ताजमहल का दीदार करने पहुंची रूसी महिला को बंदर ने काटा, थमने का नाम नहीं ले रहा आतंक

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ताजमहल का दीदार करने पहुंची रूसी महिला को बंदर ने काटा, थमने का नाम नहीं ले रहा आतंक

ताजमहल का दीदार करने पहुंची रूसी महिला को बंदर ने काटा, थमने का नाम नहीं ले रहा आतंक

फरवरी में जी 20 सम्मिट से पहले एएसआई ने 250 बंदरों को पकड़ा था। लेकिन वे बंदर कहां छोड़े गए इसकी जानकारी नहीं है। टिकट विंडो के पास बंदरों के झुंड जमा रहते हैं।

 

बंदर की सांकेतिक तस्वीर
सुनील साकेत, आगरा: ताजमहल पर बंदरों के हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। एक बार फिर एक बंदर ने ताज के दीदार को पहुंची एक रशियन महिला को काट लिया। बंदर ने महिला टूरिस्ट के हाथ में दांत गढ़ा दिया। आनन-फानन में महिला को अस्पताल ले जाया गया। जहां उन्हें एंटी रैबीज इंजेक्शन दिया गया। ताजमहल में सुबह से शाम तक बंदरों के झुंड दिखाई देते हैं। महिला टूरिस्ट ताज के पूर्वी गेट विंडो के पास खड़ी थीं, जब बंदर ने उनपर हमला बोल दिया।रविवार दोपहर को रशियन महिला पर्यटक गैलीना, 24 ताजमहल का भ्रमण करने पहुंची थी। वह पूर्वी गेट की टिकट विंडो के पास खड़ी थी। दोपहर करीब 2.30 बजे गलीला के ऊपर अचानक एक बंदर ने हमला कर दिया। गैलीना के हाथ में लगे सामान को बंदर ने छीनने की कोशिश की, लेकिन गैलीना ने सामान नहीं छोड़ा। इस पर खिसियाए बंदर ने उनके हाथ में दांत गढ़ा दिया। गैलीना बड़ी तेजी से चीख पड़ी। उसकी चीख सुनकर आसपास के पर्यटक आ गए और बंदर को भगाया। सुरक्षा गार्डों ने बताया कि महिला पर्यटक के हाथ में घाव हो गया था। उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. अनीता शर्मा ने बताया कि उन्हें एंटी रैबीज इंजेक्शन दिया गया है।

थम नहीं रहे बंदरों के हमले

बंदर खुंखार होते जा रहे हैं। आए दिन लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। फरवरी में जी 20 सम्मिट से पहले एएसआई ने 250 बंदरों को पकड़ा था। लेकिन वे बंदर कहां छोड़े गए इसकी जानकारी नहीं है। टिकट विंडो के पास बंदरों के झुंड जमा रहते हैं। इधर सीआईएसएफ समेत ताजमहल में 400 से अधिक सुरक्षा गार्ड तैनात रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी बंदर पर्यटकों पर आएदिन हमला करके घायल कर रहे हैं।

फेल हो रहे हैं एएसआई के इंतजाम

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बंदरों को रोकने के कई इंतजाम किए थे। घने पेड़ों की शाखाओं को कटवा दिया था। दशहरा घाट के पास कटीले तार लगवा दिए गए थे। कई कर्मचारियों की अतिरिक्त तैनाती की गई थी। मगर एएसआई के इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल का कहना है कि बंदरों को पड़कने के लिए नगर निगम और वन विभाग की टीम बनी है। टीम को बंदरों को रोकना चाहिए।

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