फेफड़ों और डायबिटीज जैसी बीमारियों का ये हो सकता है सबसे बड़ा कारण | Air pollution is the biggest cause of diseases like lungs and diabetes | News 4 Social
हवा खराब होने से बढ़ रहा है सीओपीडी का खतरा
डॉ. करण ठाकुर की अध्यक्षता में एक सत्र हुआ, जिसका विषय था ‘घटता वायु गुणवत्ता सूचकांक: स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा’. इस सत्र में वायु प्रदूषण (Air pollution) के गंभीर प्रभावों पर चर्चा की गई.
पीएसआरआई इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन डॉ. जी.सी. खिलनानी ने बताया कि, “लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से फेफड़ों (Lungs) पर बहुत बुरा असर पड़ता है. करीब 30 साल पहले क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) नाम की बीमारी बहुत कम होती थी. लेकिन आज यह मौत के प्रमुख कारणों में से एक है, और इसकी एक बड़ी वजह वायु प्रदूषण है.”
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उन्होंने आगे कहा कि, “वायु प्रदूषण (Air pollution) के कारण सीओपीडी की वजह से इमरजेंसी वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है. घर के अंदर की प्रदूषित हवा भी जानलेवा हो सकती है, लेकिन इस बारे में बहुत कम लोगों को पता है. वायु प्रदूषण (Air pollution) के कारण सांस संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं, और गर्मी के महीनों में इसे काबू में करना बहुत जरूरी है ताकि सर्दियों में लोगों को परेशानी न हो.”
वायु प्रदूषण बढ़ा सकता है डायबिटीज और नींद की बीमारी
इसी सत्र में मैक्स हेल्थकेयर के इंस्टीट्यूट ऑफ रेस्पिरेटरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के प्रमुख डॉ. विवेक नांगिया ने कहा कि, “वायु प्रदूषण मौजूदा बीमारियों को भी बढ़ा सकता है. उदाहरण के लिए, यह पाया गया है कि वायु प्रदूषण (Air pollution) के साथ रहने की अवधि का संबंध डायबिटीज से भी है.”
उन्होंने बताया कि, “अब तक हम डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों की संख्या को जीवनशैली, मोटापे और खानपान से जोड़कर देखते थे. लेकिन अब वायु प्रदूषण (Air pollution) एक और बड़ा कारण बनकर सामने आया है. अध्ययनों में पाया गया है कि लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण (Air pollution) के संपर्क में रहने के बाद डायबिटीज के मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. नींद न आने की बीमारी (स्लीप एपनिया) भी एक बड़ी समस्या है जिसका सामना लोगों को वायु प्रदूषण के कारण करना पड़ रहा है.”
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हवा खराब होने से बढ़ रहा है सीओपीडी का खतरा
डॉ. करण ठाकुर की अध्यक्षता में एक सत्र हुआ, जिसका विषय था ‘घटता वायु गुणवत्ता सूचकांक: स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा’. इस सत्र में वायु प्रदूषण (Air pollution) के गंभीर प्रभावों पर चर्चा की गई.
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उन्होंने आगे कहा कि, “वायु प्रदूषण (Air pollution) के कारण सीओपीडी की वजह से इमरजेंसी वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है. घर के अंदर की प्रदूषित हवा भी जानलेवा हो सकती है, लेकिन इस बारे में बहुत कम लोगों को पता है. वायु प्रदूषण (Air pollution) के कारण सांस संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं, और गर्मी के महीनों में इसे काबू में करना बहुत जरूरी है ताकि सर्दियों में लोगों को परेशानी न हो.”
वायु प्रदूषण बढ़ा सकता है डायबिटीज और नींद की बीमारी
इसी सत्र में मैक्स हेल्थकेयर के इंस्टीट्यूट ऑफ रेस्पिरेटरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के प्रमुख डॉ. विवेक नांगिया ने कहा कि, “वायु प्रदूषण मौजूदा बीमारियों को भी बढ़ा सकता है. उदाहरण के लिए, यह पाया गया है कि वायु प्रदूषण (Air pollution) के साथ रहने की अवधि का संबंध डायबिटीज से भी है.”
उन्होंने बताया कि, “अब तक हम डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों की संख्या को जीवनशैली, मोटापे और खानपान से जोड़कर देखते थे. लेकिन अब वायु प्रदूषण (Air pollution) एक और बड़ा कारण बनकर सामने आया है. अध्ययनों में पाया गया है कि लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण (Air pollution) के संपर्क में रहने के बाद डायबिटीज के मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. नींद न आने की बीमारी (स्लीप एपनिया) भी एक बड़ी समस्या है जिसका सामना लोगों को वायु प्रदूषण के कारण करना पड़ रहा है.”