तनाव प्रबंधन सीखें, हर समस्या से बड़ा परिवार का साथ है

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तनाव प्रबंधन सीखें, हर समस्या से बड़ा परिवार का साथ है

आत्महत्या रोकथाक दिवस: होप ऑफ लाइफ है इस बार की थीम

भोपाल। कोरोना महामारी के बाद आर्थिकी तंगी और नौकरी जाने के चलते युवाओं में डिप्रेशन की समस्या बढ़ी है। कई बार यह डिप्रेशन इस हद तक बेकाबू हो जाता है कि व्यक्ति अपने जीवन को खत्म करने का विचार करने लगता है। 10 सितंबर को आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन का उद्देश्य आत्महत्या के प्रति पूरे विश्व को जागरूक करना है ताकि मृत्यु के 100 प्रतिशत रोके जा सकने वाले कारण पर नियंत्रण पाया जा सके। हालांकि आत्महत्या का कोई एक कारण नहीं होता है, यह बेहद जटिल घटना है जिसके पीछे बहुत से कारक होते हैं। इस बार की थीम होप ऑफ लाइफ है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि जब कोई व्यक्ति स्वयं को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से कोई कदम उठाता है तो उसे आत्महत्या का प्रयास (सुसाइड अटेम्प्ट) कहते हैं। एक शोध के अनुसार भारत में एक आत्महत्या की घटना के साथ ऐसे 200 लोग होते हैं जो इसके बारे में सोच रहे होते हैं और 15 लोग इसका प्रयास कर चुके होते हैं।

‘से यस टू लाइफ’ जीवन बचाने की मुहिम
डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी के अनुसार वर्ष 2015 का एक शोध बताता है कि देश में लगभग 18 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के &0 लाख लोगों ने अपना जीवन समाप्त करने के बारे में सोचा, जबकि 2.5 लाख ने आत्महत्या का प्रयास किया। इन आंकड़ों से हम समझ सकते हैं कि कुछ प्रयासों और नीतियों से कितनी सारी मौतों को रोका जा सकता है। मैं पिछले तीन वर्षों से से ‘यस टू लाइफ’ अभियान चला रहा हूं। इसका मकसद निराशा और तनाव से गुजर रहे लोगों को जीवन जीने की उम्मीद की नई किरण जगाते हुए उन्हें सकारात्मक बनाना है। मेरा अभिमत है कि मानसिक स्वास्थ्य को स्कूल-कॉलेज पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य की अवधारणा, जीवन प्रबंधन, साइकोलॉजिकल फस्र्ट ऐड को शामिल किया जाना चाहिए ताकि हमारी नई पीढ़ी बचपन से ही मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बन सकें।

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हाई रिस्क ग्रुप का हो स्वास्थ्य परीक्षण
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. आरएन साहू के अनुसार हाई रिस्क ग्रुप (स्कूल, कॉलेज, प्रतियोगी परीक्षार्थी, काम की तलाश में दूसरे शहर युवा) आते हैं। इनका समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण किया जाना चाहिए, ताकि मानसिक रोगों जैसे डिप्रेशन की स्थिति का समय रहते पता लगाया जा सके। उचित इलाज से आत्महत्या के खतरे को समय रहते समाप्त किया जा सके। कोई भी धर्म आत्महत्या को सपोर्ट नहीं करता। समाज शास्त्री और धर्म गुरु इसकी रोकथाम में महती भूमिका निभा सकते हैं।

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परिवार सबसे जरूरी है
मनोचिकित्सक डॉ. मोनिका ऋषि ने बताया कि यदि घर में कोई ऐसी सोच जाहिर करे तो उसे जज ना करें बल्कि उसकी बात को ध्यान से सुनें। उनकी भावनाओं को समझें। उन्हें बताएं कि जिंदगी में उनका परिवार कितना जरूरी है। यदि व्यक्ति सीवियर डिप्रेशन में हैं तो उसे जीने की वजह बताएं। इस समय परिवार ही सबसे जरूरी होता है क्योंकि वह सबसे पास होता है। स्कूल लेवल से ही तनाव प्रबंधन सीखना जरूरी है।

निराश हो तो क्या करें
– इन भावों को दबाएं नहीं, अपने परिवार के सदस्य या मित्र से साझा करें।
– किसी मनोचिकित्सक, काउंसलर से मदद लेने में बिल्कुल हिचके नहीं। अगर ये खयाल मानसिक रोग के कारण हैं तो संकोच न करें। मानसिक रोग होना कलंक का विषय नहीं है।
– आप अपने धर्मगुरु से भी ये बातें साझा कर सकते हैं। कोई भी धर्म स्वयं को नुकसान पहुंचाने को उचित नहीं मानता।
– बहुत से लोगों को पहले भी ऐसे खयाल आया चुके हैं, लेकिन आज वे अपना जीवन खुशहाली से जी रहे हैं। आज आप जीना नहीं चाहते हों लेकिन हो सकता है कि कल जीना चाहें।
– नशे के इस्तेमाल से बचें। कठिन समय आपको लाइफ स्किल को रिफाइन करने का मौका मिलता है।



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