कॉलेज एडमिशन: ऑनलाइन प्रक्रिया के कारण 12 प्रतिशत सीटों पर ही पंजीयन

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कॉलेज एडमिशन: ऑनलाइन प्रक्रिया के कारण 12 प्रतिशत सीटों पर ही पंजीयन

कॉलेज एडमिशन: ऑनलाइन प्रक्रिया के कारण 12 प्रतिशत सीटों पर ही पंजीयन

जबलपुर। कॉलेजों में उच्च शिक्षा विभाग ने प्रवेश प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है, लेकिन छात्रों में फि लहाल रुझान नहीं बढ़ा है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने से अभी भी बड़ी संख्या में छात्रों ने दूरी बनाई हुई है। वहीं कॉलेजों में आवेदनों के वेरिफिकेशन की संख्या भी बेहद सीमित है।

कॉलेजों में 3500 आवेदन
कॉलेजों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षा में प्रवेश के लिए छात्रों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना है। फ स्र्ट राउंड के दौरान बेहद सीमित संख्या में ही रजिस्ट्रेशन हुए हैं। जिले में 3500 छात्रों द्वारा रजिस्ट्रेशन कराया है। 2500 आवेदनों को वेरीफाई किया गया है। प्रवेश प्रक्रिया को लेकर फि लहाल रफ्तार नहीं बढ़ सकी है, जिसकी वजह बदली हुई व्यवस्था भी बताई जा रही है। अब तक ऑफ लाइन प्रवेश प्रक्रिया आयोजित होती आ रही थी।

प्रदेश में 10 लाख से अधिक सीटें
प्रदेश के कॉलेजों में 10.30 लाख से अधिक स्नातक की सीटें हैं। जबकि स्नातक स्तर पर केवल 2.13 लाख से अधिक छात्रों ने पंजीयन किया है। 1.25 लाख आवेदन ही सत्यापित किए गए हैं। जिले के कॉलेजों में करीब 20 हजार सीटें हैं। जिसमें से अभी तक अठारह फीसदी ही रजिस्ट्रेशन हुए हैं।
12 तक चलेगी प्रक्रिया: प्रवेश प्रक्रिया प्रभारी डॉ.बीएन त्रिपाठी कहते हैं कि स्नातक स्तर की प्रवेश प्रक्रिया 12 अगस्त तक संचालित की जा रही है। 14 अगस्त तक वेरिफिकेशन चलेगा। स्नातकोत्तर के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया सात अगस्त रहेगी। लीड कॉलेज प्रभारी डॉ.राजेश सामकुंवर, डॉ समता नायडू कहतीं हैं कि इस बार प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया है। तकनीकी कारणों के चलते भी रजिस्ट्रेशन की गति धीमी है।

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया आयोजित की जा रही है। प्रक्रिया से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। किसी भी समस्या पर सहयोग करने कहा गया है।
– डॉ. लीला भलावा, अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा

प्रथम चरण
7 अगस्त तक रजिस्ट्रेशन
9 अगस्त तक वेरिफिकेशन
14 अगस्त तक सीट आवंटन
19 तक फीस जमा होगी

जिले की स्थिति
86 कॉलेज जिले में
13 शासकीय कॉलेज

ये आ रही दिक्कत
ऑनलाइन प्रक्रिया का संचालन
सर्वर का स्लो चलना
स्टाफ का ट्रेंड न होना
कॉलेजों में सीमित स्टाफ










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