दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने में फेल सिस्टम, जानें आखिर क्यों होती हैं घटनाएं | Rape incidents increased in up | Patrika News
मनोचिकित्सक डॉ. जिलानी ने बताया कि कई बार ये देखा गया है कि महिलाओं व बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वाले लोग समाज की मुख्या धारा से बाहर होते हैं। कई बार परिवार या आसपास के लोग ही घटनाओं को अंजाम देते हैं। हम कह सकते हैं कि ये लोग आपराधिक प्रवत्ती के साथ कुंठित होते है। जो महिलाओं व बच्चों के प्रति दूषित भावना रखते हैं।
लखनऊ
Published: April 20, 2022 03:51:17 pm
लखनऊ. प्रदेश की योगी सरकार महिला अपराधों पर लगाम लगाने के दावा ठोकती है। दावों के बावजूद महिलाओं व बच्चियों के साथ हैवानियत की घटनांए होती हैं। ऐसे में हम सोचने पर मजूबर हैं कि आखिर इन दुष्कर्म दोषियों की इलाज क्या है। पिछेले वर्ष के आंकड़ों को देखें तो महिलाएं अपराधों में इजाफा हुआ है। ये तब है जब महिला अपराधों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश हैं। इसके बाद भी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला कन्नौज का है जहां एक महिला और उसकी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना सामने आई है। आरोप हैं कि शादी का झांसा देकर एक व्यक्ति ने अपने पिता और दोस्त के साथ मिलकर महिला व उसकी नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।
एक एक मात्र घटना नहीं है ऐसी तमाम घटनाएं है जो सोचने पर मजबूर करती हैं कि आखिर ये घटनाएं कब रुकेंगी। सरकार के प्रयासों की बात करें तो महिला अपराध पर लगाम लगाने के लिए कई बड़े कदम उठाएं गए हैं। जैसे महिला सुरक्षा के लिए एडीजी महिला एवं बाल विकास सुरक्षा के पद का गठन किया गया। पीड़ित महिला को बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के लिए थानों में पिंक बूथ बनाए गए। टोलफ्री हेल्पलाइन नंबर जोरी किया गए। कोर्ट में दोषियों को कठोर सजा दिलाई के लिए अभियोजन विभाग को प्रभावी बनाया गया। इन तमाम प्रयासों से महिला सुरक्षा का माहौल तो बना पुर दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर लगाम नहीं लग सकी। जब की दोषियों को कड़ा संदेश देने के लिए पिछले पांच वर्षों में दुष्कर्म व हत्या के मामले में दर्जनों दोषियों को कोर्ट ने सजा-ए-मौत सुनाई है।
आपराधिक प्रवृत्ति के साथ कुंठा के शिकार होते हैं हैवान मनोचिकित्सक डॉ. जिलानी ने बताया कि कई बार ये देखा गया है कि महिलाओं व बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वाले लोग समाज की मुख्या धारा से बाहर होते हैं। कई बार परिवार या आसपास के लोग ही घटनाओं को अंजाम देते हैं। हम कह सकते हैं कि ये लोग आपराधिक प्रवत्ती के साथ कुंठित होते है। जो महिलाओं व बच्चों के प्रति दूषित भावना रखते हैं।
पिछले साल सबसे ज्यादा केस यूपी में राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक, पिछले वर्ष 2021 में देशभर से 31 हजार शिकायतें मिलीं। इसमें 15 हजार से ज्यादा सिर्फ यूपी की हैं। वर्ष 2020 के मुकाबले 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की शिकायतें 30% बढ़ी हैं।
बॉक्स 1675 बलात्कार व प्रयास की शिकायतें पिछले साल 1819 शिकायतें छेड़छाड़ की, 1675 शिकायतें बलात्कार व कोशिश की, 1537 शिकायतें पुलिस की उदासीनता व 858 शिकायतें साइबर क्राइम की दर्ज की गईं थी।
दर्ज हुई शिकायतें 2017 में 56,011 मामले 2018 में 59,445 मामले 2019 में 59,853 मामले 2017 में 4,246 बलात्कार के मामलों -1,560 मामलों में पीड़िता नाबालिग थी। 2017 में हर रोज 153 मामले दर्ज हुए।
2018 में महिलाओं के खिलाफ 162 मामले प्रतिदिन 2018 में 3, 946 बलात्कार के मामले 2018 के दौरान POCSO के तहत 5,401 मामले दर्ज किए गए। 2018 की रिपोर्ट में दावा- यूपी पुलिस के पास हर दो घंटे में बलात्कार का मामला।
