दिल्ली सरकार में अब कौन हैं CM केजरीवाल के ‘सिसोदिया’, विभागों के बंटवारे से संकेत समझिए

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दिल्ली सरकार में अब कौन हैं CM केजरीवाल के ‘सिसोदिया’, विभागों के बंटवारे से संकेत समझिए

दिल्ली सरकार में अब कौन हैं CM केजरीवाल के ‘सिसोदिया’, विभागों के बंटवारे से संकेत समझिए


नई दिल्ली: सत्येंद्र जैन कई महीनों से जेल में बंद हैं लेकिन इसका असर दिल्ली सरकार और पार्टी के भीतर अधिक नहीं पड़ रहा था। अब मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद पार्टी और सरकार दोनों के भीतर बड़ा संकट हो गया है। यह संकट उस वक्त और भी बड़ा हो गया जब सिसोदिया और सत्येंद्र जैन का इस्तीफा होता है। सत्येंद्र जैन से कहीं अधिक झटका मनीष सिसोदिया के इस्तीफे से लगा। 18 महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी थी उनके पास थी और सत्येंद्र जैन बिना विभाग वाले मंत्री। यहां सिर्फ विभागों की ही बात नहीं है। सीएम केजरीवाल किस कदर उन पर भरोसा करते हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है। कई मौकों पर इस बात का वह जिक्र भी कर चुके हैं। मंत्रियों के इस्तीफे के बाद बुधवार सीएम अरविंद केजरीवाल की ओर से विभागों का बंटवारा कर दिया गया है। अब ऐसे में सवाल है कि क्या कोई दूसरा सीएम केजरीवाल के लिए ‘सिसोदिया’ बन पाएगा।

बतौर परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने दिखाया दम

मनीष सिसोदिया के सरकार में नहीं रहने से एक बड़ा वैक्यूम क्रिएट हो गया है। अब तक मंत्रालयों के हिसाब से देखा जाए तो केजरीवाल और सिसोदिया के बाद तीसरे नंबर पर कैलाश गहलोत की बारी आती थी। कैलाश गहलोत कुछ समय पहले तक दिल्ली सरकार के तीसरे सबसे बड़े मंत्री थे। अब सिसोदिया के महत्वपूर्ण वित्त विभाग की जिम्मेदारी उनको दी गई है। यह भी तय माना जा रहा है कि इसी महीने पेश होने वाला बजट उनकी ओर से पेश किया जाए। अब तक महत्वपूर्ण परिवहन विभाग की जिम्मेदारी वह संभाल रहे थे। डीटीसी बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या बढ़ाए जाने पर इनका फोकस है। परिवहन के साथ ही पर्यावरण मंत्रालय की भी जिम्मेदारी उनके पास है। दिल्ली में प्रदूषण की समय किसी से छिपी नहीं है।

मुश्किल सीट पर मिली दो बार जीत
कैलाश गहलोत का जन्म 22 जुलाई 1974 को हुआ था। वह दिल्ली के नजफगढ़ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह नजफगढ़ के मित्राऊं गांव के रहने वाले हैं। 2015 में उन्होंने दिल्ली विधानसभा का पहला चुनाव जीता था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। दिल्ली की नजफगढ़ विधानसभा सीट पश्चिमी दिल्‍ली लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। दिल्ली का नजफगढ़ क्षेत्र हरियाणा की सीमा से सटा है। इसलिए यहां इनेलो का प्रभाव भी देखा जा सकता है। 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस सीट पर आम आदमी पार्टी के कैलाश गहलोत ने इनेलो प्रत्याशी भरत सिंह को हराया था। पिछले चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को कैलाश गहलोत ने मात दी। दिल्ली में कई मौको पर ऑड-ईवन स्कीम को लागू कराकर कैलाश गहलोत चर्चा में आए। इसके साथ ही डीटीसी बसों में महिलाओं की फ्री सफर की योजना भी काफी कारगर रही।

मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन BJP में शामिल हो जाएं तो उन्हें रिहाई मिल जाएगी..ये बस AAP को रोकना चाहते हैं, पंजाब में हम जीते तो इनसे बर्दाश्त नहीं हुआ। AAP आंधी है जिसे ये रोक नहीं सकते, उसे कोई नहीं रोक सकता जिसका समय आ गया और AAP का समय आ गया है।

अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के मुख्यमंत्री

राज कुमार आनंद के पास शिक्षा समेत कई अहम विभाग
शिक्षा और कई दूसरे अहम विभागों की जिम्मेदारी राजकुमार आनंद को दी गई है। हालांकि बतौर मंत्री उनका अभी अनुभव कम है। कुछ ही महीने पहले राजेंद्र पाल गौतम की जगह उनको मंत्री बनाया गया था। राजेंद्र पाल गौतम के जिनको विवाद के चलते इस्तीफा देना पड़ा था और उसके बाद पटेल नगर से विधायक राज कुमार आनंद को मंत्री बनाया गया। मंत्री राजकुमार आनंद को एजुकेशन, भूमि और भवन, सतर्कता, सेवा, पर्यटन, कला संस्कृति और भाषा, श्रम, रोजगार, स्वास्थ्य और उद्योग विभाग दिए गए हैं। अभी विभागों की जिम्मेदारी दी गई है लेकिन बहुत कुछ इन्हें साबित करना है। सीएम केजरीवाल जल्द कैबिनेट में दो मंत्री शामिल करने वाले हैं। आतिशी मार्लेना और सौरभ भारद्वाज इन दोनों की कैबिनेट में एंट्री होने वाली है। जिसके बाद विभागों का बंटवारा एक बार फिर से होगा।

सिसोदिया ने साबित किया अब इनकी बारी
मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल की दोस्ती सियासत में एंट्री से पहले की है। पार्टी के भीतर इस बात को लेकर शायद ही किसी बड़े या छोटे नेता को कोई शंका हो। पंजाब चुनाव हो या गुजरात चुनाव या दिल्ली में आयोजित पार्टी के कार्यक्रम। मनीष सिसोदिया का कद पार्टी के भीतर और सरकार में क्या था यह पता चलता था। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के पास फिलहाल किसी मंत्रालय की जिम्मेदारी नहीं है। दिल्ली के बाहर पार्टी के विस्तार पर भी उनका फोकस रहता है। दो नए मंत्री शामिल होने के बाद कैबिनेट में नए चेहरे अधिक हो जाएंगे। विभागों के बंटवारे के हिसाब से देखा जाए तो अब तक सीएम केजरीवाल की ओर से बैलेंस रखने की कोशिश की गई है लेकिन अनुभव और अधिक एक्टिव रहने वाले मंत्रियों में कैलाश गहलोत के पास कहीं अधिक बड़ी जिम्मेदारी है। उनके पास एक अच्छा मौका भी है खुद को साबित करने का।

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