खून के आंसू रो रहे बाढ़ पीड़ित पर सर्वे नहीं कर रहे पटवारी

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खून के आंसू रो रहे बाढ़ पीड़ित पर सर्वे नहीं कर रहे पटवारी

बाढ़ से हुई क्षति का आंकलन करने का काम ठप

भोपाल. मंगलवार को प्रदेशभर के पटवारी हड़ताल पर चले गए हैं। मध्य प्रदेश पटवारी संघ द्वारा अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर यह हड़ताल की जा रही है। अपनी मांगों के समर्थन में पटवारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए हैं। इसके अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में पटवारी कलेक्ट्रेट गेट के सामने खड़े होकर प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे हैं।

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पटवारी अपनी जिन मांगों को पूरा करने की बात कह रहे हैं उनमें मुख्यत: आर्थिक है. वेतन विसंगति दूर कर समयमान वेतनमान देने, ग्रेड पे ₹2100 से बढ़ाकर ₹2800 किए जाने की मुख्य मांग है. इसके साथ ही पटवारियों को गृह जिले में पदस्थापित करने और सीपीसीटी की परीक्षा की अनिवार्यता को समाप्त करने की भी मांग है। पटवारी संघ ने कहा कि है जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा।

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मध्यप्रदेश पटवारी संघ भोपाल के प्रांतीय आव्हान पर पूरे प्रदेश के पटवारी टोटल शडडाउन कर चुके हैं. इससे पहले प्रांतीय निकाय के चरणबद्ध कार्यक्रम के अनुसार सभी तहसीलों और जिलों में समय—समय पर ज्ञापन सौंपकर शासन का ध्यान आकृष्ट कराया गया. 12 जुलाई 21 को भू अभिलेख कार्य के अतिरिक्त कार्यों के बहिष्कार के साथ 2अगस्त से 5अगस्त तक सामूहिक अवकाश भी लिया गया. इसके बाद भी शासन द्वारा कोई चर्चा नही करने से पटवारी संघ ने यह कदम उठा लिया.

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गौरतलब है कि 29 जुलाई 2021 को एक दिवसीय सामूहिक अवकाश पर रहने से पूरे प्रदेश में एक भी रजिस्ट्री नहीं हुई थी. इससे प्रदेश शासन को लगभग बीस करोड़ रुपए के राजस्व की हानि का अनुमान है. पटवारियों के अनिश्चित कालीन हडताल पर जाने से जन सामान्य को कठिनाइयों का सामना करना पड रहा है. नामांतरण, बंटवारा, ऋणपुस्तिका, सीमांकन, वसूली से लेकर जाति प्रमाणपत्र, रजिस्ट्री प्रतिवेदन, न्यायालय में प्रतिवेदन पेश करने तक के काम ठप हो गए हैं.

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इतना ही नहीं, प्रदेश में अतिवृष्टि या बाढ़ से हुई क्षति का आंकलन करने का काम भी बंद कर दिया गया है.एक ओर तो सबकुछ बर्बाद हो जाने और अब तक कोई मदद नहीं मिलने से बाढ़ पीड़ित खून के आंसू रोह रहे हैं, दूसरी ओर पटवारियों ने सर्वे का काम ही बंद कर दिया है. ऐसे में बाढ़ प्रभावितों को मिलनेवाली मदद में देरी होना तय है.



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