2016 में 49,262 मामले 2015 में 35,908 मामले
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मनोचिकित्सक डॉ. जिलानी ने बताया कि कई बार ये देखा गया है कि महिलाओं व बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वाले लोग समाज की मुख्या धारा से बाहर होते हैं। कई बार परिवार या आसपास के लोग ही घटनाओं को अंजाम देते हैं। हम कह सकते हैं कि ये लोग आपराधिक प्रवत्ती के साथ कुंठित होते है। जो महिलाओं व बच्चों के प्रति दूषित भावना रखते हैं।
लखनऊ
Published: April 20, 2022 03:51:17 pm
लखनऊ. प्रदेश की योगी सरकार महिला अपराधों पर लगाम लगाने के दावा ठोकती है। दावों के बावजूद महिलाओं व बच्चियों के साथ हैवानियत की घटनांए होती हैं। ऐसे में हम सोचने पर मजूबर हैं कि आखिर इन दुष्कर्म दोषियों की इलाज क्या है। पिछेले वर्ष के आंकड़ों को देखें तो महिलाएं अपराधों में इजाफा हुआ है। ये तब है जब महिला अपराधों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश हैं। इसके बाद भी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला कन्नौज का है जहां एक महिला और उसकी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना सामने आई है। आरोप हैं कि शादी का झांसा देकर एक व्यक्ति ने अपने पिता और दोस्त के साथ मिलकर महिला व उसकी नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।
एक एक मात्र घटना नहीं है ऐसी तमाम घटनाएं है जो सोचने पर मजबूर करती हैं कि आखिर ये घटनाएं कब रुकेंगी। सरकार के प्रयासों की बात करें तो महिला अपराध पर लगाम लगाने के लिए कई बड़े कदम उठाएं गए हैं। जैसे महिला सुरक्षा के लिए एडीजी महिला एवं बाल विकास सुरक्षा के पद का गठन किया गया। पीड़ित महिला को बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के लिए थानों में पिंक बूथ बनाए गए। टोलफ्री हेल्पलाइन नंबर जोरी किया गए। कोर्ट में दोषियों को कठोर सजा दिलाई के लिए अभियोजन विभाग को प्रभावी बनाया गया। इन तमाम प्रयासों से महिला सुरक्षा का माहौल तो बना पुर दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर लगाम नहीं लग सकी। जब की दोषियों को कड़ा संदेश देने के लिए पिछले पांच वर्षों में दुष्कर्म व हत्या के मामले में दर्जनों दोषियों को कोर्ट ने सजा-ए-मौत सुनाई है।
आपराधिक प्रवृत्ति के साथ कुंठा के शिकार होते हैं हैवान मनोचिकित्सक डॉ. जिलानी ने बताया कि कई बार ये देखा गया है कि महिलाओं व बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वाले लोग समाज की मुख्या धारा से बाहर होते हैं। कई बार परिवार या आसपास के लोग ही घटनाओं को अंजाम देते हैं। हम कह सकते हैं कि ये लोग आपराधिक प्रवत्ती के साथ कुंठित होते है। जो महिलाओं व बच्चों के प्रति दूषित भावना रखते हैं।
पिछले साल सबसे ज्यादा केस यूपी में राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक, पिछले वर्ष 2021 में देशभर से 31 हजार शिकायतें मिलीं। इसमें 15 हजार से ज्यादा सिर्फ यूपी की हैं। वर्ष 2020 के मुकाबले 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की शिकायतें 30% बढ़ी हैं।
बॉक्स 1675 बलात्कार व प्रयास की शिकायतें पिछले साल 1819 शिकायतें छेड़छाड़ की, 1675 शिकायतें बलात्कार व कोशिश की, 1537 शिकायतें पुलिस की उदासीनता व 858 शिकायतें साइबर क्राइम की दर्ज की गईं थी।
दर्ज हुई शिकायतें 2017 में 56,011 मामले 2018 में 59,445 मामले 2019 में 59,853 मामले 2017 में 4,246 बलात्कार के मामलों -1,560 मामलों में पीड़िता नाबालिग थी। 2017 में हर रोज 153 मामले दर्ज हुए।
2018 में महिलाओं के खिलाफ 162 मामले प्रतिदिन 2018 में 3, 946 बलात्कार के मामले 2018 के दौरान POCSO के तहत 5,401 मामले दर्ज किए गए। 2018 की रिपोर्ट में दावा- यूपी पुलिस के पास हर दो घंटे में बलात्कार का मामला।
2016 में 49,262 मामले 2015 में 35,908 मामले
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