दिल्ली बीजेपी में अब 23 प्रवक्ता, उपयोगिता पर उठ रहे सवाल

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दिल्ली बीजेपी में अब 23 प्रवक्ता, उपयोगिता पर उठ रहे सवाल

हाइलाइट्स

  • दिलचस्प है कि सांगठनिक ढांचे में पदाधिकारियों की तादाद भी 23 ही है
  • प्रवक्ताओं की लंबी-चौड़ी टीम में दो और महिलाओं को शामिल किया गया
  • लेकिन अब ये सवाल उठ रहे हैं कि प्रवक्ता पार्टी के कितने काम आ रहे हैं

नई दिल्ली: दिल्ली बीजेपी में पार्टी का मीडिया विभाग फिर सुर्खियों में है। बुधवार को पार्टी प्रवक्ताओं की लंबी-चौड़ी टीम में दो और महिला प्रवक्ताओं को शामिल कर लिया गया, जिसके बाद प्रवक्ताओं की कुल संख्या बढ़कर 23 तक पहुंच गई है। उनकी इतनी बड़ी फौज अब पार्टी के अंदर चर्चा का विषय बन गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दिल्ली बीजेपी के मुख्य सांगठनिक ढांचे में पदाधिकारियों की जितनी संख्या है, उतनी ही तादाद में अब प्रवक्ता भर्ती कर लिए गए हैं। मगर ये प्रवक्ता पार्टी के कितने काम आ रहे हैं, इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं।

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सूत्रों के मुताबिक, पिछले साल जून में आदेश गुप्ता को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अक्टूबर में उन्होंने प्रदेश पदाधिकारियों की नई टीम का ऐलान किया था। इस टीम में प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री के अलावा 3 महामंत्री, 8 उपाध्यक्ष, 8 मंत्री, 1 कोषाध्यक्ष, 1 कार्यालय मंत्री और 1 कार्यालय प्रभारी समेत कुल 24 लोग शामिल थे। उस वक्त सिर्फ 11 लोगों को पार्टी प्रवक्ता नियुक्त किया गया था और विधायक अभय वर्मा को मुख्य प्रवक्ता का जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन, अब 9 महीने के अंदर ही प्रवक्ताओं की तादाद बढ़कर दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। सूत्रों ने बताया कि कोरोना काल में पार्टी की एक मंत्री का निधन हो जाने के बाद कोर टीम के पदाधिकारियों की संख्या जहां घटकर 23 रह गई है, वहीं दो नई प्रवक्ताओं की नियुक्ति के बाद प्रवक्ताओं की कुल संख्या बढ़कर 23 तक पहुंच गई है। इसमें अगर पार्टी के मीडिया हेड, सोशल मीडिया और आईटी सेल प्रमुख और मोर्चों के प्रवक्ताओं को और जोड़ लें तो यह संख्या दो दर्जन से भी ज्यादा हो जाती है। ऐसे में सवाल यही उठ रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में प्रवक्ताओं की नियुक्ति के पीछे मकसद क्या है?

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कुछ लोगों का आरोप है कि चहेते लोगों को रेवड़ी की तरह प्रवक्ता पद बांटा जा रहा है और कई ऐसे लोगों को प्रवक्ता बना दिया गया है जो पार्टी के नीति-नियमों तक से वाकिफ नहीं हैं। वहीं बचाव में कहा जा रहा है कि अखबार और टीवी के अलावा ऑनलाइन, वेब और सोशल मीडिया न्यूज के जमाने में हर स्तर पर विपक्षी पार्टियों को जवाब देने के लिए अलग-अलग क्षेत्र के लोगों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।

संगठन में लगातार जारी है हलचल

दिल्ली बीजेपी में अंदरखाने लगातार कुछ न कुछ ऐसी हलचल चलती रहती है, जो पार्टी की राजनीतिक गतिविधियों से ज्यादा सुर्खियां बटोरती हैं। पिछले दिनों नॉर्थ एमसीडी में नरेला जोन के चेयरमैन के चुनाव में पार्टी को अपनी ही पार्षदों के विरोध के चलते हार का सामना पड़ा। बदले में दो महिला पार्षदों को पार्टी से निकाल दिया गया। उससे पहले मेयर चुनाव में भी पार्टी को जबर्दस्त आंतरिक विरोध का सामना करना पड़ा। पार्टी के कुछ वरिष्ठ प्रवक्ताओं की नाराजगी भी चर्चा का विषय बनी। आंतरिक गुटबाजी से खफा इन प्रवक्ताओं ने पार्टी के वॉट्सऐप ग्रुप से खुद को अलग कर लिया था और प्रेस ब्रीफिंग्स में भी जाना बंद कर दिया था। जब मुद्दा गरमाया, तो दोनों प्रवक्ताओं को मनाया गया। वहीं एक महिला प्रवक्ता को भी बिना अनुमति के न्यूज चैनलों के डिबेट में शामिल होने और राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार व्यक्त करने के एवज में कारण बताओ नोटिस थमा दिया गया था।

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