कुवैत से एयरलिफ्ट कर जीता था भरोसा
वंदे भारत मिशन के बाद यह अब भी भारत सरकार का दूसरा सबसे बड़ा रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन है। इसे 1990 में शुरू किया गया था। तब अगस्‍त और अक्‍टूबर के बीच इराक ने कुवैत पर हमला कर दिया था। इस रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में 1 लाख 75 हजार लोगों को निकालकर लाया गया था। यह इतना बड़ा ऑपरेशन था कि इसके कारण एयर इंडिया का नाम सबसे ज्‍यादा लोगों को एयरलिफ्ट करने के लिए गिनीज बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में दर्ज हो गया था।

Rescue operation by India



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