जदयू की बीजेपी समेत सभी दलों से अपील, मैनपुरी में न उतारें कैंडिडेट, क्या BJP लेगी कैलकुलेटेड रिस्क? | jdu appeals to bjp and other to not field candidate against dimple yad | Patrika News
इस बीच जनता दल यूनाइटेड ने भाजपा समेत अन्य सभी दलों से अपील की है कि वे मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव के खिलाफ अपने कैंडिडेट को ना लड़ाएं। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव सदन में मैनपुरी सीट का प्रतिनिधित्व करते थे। अब उनकी बहू डिंपल यादव चुनावी मैदान में हैं।
जदयू के अपील के मायने, नीतीश 2024 में थर्ड फ्रन्ट के लिए साध रहे निशाना?JDU के प्रवक्ता के.सी त्यागी ने कहा कि यूपी के पूर्व सीएम माननीय मुलायम सिंह यादव किसानों और मजदूर वर्ग के बड़े नेता थे। देश की राजनीति में उनके योगदान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने स्वीकार किया है।
उन्होंने कहा, “हम बीजेपी और बसपा समेत सभी दलों से चुनाव नहीं लड़ने और डिंपल यादव का समर्थन करने की अपील करते हैं। यही मुलायम सिंह यादव को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।” उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने उन्हें अपना समर्थन दिया है।
जदयू सपा को समर्थन देने में अपना दोहरा फायदा देख रही है। उसको पता है कि समर्थन देकर वो एक तरफ नेताजी को श्रद्धांजलि दे रही है, वहीं दूसरी तरफ 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अगर कोई थर्ड फ्रन्ट बनता है, तो फिर नीतीश कुमार के नाम पर अखिलेश यादव का समर्थन हासिल करने में आसानी होगी। इसलिए अभी से जदयू रिश्ते बनाने में लगी है।
मैनपुरी सीट पर नेताजी का रहा हमेशा दबदबा, 1996 से अजेय है सपा 4 अक्टूबर 1992 को मुलायम सिंह यादव ने सपा का गठन किया। 1996 में उन्होंने मैनपुरी लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा और जीता। चुनाव के दौरान कई मंचों से उन्होंने ये एलान भी किया कि सैफई उनकी जन्मस्थली है और मैनपुरी कर्मस्थली।
इसीलिए मैनपुरी की जनता हमेशा अपने नेता के साथ रही। 1996 लेकर अब तक सपा का मैनपुरी लोकसभा सीट पर कब्जा है। उपचुनाव नहीं लड़ने पर भी बीजेपी का भी फायदा, यादवों का मिलेगा समर्थन
बीजेपी अभी तक इस उपचुनाव में वेट एंड वाच के पोजीशन में है। वो पूरी तरह से अपना नफा-नुकसान को जान लेने के बाद ही पत्ते खोलेने के मूड में है।
अपर्णा यादव बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र यादव से मुलाकात कर चुकी हैं। ख़बरों के मुताबिक यह पूरी संभावना है की वो मैनपुरी से चुनाव नहीं लड़ेंगी। दूसरी संभावना यह भी है की बीजेपी मैनपुरी उपचुनाव का चुनाव ही न लड़े। अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी जदयू के रास्ते पर चलते हुए 2024 में होने वाली चुनाव में अपना फायदा देखेगी। चुनाव नहीं लड़ने का फैसला करके वो नेताजी को सच्ची श्रद्धांजलि के तौर पर पेश करेगी।
वहीं 14 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रति यादव वोटरों के मन में कहीं न कहीं सॉफ्ट कॉर्नर होगा। इसी माहौल को बीजेपी पूरी तरह अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगी।
तस्वीर का दूसरा पक्ष, चुनाव नहीं लड़ने पर स्थानीय नुकसान भी झेलना पड़ेगा
तस्वीर का दूसरा पक्ष यह है कि अगर बीजेपी मैनपुरी उपचुनाव नहीं लड़ती है तो उसको स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। पार्टी का मैनपुरी में पकड़ और कमजोर होगी। ऐसे में बीजेपी कैलकुलेटेड रिस्क ही लेगी।
बीजेपी चुनाव लड़ती है तो प्रेम शाक्य समेत 3 कैंडिडेट के नाम पर चर्चा
सूत्रों की माने बीजेपी में अपर्णा यादव का नाम उम्मीदवारों के सूची से बाहर है. जिन तीन नामों पर चर्चा चल रही है, उनमें सबसे ऊपर प्रेम सिंह शाक्य का नाम है, जो पिछली बार इस सीट पर चुनाव लड़े थे। प्रेम सिंह शाक्य के बाद दूसरे नंबर पर रघुराज सिंह शाक्य का नाम चल रहा है। जबकि तीसरे नंबर पर ममतेश शाक्य का नाम है।
इस बीच जनता दल यूनाइटेड ने भाजपा समेत अन्य सभी दलों से अपील की है कि वे मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव के खिलाफ अपने कैंडिडेट को ना लड़ाएं। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव सदन में मैनपुरी सीट का प्रतिनिधित्व करते थे। अब उनकी बहू डिंपल यादव चुनावी मैदान में हैं।
जदयू सपा को समर्थन देने में अपना दोहरा फायदा देख रही है। उसको पता है कि समर्थन देकर वो एक तरफ नेताजी को श्रद्धांजलि दे रही है, वहीं दूसरी तरफ 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अगर कोई थर्ड फ्रन्ट बनता है, तो फिर नीतीश कुमार के नाम पर अखिलेश यादव का समर्थन हासिल करने में आसानी होगी। इसलिए अभी से जदयू रिश्ते बनाने में लगी है।
मैनपुरी सीट पर नेताजी का रहा हमेशा दबदबा, 1996 से अजेय है सपा 4 अक्टूबर 1992 को मुलायम सिंह यादव ने सपा का गठन किया। 1996 में उन्होंने मैनपुरी लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा और जीता। चुनाव के दौरान कई मंचों से उन्होंने ये एलान भी किया कि सैफई उनकी जन्मस्थली है और मैनपुरी कर्मस्थली।
बीजेपी अभी तक इस उपचुनाव में वेट एंड वाच के पोजीशन में है। वो पूरी तरह से अपना नफा-नुकसान को जान लेने के बाद ही पत्ते खोलेने के मूड में है।
वहीं 14 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रति यादव वोटरों के मन में कहीं न कहीं सॉफ्ट कॉर्नर होगा। इसी माहौल को बीजेपी पूरी तरह अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगी।
तस्वीर का दूसरा पक्ष, चुनाव नहीं लड़ने पर स्थानीय नुकसान भी झेलना पड़ेगा
तस्वीर का दूसरा पक्ष यह है कि अगर बीजेपी मैनपुरी उपचुनाव नहीं लड़ती है तो उसको स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। पार्टी का मैनपुरी में पकड़ और कमजोर होगी। ऐसे में बीजेपी कैलकुलेटेड रिस्क ही लेगी।
बीजेपी चुनाव लड़ती है तो प्रेम शाक्य समेत 3 कैंडिडेट के नाम पर चर्चा
सूत्रों की माने बीजेपी में अपर्णा यादव का नाम उम्मीदवारों के सूची से बाहर है. जिन तीन नामों पर चर्चा चल रही है, उनमें सबसे ऊपर प्रेम सिंह शाक्य का नाम है, जो पिछली बार इस सीट पर चुनाव लड़े थे। प्रेम सिंह शाक्य के बाद दूसरे नंबर पर रघुराज सिंह शाक्य का नाम चल रहा है। जबकि तीसरे नंबर पर ममतेश शाक्य का नाम है।