दिल्ली दंगा: एक घटना दो FIR, सवाल उठने के बाद पुलिस ने बदला वकील

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दिल्ली दंगा: एक घटना दो FIR, सवाल उठने के बाद पुलिस ने बदला वकील

हाइलाइट्स

  • दिल्ली दंगों से जुड़ी एक घटना को लेकर दो एफआईआर दर्ज किए गए थे
  • कड़कड़डूमा कोर्ट ने इस मामले को लेकर दिल्ली पुलिस के सामने सवाल खड़े किए
  • सवाल उठने के बाद दिल्ली पुलिस ने अपना वकील बदल लिया है

नई दिल्ली
कड़कड़डूमा कोर्ट ने पिछले दिनों दिल्ली दंगों से जुड़ी एक घटना को लेकर दो एफआईआर दर्ज किए जाने पर पुलिस के सामने सवाल खड़ा किया था। अब पुलिस ने अपना वकील बदल दिया है। दयालपुर पुलिस थाने से जुड़े मामले में जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि अब इस केस में अभियोजन का प्रतिनिधित्व डी. के. भाटिया (खास सरकारी वकील) नहीं, बल्कि मधुकर पांडे करेंगे। इस सूचना के साथ आईओ ने अदालत से दो महीने का वक्त मांगा।

बचाव पक्ष के विरोध के बावजूद अडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने जांच अधिकारी की मांग कबूल कर ली। उन्होंने कहा कि न्याय हित में और अभियोजन को अपना पक्ष प्रभावी तरीके से रखने का मौका देते हुए इस केस में आरोपों पर विचार की सुनवाई 5 अक्टूबर दोपहर 2 बजे तय की जाती है।

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मौजूदा केस एफआईआर नंबर 117/2020 से जुड़ा है, जिसमें अन्य आरोपियों के साथ पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन भी आरोपी है। अदालत पुलिस से सवाल किया कि क्या किसी व्यक्ति को एक ही घटना के सिलसिले में दर्ज दो अलग-अलग एफआईआर में आरोपी बनाया जा सकता है। जांच एजेंसी के सामने यह सवाल तब उठा, जब उसने एक ऐसा केस अदालत के सामने रखा, जिसमें आरोपियों को एक दिन पहले ही आरोप मुक्त किया गया था। अदालत ने सरकारी वकील से पूछा था कि मौजूदा केस (एफआईआर 117/2020) की चार्जशीट कानून के नजरिए में कैसे सही ठहराई जा सकती है।

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उन्होंने पूछा, क्या कानून और संविधान ऐसे व्यक्ति के खिलाफ दोबारा से वही केस चलाने से नहीं रोकता, जिसमें उसमें बरी किया जा चुका हो। यहां जिक्र शाह आलम, राशिद सैफी और शादाब का हो रहा है जिन्हें अदालत ने 2 सितंबर को उस केस में आरोपों से आजाद कर दिया था, जिसमें शिकायतकर्ता वही था, जिसका केस 3 सितंबर को आरोपों पर बहस सुनने के लिए अदालत के सामने रखा गया। फर्क बस एफआईआर की संख्या का है।

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जांच एजेंसी ने जो किया, उस पर सवाल उठने के बाद अभियोजन की ओर से तब पेश हुए वकील डी. के. भाटिया भी सन्न रह गए। उन्होंने जवाब देने के लिए वक्त की मांग करते हुए अदालत से कहा था कि पहले वह खुद संतुष्ट हो जाएं कि ऐसा क्यों किया गया, उसके बाद अदालत को संतुष्ट करेंगे। अदालत ने उनकी मांग मंजूर करते हुए उक्त तीनों व्यक्तियों को छूट दी कि वे अपने खिलाफ मौजूदा केस को रद्द कराने के लिए हाई कोर्ट का रुख कर सकते हैं।

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फाइल फोटो



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