कोरोना वायरस वैक्सीन लंबे वक्त के कारगर नहीं! एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

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कोरोना वायरस वैक्सीन लंबे वक्त के कारगर नहीं! एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले दुनिया में एक बार फिर बढ़ते जा रहे हैं। यूरोप के कई देश कोविड की नई लहर से जूझ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जो देश अपने नागरिकों को कोरोना के टीके दे चुके हैं, वहां वैक्सीन का असर क्यों नहीं दिख रहा? कई देश बूस्टर डोज दे रहे हैं। क्या इससे कुछ असर हो रहा है? आइए समझने की कोशिश करते हैं।

कोरोना के बढ़ने संक्रमण को देखते हुए कई देशों ने बूस्टर शॉट देने शुरू किए हैं। वैज्ञानिक और मामले से जुड़े एक्सपर्ट बूस्टर डोज की जरूरत पर जोर दे रहे हैं। भारत सरकार ने भी हेल्थ वर्कर्स और वरिष्ठ नागरिकों के लिए बूस्टर खुराक योजना शुरू की है। लेकिन हमें बूस्टर डोज की जरूरत क्यों है?

कोविड 19 वैक्सीन की खुराक लंबे वक्त के लिए कारगर नहीं?

 वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वैक्सीन प्लेटफॉर्म, एडजुवेंट्स और वायरस की स्थिरता पर निर्भर करता है। टीका एंटीबॉडी का कोई पैक नहीं है। हर वायरस के अलग-अलग और विशिष्ट एंटीबॉडी होते हैं। एंटीबॉडी का उत्पादन शरीर का रक्षा तंत्र है। कई बार यह वैक्सीन की खुराक के बिना भी काम करता है।
 
 प्रतिरक्षा प्रणाली का काम रोगजनकों को फैलने से रोकना और शरीर के लिए उन्हें प्रणाली से बाहर निकालने के लिए लंबे वक्त तक विषाक्त पदार्थों को छोड़ना है। कोविड का टीका इसी इम्युनिटी मोड को एक्टिव करता है। यह वायरस के सटीक आकार की पहचान करने और पर्याप्त संख्या में विशिष्ट एंटीबॉडी जारी करने के लिए इम्युनिटी सिस्टम को तैयार करता है।

कोरोना वायरस में हो रहे हैं बदलाव

कोविड टीके की इम्युनोजेनेसिटी को बढ़ाने के लिए इसके निर्माण चरण के दौरान एक वैक्सीन में एडजुवेंट्स मिलाया जाता है। ऐसे में टीका कई कोविड वैरिएंट के प्रति मजबूत प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है। खसरा जैसे वायरस स्थिर वायरस होते हैं। लेकिन फ्लू वायरस के लिए टीके मुश्किल हो जाते हैं। फ्लू के वायरस आकार बदलने में सक्षम हैं। इसके लिए करीब हर साल फ्लू के टीके में बदलाव की आवश्यकता होती है।

बूस्टर की जरूरत क्यों है?

कोरोना वायरस अभी भी नया है और उसमें तेजी से बदलाव आ रहे हैं। अभी तक कोविड के 200 से अधिक वैरिएंट का पता चला है। इसमें से सात को दुनिया भर में कोविड के अधिकांश मामलों का कारण माना जाता है। ओमिक्रोन इस लिस्ट में सबसे नया नाम है।

किसी भी टीके की क्षमता का परीक्षण संक्रमण को रोकने, बीमारी की गंभीरता को कम करने और संचरण को अवरुद्ध करने की क्षमता के तीन पहलुओं पर किया जाता है। सभी टीकों को कोविड की गंभीरता को कम करने के लिए सराहा जाता है। लेकिन यह पूरी तरह से संक्रमण होने से नहीं रोक सकता। यही कारण है कि वैज्ञानिक बूस्टर खुराक के लिए कह रहे हैं जब तक कि कोविड 19 महामारी पर पर्याप्त रूप से काबू नहीं पा लिया जाता।



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