नाबालिग लड़की का अश्लील वीडियो नहीं हटा रहे हैं दो पॉर्न साइट्स, शिकायत पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने लगाई फटकार

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नाबालिग लड़की का अश्लील वीडियो नहीं हटा रहे हैं दो पॉर्न साइट्स, शिकायत पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने लगाई फटकार

नाबालिग लड़की का अश्लील वीडियो नहीं हटा रहे हैं दो पॉर्न साइट्स, शिकायत पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने लगाई फटकार

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने दो पोर्न वेबसाइट को फटकार लगाते हुए कहा है कि अदालत उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करेगी। यदि उन्होंने अपनी वेबसाइट से एक नाबालिग लड़की (Minor Girl) के आपत्तिजनक वीडियो (Obscene Video) को नहीं हटाते हैं तो। शुक्रवार को जस्टिस रमेश धानुका और जस्टिस मिलिंद साथये ने यह आदेश दिया है। केंद्र के वकील ने अदालत को बताया कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन के अधिकारियों ने जब पीड़िता के पॉर्न वीडियो (Porn Video) को वेबसाइट से हटाने की कोशिश की तब और भी लिंक जेनरेट हो गए। पीड़िता द्वारा दायर की गई याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि 19 पोर्न वेबसाइट पर नाबालिग के आपत्तिजनक वीडियो अपलोड किए गए हैं। जैसे ही उसे यह पता चला उसने इस मामले में साइबर पुलिस स्टेशन (Cyber Police Station) में 15 सितंबर को शिकायत दर्ज करवाई। इतना ही नहीं पीड़िता ने अपने वकील के जरिए लीगल नोटिस भी भिजवाए थे। जिसके बाद 19 में से 13 लिंक को हटा दिया गया था। पीड़िता की तरफ से अदालत से गुहार लगाई गई है कि अभी भी इन दोनों वेबसाइट्स की तरफ से 6 लिंक ऑपरेट किए जा रहे हैं।

मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया यह लगता है कि इस मामले में वेबसाइट्स ने इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के सभी नियमों का उल्लंघन किया है। अदालत ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन को यह आदेश भी दिया था कि इन लिंक्स को ब्लॉक किया जाए। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की वकील उमा क्षीरसागर वागले वाले नहीं फिर से कहा कि अभी तक यह लिंक पूरी तरह से ब्लॉक नहीं हुए हैं। जिसके बाद अदालत ने केंद्र को कहा कि वो यह आदेश संबंधित वेबसाइट्स को बताएं। ताकि पीड़िता के लिंक्स को ब्लॉक किया जा सके। अदालत ने 24 घंटे के अंदर संबंधित लिंक डिलीट करने का आदेश दिया है।

कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की कार्रवाई शुरू की जाएगी
अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि संबंधित वेबसाइट को यह बता दिया जाए कि अगर उन्होंने अदालत के आदेश की अवमानना की तो उनके खिलाफ कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की कार्रवाई शुरू की जाएगी। अदालत में डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन को यह आदेश दिया कि वह सभी जरूरी सहायता उपलब्ध कराएं ताकि आदेश का पालन किया जा सके। साथ ही यह भी कहा कि अगर कोई तकलीफ महसूस होती है तो इस संबंध में एक एफिडेविट भी अदालत में पेश किया जाए। अदालत ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई 16 जनवरी तक के लिए टाल दी है। 16 जनवरी को डीओटी अपनी रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करनी है।

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