खांसी, बुखार, बदन दर्द… दिल्‍ली में बढ़ रहे हैं इनके मरीज, कोविड हुआ था तो रखें खास खयाल

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खांसी, बुखार, बदन दर्द… दिल्‍ली में बढ़ रहे हैं इनके मरीज, कोविड हुआ था तो रखें खास खयाल

खांसी, बुखार, बदन दर्द… दिल्‍ली में बढ़ रहे हैं इनके मरीज, कोविड हुआ था तो रखें खास खयाल

नई दिल्ली: ठंड से गर्मी… में बदलते मौसम के साथ दिल्ली में लोग बीमार हो रहे हैं। खांसी, जुकाम, बुखार, बदन दर्द के साथ साथ दस्त, उल्टी, निमोनिया के लक्षण के साथ कई मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है, मौसम अचानक बदला है और इसके साथ वायरल ने दस्तक दी है। यह वायरल ठीक होने में पहले के मुकाबले ज्यादा वक्त ले रहा है। डॉक्टर्स के मुताबिक, अगर तीन दिन में लक्षण नहीं जाते हैं या फीवर पैटर्न बदलता है या अचानक खांसी बढ़ती है, तो डॉक्टर से मिलिए। खासतौर पर बुजुर्ग-बच्चे, कोविड से बीमार हो चुके लोग और पहले से बीमार लोग, पूरा ऐहतियात बरतें।

तेजी से बढ़ी है मरीजों की संख्या, एंटीबायोटिक्स ना लें
जीटीबी अस्पताल में सीनियर फिजिशियन डॉ. अमितेश अग्रवाल ने बताया, मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। खांसी, बुखार, जुकाम और कुछ मामलों में दस्त के भी लक्षण हैं। 5 से 7 दिन और कुछ मामलों में दो हफ्ते खींच रहा है। यह इन्फ्लूएंजा वायरस ही है, जो मौसम बदलने के साथ आता है और अक्टूबर से फरवरी तक एक्टिव रहता है। लक्षण आने पर कोविड की तरह सोशल डिस्टेंसिंग रखने की जरूरत है, क्योंकि परिवार में एक को होने के बाद यह दूसरे को हो रहा है। दूसरा, मरीज खुद एंटीबायोटिक्स ना खाएं, ज्यादातर मामलों में इसकी जरूरत नहीं। हम देखते हैं कि मरीज एंटीबायोटिक्स खुद लेता है, असर नहीं हुआ तो दूसरी ले लेता है, इससे साइड इफेक्ट हो सकता है। साथ ही, मरीज बुजुर्ग है या बच्चा, फीवर पैटर्न बदले, खांसी अचानक बढ़े, तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

कुछ केस में निमोनिया में बदल रहा है वायरल
स्वामी दयानंद अस्पताल में मेडिसिन डिपार्टमेंट में डॉ ग्लैडबिन त्यागी कहते हैं, पिछले तीन साल से कोविड चल रहा है, इसे समझते हुए लोग भूल गए कि कोविड से पहले भी इन दिनों में वायरल होता था। अभी भी उसी प्रकार का वायरल इंफेक्शन है, लक्षण फ्लू की तरह ही है। पहले नजला, जुकाम, खांसी से शुरुआत हो रही है, फिर बुखार और तेज बदन दर्द। अजीब बात यह है कि यह दवाओं से जल्द ठीक नहीं हो रहा है। कई मामलों में 15-15 दिनों में ठीक हो रहा है। अगर तीन दिन में यह कम नहीं होता है तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। वो जो जांच कहें, वो करानी चाहिए क्योंकि कुछ लोगों में यह निमोनिया में बदल रहा है। जिन्हें कोविड हो चुका है, उन्हें यह ज्यादा परेशान कर रहा है, कुछ के लिए खतरनाक साबित हो रहा है क्योंकि उनके फेफड़े कमजोर हैं, इम्यूनिटी कम है। जिन्हें सांस की बीमारी है या कोई और बीमारी तो उन्हें भी डॉक्टर से मिलना चाहिए।

प्राइमस हॉस्पिटल में सीनियर पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. एस. के. छाबड़ा कहते हैं, हमारी ओपीडी में वायरल इन्फेक्शन के मरीजों की संख्या में 90% इजाफा हुआ है, क्योंकि मौसम बदल रहा है और यह बदलाव इस बार जल्दी हुआ है। कई मरीज बुखार, सर्दी और खांसी के लक्षण के साथ पहुंच रहे हैं। ब्रोंकाइटिस जैसी फेफड़ों की एलर्जी के भी मरीज आ रहे हैं। इसके अलावा, प्रदूषण से वायरल संक्रमण से पीड़ित मरीजों के लिए बहुत गंभीर मुश्किलें पैदा हो सकती हैं, इसलिए बचाव जरूरी है।

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